हरियाली अमावस्या क्यों है खास, जानें...
December 4, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • वेब स्टोरी
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • जनजातीय नायक
No Result
View All Result
Panchjanya
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • पत्रिका
  • वेब स्टोरी
  • My States
  • Vocal4Local
होम भारत

हरियाली अमावस्या क्यों है खास, जानें…

वैदिक मंत्रों के उदघोष हमारे जीवन में वृक्ष-वनस्पतियों की महत्ता को परिलक्षित करते हैं।

by पूनम नेगी
Jul 16, 2023, 10:46 pm IST
in भारत, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पर्यावरण संरक्षण की चेतना हमारे सनातन वैदिक चिन्तन का प्राण तत्व है। वैदिक मनीषा  के “औषधय: शांति वनस्पतय: शांति:” जैसे वैदिक मंत्रों के उदघोष हमारे जीवन में वृक्ष-वनस्पतियों की महत्ता को परिलक्षित करते हैं। ऋषि वाणी कहती है कि वृक्ष वनस्पति भगवान नीलकंठ का स्वरूप हैं क्योंकि वे वायुमंडल की विषाक्त गैसों को पीकर हमें अमृतमयी प्राणवायु द्वारा जीवन का वरदान देते हैं। अतः वृक्षरोपण करना और पेड़-पौधों का संरक्षण-संवर्धन भगवान शिव को जलाभिषेक के समान ही पुण्यफलदायी है। वृक्षों का महिमामंडन करते हुए मत्स्य पुराण के ऋषि कहते हैं- “दश कूप समा वापी, दशवापी समोहद्रः। दशहृद समः पुत्रो, दशपुत्रो समो द्रुमः।” अर्थात दस कुएं खुदवाने से अधिक पुण्य एक बावड़ी खुदवाने से मिलता है, दस बावड़ियों के बराबर फल एक तालाब से, दस तालाबों के बराबर पुण्य एक योग्य पुत्र से और दस पुत्रों के बराबर पुण्य एक वृक्ष के रोपण से मिलता है। श्रावण मास में मनाया जाने वाला हरियाली अमावस्या का पर्व महादेव व मां पार्वती के पूजन-अर्चन के साथ विशेष रूप से पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करता है। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार इस वर्ष हरियाली रोपने का यह पर्व  उदया तिथि के आधार पर 17 जुलाई को पड़ रहा है।

हरियाली अमावस्या पर ग्रामीण मेलों का आयोजन भी किया जाता है। इन मेलों में उदयपुर का हरियाली अमावस्या का मेला सबसे खास है। इस मेले की खास बात यह है कि दो दिवसीय मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए आरक्षित होता है। सवा सौ सालों से चली आ रही यह परम्परा आज भी कायम है।

श्रावण मास में पड़ने के कारण  प्रकृति पूजन का यह पर्व श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान के बाद भगवान शिव व मां पार्वती के पूजन-अर्चन नदियों व जलाशयों के किनारे बाद शुभ मुहूर्त में आम, आंवला, पीपल, वटवृक्ष, शमी और नीम आदि वृक्षों तथा तुलसी पौधे के रोपण की अत्यंत प्राचीन परम्परा है। सनातनधर्मी श्रद्धालु इस दिन विशेष रूप से वट, पीपल, आंवला और तुलसी की पूजा कर इन देव वनस्पतियों से आरोग्य का वरदान मांगते है। शास्त्रों में कहा गया है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेवों ( ब्रह्मा, विष्णु और महेश) और आंवले में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, केले में श्री हरि विष्णु , बिल्व में त्रिपुरा सुंदरी, तुलसी में लक्ष्मी तथा वटवृक्ष अर्थात बरगद में देवाधिदेव शिव और शनिदेव का वास होता है। इसलिए इस दिन इन वृक्ष वनस्पतियों का पूजन का अत्यधिक फलदायी माना जाता है।  मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष वृक्षों की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास  के अनुसार इस वर्ष सावन के दूसरे सोमवार को हरियाली अमावस्या पड़ रही है। नकारात्मकता शक्तियों से बचने के लिए इस तिथि पर रुद्राभिषेक कराना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है। शास्त्र कहते हैं कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों के लिए पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व पर शिव पूजा से पितृ दोष, शनि दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति का विधान भी हमारे शास्त्रों में बताया गया है। हरियाली अमावस्या के दिन देश भर के शिव मंदिरों के साथ ही वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर व द्वारकाधीश मंदिर में विशेष पूजा और दर्शन के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। हरियाली अमावस्या का यह पर्व किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन किसान अपने खेती में उपयोग होने वाले विविध उपकरणों की पूजा कर तथा एक दूसरे को गुड़ और धानी की प्रसाद देकर ईश्वर से अच्छी फसल की कामना करते हैं।

