मानसून के दौरान अतिवर्षा, भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में एक गंभीर स्थितियों को जन्म देती है। इस वर्षाकाल में जहां भारत के कई क्षेत्र बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं वहीं दूसरी ओर समूचे पाकिस्तान में इसने आपात स्थिति निर्मित कर दी है। इस स्थिति की गंभीरता का अनुमान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के उस बयान से लगाया जा सकता है जब उन्होंने कहा कि “हम एक ऐसी स्थिति से निपट रहे हैं जिसे मैंने अपने जीवन में नहीं देखा है, ”। शरीफ ने आगे कहा कि इस बाढ़ में “दस लाख से अधिक घर क्षतिग्रस्त या नष्ट हो गए हैं। पाकिस्तान के बहत्तर जिले आपदा की चपेट में हैं और पाकिस्तान के प्रत्येक हिस्से में बाढ़ पहुंच चुकी है, जिसके कारण 3,500 किलोमीटर से अधिक सड़कें बह गई हैं। करीब सात लाख जानवरों की मौत हो चुकी है।यह पाकिस्तान के इतिहास में सबसे कठिन घड़ी है।”
पाकिस्तान के लोगों का भी ऐसा ही मानना है। अब तक यह माना जाता था कि पाकिस्तान में 2005 का भूकंप और 2010 में आई बाढ़ सबसे भयंकर थी, जिसमें 2,000 से अधिक लोग मारे गए थे। परंतु इस बाढ़ ने आपदाओं के पुराने रिकॉर्ड्स को ध्वस्त कर दिया है।पाकिस्तान के योजना मंत्री ने इस आपदा पर दिए वक्तव्य में कहा है कि शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि देश में आई विनाशकारी बाढ़ से कम से कम दस अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। यह आंकड़े सच्चाई के करीब हो सकते हैं क्योंकि इस समय पाकिस्तान का एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया है। स्थिति की गंभीरता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह नुकसान सीधे तौर पर देश के सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के बराबर है।
जून में मानसून के आगमन के साथ ही शुरू हुई मूसलाधार बारिश और उसके बाद आई बाढ़ के बाद से इस देश के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के नवीनतम अनुमान के अनुसार कम से कम 1,000 लोग मारे गए हैं और 1,527 लोग घायल हुए हैं, जबकि इस आपदा में 949,858 घर आंशिक रूप से या पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं, जिससे देश में लाखों लोग बेघर हो गए हैं। एनडीएमए के अनुसार, पीड़ितों में 348 बच्चे और 207 महिलाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि मौजूदा मानसून के दौरान सिंध प्रांत सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा है जहां विभिन्न दुर्घटनाओं में 347 लोग मारे गए और 1,009 अन्य घायल हो गए। एक ओर जहां बाढ़ के कारण तात्कालिक रूप से बड़ी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं जैसे संचार बिजली और यातायात में व्यवधान इत्यादि। परंतु इनसे कहीं अधिक गंभीर वे समस्याएं हैं जो इस बाढ़ के कारण आगे पाकिस्तान की जनता को होने वाली हैं।
पाकिस्तान जो मूलतः एक कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है, इस बाढ़ के कारण गहन संकट में आने वाला है। सिंध के मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार मंजूर वासन के पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार डॉन को दिए बयान के अनुसार भारी बारिश ने कपास, चावल और खजूर की फसलों को नष्ट कर दिया है, जिससे 109.347 अरब रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अलावा, मिर्च और अन्य फसलें भी बारिश से नष्ट हो गई हैं।वासन के अनुसार 14 लाख एकड़ में खड़ी कपास की लगभग पूरी फसल, 6,02,120 एकड़ में खड़ी चावल और 101,379 एकड़ में खजूर की फसल नष्ट हो गई है। इसके अलावा 7,29,582 एकड़ में लगी करीब 50 फीसदी गन्ने की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। यह हाल केवल सिंध का ही नहीं बल्कि पूरे पाकिस्तान का है। कृषि की क्षति से जहां खाद्यान्न का संकट गहरा सकता है, वहीं कपास की फसल के तबाह होने से पाकिस्तान का सर्वप्रमुख कपड़ा उद्योग गहरे संकट में आ सकता है।
इस बाढ़ का एक और गंभीर प्रभाव, पाकिस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाला है, और जिससे इस देश की महिलाएं और बच्चे सर्वाधिक प्रभावित होने वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने इस विनाशकारी बाढ़ के कारण पाकिस्तानी महिलाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं को उजागर करते हुए कहा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पांच लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव का सामना करना पड़ सकता है। आंकड़ों के अनुसार अगले महीने 73,000 महिलाओं के प्रसव की उम्मीद है, उन्हें कुशल जन्म परिचारक, नवजात देखभाल और सुविधाओं की आवश्यकता होगी।
अगर केवल सिंध की बात करें तो इस प्रांत में रिपोर्ट के अनुसार, 1,000 से अधिक स्वास्थ्य सुविधाएं आंशिक रूप से या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जबकि बलूचिस्तान में प्रभावित जिलों में 198 स्वास्थ्य सुविधाओं को नुकसान पहुंचा है।अखबार द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बीमारी के प्रकोप के बारे में चेतावनी दी है, जिसके अनुसार अगले चार से 12 हफ्तों में लगभग 50 लाख लोगों के बीमार होने का अनुमान है।
इनमे सिंध, बलूचिस्तान, दक्षिणी पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों को डायरिया, हैजा, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, टाइफाइड और वेक्टर जनित बीमारियां जैसे डेंगू और मलेरिया होने की प्रबल संभावना है।
पूरे पाकिस्तान में बाढ़ से प्रभावित साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोगों के मध्य इन बीमारियों के प्रकोप सर्वाधिक होने का अनुमान है जिसमे सर्वाधिक पीड़ित बच्चे होंगे। चूंकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है, इसलिए डायरिया, हैजा, टाइफाइड, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, डेंगू और मलेरिया के फैलने का खतरा सर्वाधिक है। कमजोर प्रतिरक्षा के कारण बच्चे ऐसे संक्रमण के लिए खुले होंगे और यदि तत्काल निवारक उपायों को नहीं अपनाया गया तो ये बीमारियां महामारी का रूप ले सकती हैं।
पाकिस्तान की बाढ़ जहां एक ओर प्राकृतिक आपदाओं के सम्मुख लाचार आपदा प्रबंधन तंत्र का उदाहरण प्रस्तुत करती है कि किस प्रकार हर साल आने वाली बाढ़ों को हल्के में लिया जाता रहा है और इससे निपटने के गंभीर उपायों के लिए तैयारी दिखाई नहीं देती। वही दूसरी ओर पाकिस्तान के स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं की यह पोल खोलती है कि कैसे सामान्य स्थितियों में यह जनसाधारण को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में नाकाम रही है, तो ऐसी आपात स्थिति में किस तरह अपनी उपयोगिता दिखा सकती हैं। सप्ताह पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ओर से सहायता भी प्राप्त हुई है जो उसकी देनदारियों के फौरी निपटान में कुछ सहायक सिद्ध हो सकती है, परंतु इन तदर्थ उपायों से पाकिस्तान कोई गंभीर सकारात्मक बदलाव लाने की ओर एक कदम भी नहीं बढ़ रहा है। आपदा और उनके विरुद्ध सरकार का प्रत्युत्तर उसकी कुशलता को दर्शाता है, परंतु हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान की सरकार विफल साबित होती ही दिख रही है।
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