अभिव्यक्ति की भेदभावपूर्ण स्वतंत्रता
Wednesday, July 6, 2022
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • Subscribe
होम भारत

अभिव्यक्ति की भेदभावपूर्ण स्वतंत्रता

मीडिया महामंथन के अंतर्गत पहले सत्र सोशल मीडिया पंचायत में वक्ताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति पर जबरदस्त विमर्श किया

आशीष कुमार अंशु by आशीष कुमार अंशु
May 31, 2022, 07:30 am IST
in भारत
मंच पर बाएं से आनंद रंगनाथन,शेफाली वैद्य,प्रफुल्ल केतकर,हितेश शंकर,मालिनी अवस्थी, कपिल मिश्रा एवं अंशुल सक्सेना

मंच पर बाएं से आनंद रंगनाथन,शेफाली वैद्य,प्रफुल्ल केतकर,हितेश शंकर,मालिनी अवस्थी, कपिल मिश्रा एवं अंशुल सक्सेना

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

मीडिया महामंथन के अंतर्गत पहले सत्र सोशल मीडिया पंचायत में वक्ताओं ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति पर जबरदस्त विमर्श किया। सवाल उठे कि एक ही बात पर एक के लिए सजा और दूसरे को छूट अभिव्यक्ति की कैसी स्वतंत्रता है। सवाल यह भी हुआ कि कौन तय करेगा कि क्या हेट स्पीच है और क्या नहीं? सवाल खड़े हुए कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्षेत्र देखकर या समुदाय की आक्रामकता के आधार पर तय की जाएगी

जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और लेखक आनंद रंगनाथन, लेखिका, ब्लॉगर, एवं सोशल मीडिया का जाना-माना चेहरा शेफाली वैद्य, लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, राजनीतिक कार्यकर्ता एवं हिंदू इकोसिस्टम वेबसाइट के संस्थापक कपिल मिश्रा और सोशल मीडिया विशेषज्ञ एवं एन्फ्लुएंसर अंशुल सक्सेना पाञ्चजन्य-आर्गनाइजर के संयुक्त तत्वावधान में हुए मीडिया महामंथन 2022 में सोशल मीडिया पंचायत में मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बोलने आए थे।

पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संचालन के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के शंख पाञ्चजन्य का जिक्र करते हुए पत्रिका और श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़े प्रसंग का उल्लेख किया। हितेश शंकर ने कहा – ”जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। उनका गला घोटने के लिए पूतना आई थी। उसी तरह जब पाञ्चजन्य का प्रकाशन प्रारंभ हुआ, उसी दौरान गांधी हत्या की भी खबर आई। उसके बाद सारा सरकारी अमला पूतना की तरह पाञ्चजन्य का गला घोटने के पीछे पड़ गया था।” पूतना की यह नियति है कि वह हर युग में कभी कृष्ण और कभी अभिव्यक्ति की हत्या का प्रयास तो करती है लेकिन सफल कभी नहीं हो पाती। न वह श्रीकृष्ण के समय सफल हो पाई और ना पाञ्चजन्य के समय में।
आॅर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने उच्चतम न्यायालय के रोमेश थापर केस, 1950 का जिक्र किया।

रोमेश थापर एक पत्रकार थे, वे अंग्रेजी साप्ताहिक ‘क्रॉस रोड्स’ निकाल रहे थे। उनकी पत्रिका को उस समय की तमिलनाडु सरकार ने राज्य में प्रतिबंधित करने की बात की। उनका कहना था कि यह पत्रिका केरल से आती है। उसे केरल में ही बिकने दिया जाए। चेन्नई में यह नहीं बिकेगी। सरकार का कहना था कि इस पत्रिका की वजह से नागरिक सुरक्षा खतरे में है और सरकार को अधिकार है कि वह ऐसी पत्रिका को प्रतिबंधित कर दे, जिससे नागरिक सुरक्षा प्रभावित होती हो। पत्रकार रोमेश थापर ने इस प्रतिबंध को न्यायालय में चुनौती दी। उन्होंने न्यायालय में यह तर्क दिया कि संविधान का अनुच्छेद 19 (क) मुझे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। इसके अन्तर्गत मुझे पत्रिका के प्रचार और प्रसार की स्वतंत्रता भी हासिल है। पत्रिका पर चेन्नई में प्रतिबंध मेरे मौलिक अधिकार को प्रभावित कर रहा है। इस मामले में न्यायालय ने रोमेश थापर के पक्ष फैसला सुनाया था। सिर्फ सरकार की आलोचना किए जाने की वजह से किसी पत्रिका को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।
1950 में संविधान आया और 18 महीने के अंदर नेहरू सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संशोधन लेकर आ गई। उसने अभिव्यक्ति की आजादी के साथ कुछ यथोचित प्रतिबंध जोड़ दिए। नेहरूजी देश के प्रधानमंत्री थे, तब ही यह बात स्पष्ट कर दी गई थी कि सरकारें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संविधान प्रदत्त अधिकार को कम कर सकती हैं।