शास्त्रों में कहा गया है कि बरगद के पेड़ में त्रिदेवों ( ब्रह्मा, विष्णु और महेश) और आंवले में भगवान श्री लक्ष्मीनारायण, केले में श्री हरि विष्णु , बिल्व में त्रिपुरा सुंदरी, तुलसी में लक्ष्मी तथा वटवृक्ष अर्थात बरगद में देवाधिदेव शिव और शनिदेव का वास होता है। इसलिए इस दिन इन वृक्ष वनस्पतियों का पूजन का अत्यधिक फलदायी माना जाता है।  मान्यता है कि इस दिन कुछ विशेष वृक्षों की पूजा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं और सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

वर्षा ऋतु में मां प्रकृति की धानी चूनर के नैसर्गिक सौन्दर्य को बढ़ाने और निखारने वाला हरियाली अमावस्या का यह त्योहार देश  के राजस्थान, उत्तर प्रदेश,  मालवा, मध्य प्रदेश बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उड़ीसा केरल व कर्णाटक जैसे विभिन्न राज्यों में स्थानीय लोक संस्कृतियों और परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे ‘गतारी अमावस्या’, आंध्र प्रदेश में इसे ‘चुक्कल अमावस्या’ और उड़ीसा में इसे ‘चितलगी अमावस्या’, कर्णाटक में  ‘भीमाना अमावस्या’ केरल में  ‘कर्किदाका वावू बाली’  के रूप में जाना जाता है। इसका मूल संदेश धार्मिक परम्पराओं के माध्यम से लोगों के बीच प्रकृति को बचाने की जागरूकता पैदा करना है। हर्ष का विषय है कि बीते कुछ वर्षों में पर्यावरणीय जन चेतना जगाने वाली ‘लोकभारती’ जैसी सामाजिक संस्थाओं द्वारा इस पर्व पर वृहद स्तर पर पौधरोपण अभियान भी चलाये जा रहे हैं।

बताते चलें कि कई राज्यों में हरियाली अमावस्या पर ग्रामीण मेलों का आयोजन भी किया जाता है। इन मेलों में उदयपुर का हरियाली अमावस्या का मेला सबसे खास है। इस मेले की खास बात यह है कि दो दिवसीय मेले का दूसरा दिन केवल महिलाओं के लिए आरक्षित होता है। सवा सौ सालों से चली आ रही यह परम्परा आज भी कायम है। गौरतलब हो कि इस मेले की शुरूआत तात्कालिक महाराणा फतहसिंह के कार्यकाल के दौरान सन 1898 में हुई थी। महाराणा फतहसिंह ने दुनिया में पहली बार महिलाओं को अकेले मेले का आनंद उठाने का अधिकार दिया था। इसके लिए उन्होंने फतहसागर झील जिसे पहले देवाली तालाब कहा जाता था, उस पर पाल बनवाई और वहां महिलाओं का मेला आयोजित किया था। यह परंपरा तब से अभी तक चली आ रही है।

 

Topics: ‘हर हर महादेव’AtmosphereSanatan DharmaShravani Amavasyaनीलकंठहरियाली अमावस्याNeelkanthHar Har Mahadevसनातन धर्मवैदिक चिन्तनभगवान शिववैदिक मनीषाLord Shivaवायुमंडलपर्यावरण संरक्षणश्रावणी अमावस्याenvironmental protectionVedic thinkingश्रावण मासVedic Manisha
ShareTweetSendShareSend

संबंधित समाचार

“भारत माता की जय” के गूढ़ अर्थ को समझना; मां का भी क्या कोई तिरस्कार करता है

“भारत माता की जय” के गूढ़ अर्थ को समझना; मां का भी क्या कोई तिरस्कार करता है

बरेली: हिंदू युवक से विवाह कर सनातन धर्म अपना चुकी खुशबू के अपहरण कांड में नया मोड़, पुलिस के सामने आया वीडियो

