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ब्रिटेन में छोटे बच्चों को अश्वेतों के योगदान की पढ़ाई कराने को लेकर छिड़ा विवाद

एक अध्ययन का निष्कर्ष निकला है कि 'अश्वेतों पर हुए अत्याचारों' को लेकर नई पीढ़ी अंधेरे में है।

by WEB DESK
May 31, 2022, 06:20 pm IST
in विश्व
ब्रिटेन में भी दिखा था ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का असर  

ब्रिटेन में भी दिखा था ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का असर  

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एक अध्ययन का निष्कर्ष निकला है कि ‘अश्वेतों पर हुए अत्याचारों’ को लेकर नई पीढ़ी अंधेरे में है। उन्हें पता ही नहीं ‘ब्लैक’ यानी अश्वेतों ने पश्चिम के लिए क्या योगदान दिया है

अमेरिका में करीब दो साल पहले जार्ज फ्लॉयड की पुलिसकर्मियों की गिरफ्त में मौत को लेकर खूब बवाल मचाया गया था। ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन के नाम पर पूरे देश का पंगू कर दिया गया था। चारों तरफ ‘रंगभेद खत्म करने की मांग’ पर दंगे, लूटपाट और आगजनी का रौद्र रूप देखने में आया था। अब एक अध्ययन का निष्कर्ष निकला है कि ‘अश्वेतों पर हुए अत्याचारों’ को लेकर नई पीढ़ी अंधेरे में है। उन्हें पता ही नहीं ‘ब्लैक’ यानी अश्वेतों ने पश्चिम के लिए क्या योगदान दिया है। इसलिए अब ब्रिटेन सरकार ने तय किया है कि 5 से 14 साल तक के बच्चों को स्कूलों में इतिहास की किताबों में ‘अश्वेतों के योगदान’ का पाठ पढ़ाया जाएगा।

इस नई पहल के तहत अश्वेतों को गुलाम बनाकर उनकी खरीद-फरोख्त करने जैसे औपनिवेशिक काल के श्वेत शासकों के अत्याचारों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। ब्रिटेन में इसे ‘मॉडल करिकुलम’ का नाम दिया गया है। इसका मकसद यही है कि अगली पीढ़ी में अश्वेतों के प्रति नजरिया बदला जाए। इस पाठ्यक्रम के तहत ऐसे अश्वेत नेताओं की गाथाएं पढ़ाई जाएंगी जिन्होंने ब्रिटेन को विकसित करने में योगदान दिया है।

बहुत से लोग इतिहास की किताबों में इस तरह के बदलाव करने को लेकर राजी नहीं हैं। उनका कहना है कि सिर्फ इतिहास पढ़कर ही अश्वेतों के प्रति दिल में सहानुभूति नहीं जाग जाएगी। हालांकि ब्रिटेन के स्कूली शिक्षा मंत्री रॉबिन वॉकर कहते हैं कि नया पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य नहीं किया गया है।

यहां ध्यान रहे कि अमेरिका में दो साल पहले जो ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ आंदोलन छेड़ा गया था उसे दुनियाभर के तथाकथित प्रगतिशील और वामपंथी सेकुलरों ने खुलकर समर्थन दिया था। ये ही तत्व थे जिन्होंने इस आंदोलन को दूसरे देशों तक फैला दिया था। तबसे ही ‘ब्लैक’ लोगों की पैरोकारी करने वाले कई सेकुलर गुट उभर आए हैं।

लेकिन ब्रिटेन सरकार के इस नए फैसले का लागू होना सहज नहीं है। फैसले की घोषणा होते ही ब्रिटेन में इस पर तीखी बहस छिड़ गई। कुछ स्कूल प्रबंधनों का कहना है कि नया पाठ्यक्रम लागू करना इतना सहज नहीं है। इसका एक कारण तो ये है कि पुराने पाठ्यक्रमों की इतिहास की किताबें बच्चों ने खरीद ली हैं। लेकिन एक बड़ा कारण ये भी है कि बहुत से लोग इतिहास की किताबों में इस तरह के बदलाव करने को लेकर राजी नहीं हैं। उनका कहना है कि सिर्फ इतिहास पढ़कर ही अश्वेतों के प्रति दिल में सहानुभूति नहीं जाग जाएगी। हालांकि ब्रिटेन के स्कूली शिक्षा मंत्री रॉबिन वॉकर कहते हैं कि नया पाठ्यक्रम लागू करना अनिवार्य नहीं किया गया है।

 

 

Topics: अमेरिकाजार्ज फ्लॉयडअश्वेतों पर हुए अत्याचार
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