Download Panchjanya App

हितेशजी और प्रफुल्लजी द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तैयार की गई बहस की इस जमीन पर प्रो. आनंद रंगनाथन ने कहा कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर देश में दो तरह का माहौल है। एक तरह से कहा जा सकता है कि एक पक्ष को इस मामले में पूरी आजादी दी गई है जबकि दूसरे पक्ष के साथ ऐसा नहीं है। रंगनाथन ने कहा कि आजकल हेट स्पीच को लेकर काफी बात की जा रही है लेकिन हेट स्पीच कौन सी है और कौन सी नहीं? आखिर यह कौन तय करेगा? आज के दौर में सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने को लेकर अलग अलग पक्षों के साथ अलग अलग व्यवहार किया जा रहा है जो कि सही नहीं है।

मालिनी अवस्थी ने कहा – जो देश में असहिष्णुता का रोना रोते हैं, वास्तव में उनसे बड़ा असहिष्णु कोई नहीं है! यह सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कालखण्ड है! यह राष्ट्र के भाग्योदय का समय है, इसमें सबकी भूमिका निर्धारित है! मालिनी ने जहां एक तरफ सोशल मीडिया को दोधारी तलवार कहा, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने सोए हुए भारत को जगाने का श्रेय भी सोशल मीडिया को ही दिया।
मालिनी ने कहा, मौजूदा समय में केवल हिंदुओं की आस्था पर चोट की जाती है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम दे दिया जाता है। हालांकि यही रवैया दूसरे धर्म के मामले में नहीं अपनाया जाता है। लोकगायिका ने कहा, मौजूदा समय में शिवलिंग के मिलने को लेकर तरह-तरह के मजाक बनाए जा रहे हैं लेकिन किसी तरह की हिंसा नहीं होती। जबकि यही बात अगर किसी दूसरे धर्म के साथ होती है तो नतीजा दूसरा होता है।

कपिल मिश्रा ने तीखे व्यंग्य के जरिए विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवराज लंदन जाकर भारत माता को गाली दे सकते हैं, भारत एक राष्ट्र नहीं है, ये कह सकते हैं, लेकिन ये सब फ्रीडम आफ स्पीच के तहत आता है। भाजपा नेता ने कहा, यहां करवाचौथ का विरोध करने वाले, हिजाब के समर्थन में आ जाते हैं। यहां शिवलिंग का अपमान करने की आजादी है, बग्गा जैसे भाजपा नेता को घर से उठाने की आजादी है। औवेसी के हालिया बयानों पर प्रतिक्रिया में कपिल मिश्रा ने कहा, जो जिस भाषा में समझेगा उसको उसी भाषा में समझाएंगे।

कपिल मिश्रा ने सिलसिलेवार तरीके से उस कथित ‘आजादी’ पर तंज करते हुए एक गीत सुनाया, जो समुदाय विशेष के अधिकारों को लेकर जागरूक है लेकिन जिसे देश की बहुसंख्यक आबादी के मानवाधिकार की चिन्ता नहीं है। कपिल ने जहांगीरपुरी में देश की कानून व्यवस्था का माखौल बनाने की जो कुत्सित कोशिश हुई, उसके संदर्भ में सुनाया —
”आजादी है अंसारों के लिए कोर्ट खुलवाने की,
आजादी है घुसपैठियों पर चलते बुलडोजर रुकवाने की।”
मोहम्मद अंसार जहांगीरपुरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी है। बाद में जब अवैध निर्माण हटाने के लिए जहांगीरपुरी में बुलडोजर पहुंचा तो उसे न्यायालय के आदेश से रुकवाया गया।

