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होम भारत केरल

शरियाई शरारत के आगे झुके कम्युनिस्ट

वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाया गया तो हजारों मुस्लिम सड़क पर उतर आए। तुष्टीकरणवादी कांग्रेसी नेता भी सुर में सुर मिलाने लगे। ऐसे में राज्य की मुस्लिम परस्त कम्युनिस्ट सरकार ने टेक दिए घुटने

आलोक गोस्वामी by आलोक गोस्वामी
Aug 11, 2022, 05:45 pm IST
in केरल
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इस्लामी कट्टरता किस तरह बढ़ती जा रही है, इसका ताजा उदाहरण प्रदेश के अलप्पुझा जिले में देखने में आया। जिले के मुसलमान अपने संख्याबल का बेशर्मी के साथ प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर उतरकर यहां के नवनियुक्त जिलाधिकारी के विरुद्ध लामबंद क्या हुए, पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार घुटने पर आ गई।

केरल में सत्ता की शह पर इस्लामी कट्टरता किस तरह बढ़ती जा रही है, इसका ताजा उदाहरण प्रदेश के अलप्पुझा जिले में देखने में आया। जिले के मुसलमान अपने संख्याबल का बेशर्मी के साथ प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर उतरकर यहां के नवनियुक्त जिलाधिकारी के विरुद्ध लामबंद क्या हुए, पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट सरकार घुटने पर आ गई। सरकार ने 26 जुलाई को पदभार संभालने वाले लोकसेवक को हटाकर 3 अगस्त को नए लोकसेवक को जिलाधिकारी नियुक्त कर दिया। मुसलमान विरोध कर रहे थे जिलाधिकारी बनाए गए एक ब्राह्मण श्रीराम वेंकटरमण का और उनकी मांग के आगे झुकते हुए नए जिलाधिकारी बनाए गए हैं लोकसेवक कृष्णा तेजा।

झारखंड में जिस तरह इन दिनों मुस्लिम बहुल इलाकों के स्कूलों में कायदे-कानूनों को ताक पर रख अपनी शरियाई मर्जी चलाने की घटनाओं में तेजी आई है। ठीक वैसा ही कुछ नजारा केरल के अलप्पुझा जिले में दिखाई दिया। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या अब किसी जिले के मुस्लिम यह तय करेंगे कि उस जिले का जिलाधिकारी कौन बनेगा, कौन नहीं?

केरल में लोकसेवक श्रीराम वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाए जाने के विरुद्ध हजारों मुस्लिमों का सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना यही बताता है कि अलगाववादी तत्वों द्वारा किस तरह देश के कानून और नियमों को अमान्य करने की जुर्रत की जा रही है।

इस विषय की गहराई में जाएं तो, गत 30 जुलाई को जिले में हुए मुसलमानों के जबरदस्त विरोध प्रदर्शन में ‘सुन्नी युवजन संघम’ और ‘सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन’ भी शामिल थे, जो स्थानीय मुस्लिमों को प्रदर्शन के लिए भड़का रहे थे। वे न सिर्फ वेंकटरमण के विरुद्ध अनर्गल आरोप लगा रहे थे, बल्कि उनकी नियुक्ति को रद्द करने की मांग कर रहे थे। मगर सिर्फ उक्त दो कट्टर मुस्लिम संगठन ही इस प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, खबर है कि अन्य कई कट्टर जमातें भी आग को हवा देने में जुटी थीं।

ये कट्टरवादी तत्व वेंकटरमण पर सिराज दैनिक में काम करने वाले के.एम. बशीर नामक पत्रकार की मौत का कथित आरोप लगाते हुए वेंकटकमण की नियुक्ति को रद्द करने के नारे लगा रहे थे। यहां बता दें कि दैनिक सिराज ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा का अखबार है। आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाए जाने के विरुद्ध कट्टर मुस्लिम तत्वों ने यह प्रदर्शन प्रदेश की राजधानी तिरुअनंतपुरम में राज्य सचिवालय तथा तमाम जिला सचिवालयों के सामने किया था। उनकी एक ही मांग थी कि वेंकटरमण को यहां का जिलाधिकारी न बनाया जाए।