बरेली: हिंदू युवक से विवाह कर सनातन धर्म अपना चुकी खुशबू के अपहरण कांड में नया मोड़, पुलिस के सामने आया वीडियो

Jharkhand governor CP Radhakrishnan Took a dig at DMK Udaynidhi Stalin statement over sanatan Dharma

‘सनातन धर्म को मुगलों का अत्याचार न मिटा पाया उसे उदयनिधि स्टालिन मिटाएंगे…हास्यास्पद है’: झारखंड के राज्यपाल

Islamic preacher compares Bharatanatyam with Prostitution

भरतनाट्यम पराठियों का नृत्य, मुस्लिम मौलवी ने दिखाई हिन्दू घृणा, कहा-‘राजाओं को कामुक बनाने के लिए होता था’

Hindu Praiwar did Ghar wapsi in garhwa

घर वापसी: गढ़वा में तीन हिन्दू परिवारों ने की घर वापसी, मिशनरियों के बरगलाने में आकर बन गए थे ईसाई

घर वापसी : मोहम्मद जावेद ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, भगवान श्रीकृष्ण के हैं परम भक्त, कहा- पहले सब हिंदू ही थे

घर वापसी : मोहम्मद जावेद ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, भगवान श्रीकृष्ण के हैं परम भक्त, कहा- पहले सब हिंदू ही थे

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सेकुलर बाधा को पार कर निकली यात्रा

सेकुलर बाधा को पार कर निकली यात्रा

Ghaziabad Islamic conversion

‘इस्लाम कबूल कर बेटी से निकाह कर ले…रेप के इल्जाम में जेल भिजवा देंगे’, बेटे को बचाने महिला ने पुलिस में की शिकायत

France peris man who attacked tourist is an ISIS terrorist

BREAKING: फ्रांस में पर्यटकों की हत्या करने वाला निकला ISIS आतंकी, अल्लाह हु अकबर के मजहबी नारे लगा किया था हमला

‘‘सनातनधर्मी असहाय बिल्ली के बच्चे नहीं, शक्तिशाली शेर हैं’’- माता अमृतानंदमयी (अम्मा)

‘‘सनातनधर्मी असहाय बिल्ली के बच्चे नहीं, शक्तिशाली शेर हैं’’- माता अमृतानंदमयी (अम्मा)

Mizoram Assembly election result

मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए रिजल्ट आज, सियासी दलों की सांसें अटकी

दतिया: कांग्रेस उम्‍मीदवार के समर्थकों ने भाजपा नेताओं पर फेंकी धूल, हुड़दंग और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग

दतिया: कांग्रेस उम्‍मीदवार के समर्थकों ने भाजपा नेताओं पर फेंकी धूल, हुड़दंग और आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग

3 राज्यों की प्रचंड जीत पर पीएम मोदी ने जताया जनता का आभार, कहा- “हैट्रिक बनेगी 2024 में जीत की गारंटी”

3 राज्यों की प्रचंड जीत पर पीएम मोदी ने जताया जनता का आभार, कहा- “हैट्रिक बनेगी 2024 में जीत की गारंटी”

80 साल के मुल्ला राशिद के गुंडों ने 10 साल की हिंदू बच्ची का अपहरण किया, जबरन इस्लाम कबूल कराया फिर निकाह

लव जिहाद का शिकार होने से बची हिंदू युवती, शामली में शिवा बनकर शादाब ने फंसाया था, फेसबुक पर बनाई थी फर्जी आईडी

नैनीताल: लड़कियों पर फब्तियां कस रहा था शोहदा, शोर मचा तो समुदाय विशेष के लोगों ने भगा दिया

शामली: सेल्समैन सलमान ने दिल्ली की लड़की के साथ की दरिंदगी, बहाने से लिया मोबाइल नंबर और झांसे में लेकर किया दुष्कर्म

‘इंडिया-मिडिल-ईस्ट-यूरोप आर्थिक गलियारे से …वैश्विक समुद्री उद्योग में क्रांति’: PM  मोदी का निवेशकों को संबोधन

Live PM Narendra Modi: तीन राज्यों में भाजपा की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • बोली में बुलेटिन
  • Web Stories
  • पॉडकास्ट
  • Vocal4Local
  • पत्रिका
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies