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होम भारत

कॉर्बन उत्सर्जन घटाने का नेपाल का प्रयास : डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा

भारत में नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा ने बताया कि भोगोलिक दृष्टि से नेपाल भले छोटा है

पाञ्चजन्य ब्यूरो by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jun 27, 2022, 12:51 pm IST
in भारत
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भारत में नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा ने बताया कि भोगोलिक दृष्टि से नेपाल भले छोटा है, परंतु अपनी जैव विविधता के कारण कार्बन उत्सर्जन घटाने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन का दुष्प्रभाव नेपाल को भी झेलना पड़ रहा है

पाञ्चजन्य और आर्गनाइजर द्वारा दिल्ली में आयोजित पर्यावरण संवाद में भारत में नेपाल के राजदूत डॉ. शंकर प्रसाद शर्मा ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से नेपाल बहुत छोटा और असमानताओं भरा देश है। एक ओर मैदानी इलाका है तो महज सौ किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ हैं।

आबोहवा में बहुत ज्यादा बदलाव देखने में आते हैं। इसलिए हमारे यहां जैव विविधता है। विश्वभर में हो रहा जलवायु परिवर्तन नेपाल पर भी अपना दुष्प्रभाव दिखा रहा है। हमारे यहां कुल भूमि का 41 प्रतिशत वन क्षेत्र है लेकिन हम प्रयास कर रहे हैं कि वन को संरक्षित रखते हुए इसे और आगे बढ़ाकर 2030 तक 45 प्रतिशत तक ले जाएं।

नेपाल भारत को बीस हजार मेगाटन बिजली दे तो भारत का 2.3 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है। इससे प्रदूषण में बहुत हद तक फर्क पड़ेगा। खुशी की बात है कि अभी हाल ही में भारत और नेपाल के बीच हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में एक समझौता हुआ है

उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन के दुष्परिणाम से नेपाल भी अछूता नहीं है, लेकिन हमारे यहां यह अपेक्षाकृत काफी कम है। लेकिन दूसरी ओर विकसित देशों में बढ़ते कार्बन उत्सर्जन का दुष्परिणाम नेपाल जैसे छोटे देश को भी झेलना पड़ता है। इसका एक दुष्प्रभाव तो हिमालय क्षेत्रों में देखने में आ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं।

श्री शर्मा ने कहा कि नेपाल में जल विद्युत की असीम संभावनाएं हैं और हम इस क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। विश्वबैंक के अनुसार अगर नेपाल भारत को बीस हजार मेगाटन बिजली दे तो भारत का 2.3 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन कम हो सकता है। इससे प्रदूषण में बहुत हद तक फर्क पड़ेगा। खुशी की बात है कि अभी हाल ही में भारत और नेपाल के बीच हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में एक समझौता हुआ है।

Topics: नेपालजलवायु परिवर्तनभारतपर्यावरण संवाद
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