केरल में सत्ता की शह पर इस्लामी कट्टरता किस तरह बढ़ती जा रही है, वायनाड के बाद इसका एक ताजा उदाहरण प्रदेश के अलप्पुझा जिले में देखने में आ रहा है। इस जिले के मुसलमान अपने संख्याबल का का बेशर्म प्रदर्शन करते हुए सड़कों पर उतरकर यहां के नवनियुक्त जिलाधिकारी का विरोध कर रहे हैं। उन्हें जिलाधिकारी के एक हिन्दू और तिस पर ब्राह्मण होने को लेकर कथित आपत्ति है। ऐसी शरियाई शरारत करने वालों ने हालांकि अपने विरोध के पीछे ‘कुछ और’ ही वजह बताई है।
झारखंड में जिस तरह इन दिनों मुस्लिम बहुत इलाकों के स्कूलों में कायदे—कानूनों को ताक पर रखकर अपनी शरियाई मर्जी चलाने की घटनाओं में इधर तेजी आई है। ठीक ऐसा ही कुछ नजारा केरल के अलप्पुझा जिले में दिखाई दे रहा है। क्या अब वहां के मुस्लिम तय करेंगे कि जिले का जिलाधिकारी कौन बनेगा, कौन नहीं?
केरल में लोकसेवक श्रीराम वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाए जाने के विरुद्ध हजारों मुस्लिमों का सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना बताता है कि देश के कानून और नियमों को किस तरह अमान्य करने की जुर्रत ऐसे अलगाववादी तत्वों द्वारा की जा रही है।
गत 30 जुलाई को जिले में किए गए उस विरोध प्रदर्शन में ‘सुन्नी युवजन संघम’ और ‘सुन्नी स्टूडेंट्स फेडरेशन’ भी शामिल थे जो स्थानीय मुस्लिमों को भड़काकर सड़क पर उतार रहे थे। वे न सिर्फ वेंटरमण के विरुद्ध अनर्गल आरोप लगा रहे थे, बल्कि उनकी नियुक्ति भी रद्द करने की मांग कर रहे थे। सिर्फ उक्त दो कट्टर मुस्लिम संगठन ही इस प्रदर्शन में शामिल नहीं थे, खबर है कि अन्य कई कट्टर जमातें भी आग को हवा देने में जुटी थीं।
कट्टरवादी तत्व वेंकटरमण पर सिराज दैनिक में काम करने वाले के.एम. बशीर नामक पत्रकार की मौत का कथित आरोप लगाते हुए उनकी नियुक्ति को रद्द करने के नारे लगा रहे थे। आईएएस अधिकारी श्रीराम वेंकटरमण की अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाए जाने के विरुद्ध कट्टर मुस्लिम तत्वों का ये प्रदर्शन प्रदेश की राजधानी तिरुअनंतपुरम में राज्य सचिवालय तथा तमाम जिला सचिवालयों के सामने किया गया था।उनकी एक ही मांग थी कि वेंकटरमण को यहां जिलाधिकारी न बनाया जाए।
हालांकि स्थानीय हिन्दुओं का कहना है कि मुस्लिमों का विरोध सिर्फ और सिर्फ इस बात पर है कि वेंकटरमण ब्राह्मण हैं। वे नहीं चाहते कि एक ब्राह्मण को जिलाधिकारी बनाया जाए। इस प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब साझा हो रहा है जिसमें कट्टर मुस्लिमों की एक भीड़ नारे लगाते हुए दिख रही है। (देखें संलग्न वीडियो)
https://twitter.com/i/status/1553994850424332289
उल्लखेनीय है कि प्रदेश में वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार है। इसलिए मुस्लिमों को और भी चिढ़ है कि उसने कैसे एक ब्राह्मण को ‘उनके’ जिले का जिलाधिकारी बना दिया! मुस्लिम संगठन माकपा के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। जबकि मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने लोकसेवक वेंकटरमण की नियुक्ति को सही ठहराया है। वे अपने फैसले पर फिलहाल कायम दिखाई दे रहे हैं।
इस मामले में कांग्रेस से जिस सेकुलर रवैए की अपेक्षा थी उसने उसी के अनुसार वक्तव्य दिया है।पार्टी के महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल और कांग्रेस दूसरे बड़े नेताओं ने भी श्रीराम वेंकटरमण को अलप्पुझा का जिलाधिकारी बनाने के केरल सरकार के फैसले की निंदा की है। आखिर वायनाड से सांसद बने राहुल गांधी की पार्टी मुस्लिमों की कट्टरवादी सोच के विरुद्ध जा भी कैसे सकती है? अलप्पुझा जिला कांग्रेस कमेटी ने भी इस अलगाववादी माहौल में राजनीतिक रोटियां सेंकने की गरज से 25 जुलाई को जिला सचिवालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया था।
कांग्रेस के नेता वेणुगोपाल का कहना था कि ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे गंभीर आरोपों से घिरे वेंकटरमण जैसे अधिकारी को इस पद पर नहीं बैठाना चाहिए। सरकार को एक ऐसा व्यक्ति पद पर बैठाना चाहिए था जो अलप्पुझा में गरीबों की मुश्किलें समझ सके’।
इधर सेकुलर पत्रकार भी वेंकटरमण की नियुक्ति के विरुद्ध लामबंद हुए। बशीर की मौत की आड़ में केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने भी राज्य सरकार से मांग की है कि इस फैसले को वापस लिया जाए। इस संगठन ने भी अपना अलग से विरोध प्रदर्शन किया था। उल्लेखनीय है कि अलप्पुझा जिले के जिलाधिकारी बनाए जाने से पहले वेंकटरमण केरल चिकित्सा सेवा निगम के प्रबंध निदेशक के पद पर थे।
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