शिक्षक समाज का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जिसे समाज एक आदर्श मानता है। शिक्षक अपने शैक्षिक दायित्व को निभाने के साथ-साथ अगर सामाजिक सरोकार के कार्य करे तो निश्चित ही वह देश के भविष्य के लिए मजबूत एवं संस्कारी पीढ़ी को तैयार कर सकता है।
उदयपुर के झाड़ोल उपखण्ड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पारगियापाड़ा में अध्यापक दुर्गाराम मुवाल शिक्षा के साथ सामाजिक जागरण की मशाल भी जला रहे हैं। वनवासी बहुल झाड़ोल क्षेत्र में दुर्गाराम ने अपने विद्यालय में शिक्षा के क्षेत्र में कई नवीन और अनुकरणीय प्रयोग किए हैं।
मूलत: राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र के रहने वाले दुर्गाराम पिछले 13 वर्ष से झाड़ोल उपखंड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पारगियापाड़ा में कार्यरत हैं। मुवाल ने अपनी भूमिका सिर्फ अध्यापन तक ही सीमित नहीं रखी बल्कि कर्मक्षेत्र में आने वाली अन्य समस्याओं के समाधान में भी उन्होंने एक गहन भूमिका निभाई है।
दुर्गाराम कहते हैं कि शिक्षक समाज का एक महत्वपूर्ण अंग होता है जिसे समाज एक आदर्श मानता है। शिक्षक अपने शैक्षिक दायित्व को निभाने के साथ-साथ अगर सामाजिक सरोकार के कार्य करे तो निश्चित ही वह देश के भविष्य के लिए मजबूत एवं संस्कारी पीढ़ी को तैयार कर सकता है।
दुर्गाराम ने बच्चों के बस्तों का बोझ कैसे कम हो, इसके लिए नवाचार किया है। उन्होंने स्वयं ऐसी नोटबुक तैयार करवाई जिसमें सभी विषयों का कार्य हो जाए। इससे बच्चों को अलग-अलग विषयों की नोटबुक लाने के बजाय स्कूल में एक ही नोटबुक लानी पड़ती है। इस जनजाति बहुल क्षेत्र में जागरूकता के अभाव में कुपोषण एक बड़ी समस्या है जिसे दूर करने के लिए दुर्गाराम ने फूड और न्यूट्रिशन ट्रेनर बनकर लोगों को बिना किसी अतिरिक्त खर्च के घर में उपलब्ध खाद्य वस्तुओं से ही कुपोषण मिटाने की जानकारी देने का मिशन भी चला रखा है। बच्चों को शारीरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए योग भी सिखाते हैं।
दुर्गाराम स्वयं योग प्रशिक्षक हैं और संभाग एवं जिले स्तर पर योग प्रतियोगिताओं में विजेता भी रहे हैं। वे शत-प्रतिशत विद्यालय नामांकन एवं विद्यालय से निकलने वाले बच्चों को अग्रिम कक्षाओं में प्रवेश दिलाना तथा बाद में भी उनसे निरंतर सम्पर्क में रहकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
झाड़ोल की बाल तस्करी की समस्या में भी ग्रामीणों को जागरूक करने में वे आगे रहे। उन्होंने अब तक झाड़ोल एवं फलासिया ब्लॉक के विद्यालयों में अध्ययनरत 400 से ज्यादा बच्चों को बाल तस्करी एवं बालश्रम से मुक्त करवाया है। बालिका शिक्षा पर विशेष जोर देते हुए अब तक उन्होंने लगभग 300 से ज्यादा बालिकाओं को कई तरह के अभावों से बाहर निकालकर शिक्षा से जोड़ा है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए अब तक 11 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं तथा उनका पेड़ बनने तक संरक्षण कर रहे हैं। सम्पूर्ण पंचायत में उन्होंने जंगल काटने पर पाबन्दी लगा रखी है। अपने नवाचारों और सामाजिक दायित्व के निर्वहन के चलते दुर्गाराम का चयन इस वर्ष राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान के लिए हुआ है।
दुर्गाराम कहते हैं कि ‘मैं अपने शिक्षक के कर्तव्य को समय से परे का काम मानता हूं, जिस कारण मुझे समाज के प्रत्येक कार्य को करने का मौका मिला। यहां जनजातीय लोगों की विकट परिस्थितियों एवं अभावों को देख कर मुझे ऐसे कार्य करने की प्रेरणा मिली।’
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