ब्राह्मण हैं इसलिए विरोध!
हालांकि स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि मुस्लिमों का विरोध सिर्फ और सिर्फ इस बात पर था कि वेंकटरमण ब्राह्मण हैं। वे यह नहीं चाहते थे कि एक ब्राह्मण को जिलाधिकारी बनाया जाए। इस प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब साझा हो रहा है जिसमें कट्टर मुस्लिमों की एक भीड़ नारे लगाते हुए दिख रही है।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार है। इसलिए मुस्लिमों को इस बात से और भी चिढ़ है कि उसने कैसे एक ब्राह्मण को ‘उनके’ जिले का जिलाधिकारी बना दिया! ये मुस्लिम संगठन माकपा के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के फैसले का विरोध कर रहे थे। हालांकि पहले तो मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने लोकसेवक वेंकटरमण की नियुक्ति को सही ठहराया, लेकिन ज्यादा वक्त नहीं बीता और उन्होंने भांप लिया कि मुस्लिमों को नाराज किया तो वोटबैंक खिसक जाएगा। लिहाजा फैसला पलट दिया गया।

इस मामले में कांग्रेस से जिस सेकुलर रवैए की अपेक्षा थी, उसने उसी के अनुसार वक्तव्य दिया। पार्टी के महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल और कांग्रेस के दूसरे बड़े नेताओं ने श्रीराम वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाने के केरल सरकार के फैसले की निंदा की। आखिर वायनाड से सांसद राहुल गांधी की पार्टी मुस्लिमों की कट्टरवादी सोच के विरुद्ध जा भी कैसे सकती थी? अलप्पुझा जिला कांग्रेस कमेटी ने भी इस अलगाववादी माहौल में राजनीतिक रोटियां सेंकने की गरज से 25 जुलाई को जिला सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया था।

आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमण

कांग्रेस के नेता वेणुगोपाल का कहना था कि ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने गंभीर आरोपों से घिरे वेंकटरमण जैसे अधिकारी को इस पद पर नियुक्त किया गया था। सरकार को जिलाधिकारी जैसे बड़े पद पर एक ऐसे को व्यक्ति बैठाना चाहिए था जो अलप्पुझा में गरीबों की मुश्किलें समझ सके’। कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं रमेश चेन्नितला, विधायक हरिपद आदि ने भी वेंकटरमण की नियुक्ति को अनुचित बताया।

 

इधर सेकुलर पत्रकार भी वेंकट

रमण की नियुक्ति के विरुद्ध लामबंद हो गए थे। बशीर की मौत की आड़ में केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने राज्य सरकार से यह मांग की कि इस फैसले को वापस लें।

उधर केरल के कई ईसाई संगठनों का मानना है कि मुस्लिम इस मुद्दे को बेवजह तूल दे रहे थे। कट्टरवादी माने जाने वाले डेमोक्रेटिक क्रिश्चियन फेडरेशन केरला ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि ‘मुसलमानों के इस मजहबी उन्माद की वजह से मृतक (बशीर) की बजाय कलेक्टर के प्रति सहानुभूति बढ़ गई है।…यह सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं है, यह एक चुनौती है, न सिर्फ वेंकटरमण के लिए बल्कि नौकरशाही और सरकार के लिए भी’।

उल्लेखनीय है कि अलप्पुझा जिले का जिलाधिकारी बनाए जाने से पहले वेंकटरमण केरल चिकित्सा सेवा निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर थे। अब उन्हें सरकारी उद्यम सप्लाई कंपनी का महाप्रबंधक बनाया गया है।

Topics: डेमोक्रेटिक क्रिश्चियन फेडरेशन केरलावाम लोकतांत्रिक मोर्चेअलप्पुझा जिले
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