मीडिया एन्फ्लुएंसर अंशुल सक्सेना सोशल मीडिया पर भारतीयता के पक्ष में योद्धा की तरह खड़े नजर आते हैं। अंशुल ने मंच से कहा – ”कोरोना के समय पर जितने अंतिम संस्कार हो रहे थे, उसकी नुमाइश सोशल मीडिया पर लगी हुई थी। उसी दौरान किसी मुस्लिम व्यक्ति का एक फोटो वायरल हो गया। उस मीडिया चैनल को वह तस्वीर डिलीट कर देनी पड़ी क्योंकि उसे धमकी भरे फोन और संदेश आ रहे थे। यह चैनल सबसे अधिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात करता है। जब इसने तस्वीर डिलीट कर दी, किसी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात नहीं की।”

अंशुल आगे कहते हैं – ”यदि धार्मिक भावना की ही यहां बात करूं तो पिछले तीन दिनों से हम देख रहे हैं कि किस तरह शिवलिंग का सोशल मीडिया पर मजाक बनाया जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति गलती से भी इस्लाम पर बोल दे तो हमारे न्यायालय से कहा जाता है कि आप कुरआन की प्रतियां बांटें। रांची की एक छात्रा के साथ ऐसा हुआ था। उसने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर दिया था। वह पोस्ट शेयर करने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया और फिर वहां के न्यायालय ने बोला कि इस शर्त पर जमानत मिल रही है कि तुम्हें कुरआन की पांच कॉपी बांटनी है। ऐसा कभी किसी गैर हिन्दू के साथ नहीं हुआ कि उसे कहा गया हो कि तुम जाकर हनुमान चालीसा बांटो।”

 

आजादी है…

मीडिया महामंथन 2022 में सोशल मीडिया पंचायत में सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता कपिल मिश्रा ने एक कविता सुनाई जिसमें अभिव्यक्ति और आजादी के नाम पर वामपंथी इकोसिस्टम के पाखंड को उजागर किया गया है।

भोलेनाथ के शिवलिंग का अपमान करो, आजादी है,
औरंगजेब और बाबर को भी बाप कहो, आजादी है।
लंदन जाकर भारत मां को गाली देने की आजादी है,
भारत कोई राष्ट्र नहीं यह कहने की आजादी है।
आजादी है बग्गा के घर में घुस कर दंगा करने की,
बंगाल में हिन्दू औरतों को सड़कों पर नंगा करने की।
रामनवमी के भक्तों पर बम बरसाने की आजादी है,
कॉलेज में घुसकर अल्लाह हू अकबर चिल्लाने की आजादी है।

आजादी है अंसारों के लिए कोर्ट खुलवाने की,
आजादी है घुसपैठियों पर चलते बुलडोजर रुकवाने की।
शरद पंवार की बात करोगे तो जेल में डाले जाओगे,
केजरीवाल का जिक्र करो घर से उठावाए जाओगे।
ममता दीदी की सत्ता में आतंक हुआ सरकारी है,
गहलोत चचा के राज में हिन्दू होना भी लाचारी है।

मुम्बई में चालीसा का पाठ बड़ा दुश्वार हुआ,
झारखंड में पूजा करते रूपेश पर कातिल वार हुआ।

रोहिंग्या को दामाद बनाकर रखने की आजादी है,
खालिस्तानी नारों पर ताली बजने की आजादी है।
उनको सड़कों पर भी कब्जा करवाने की आजादी है,
और अगर तुम हिन्दू हो तो मर जाने की आजादी है।

 

आनंद रंगनाथन ने -”मुझे लगता है कि हर कोई सलमान रश्दी और शार्ली हेब्दो के पत्रकारों की आजादी के साथ खड़ा होगा।” आनंद अपनी बात को कुछ इस तरह आगे बढ़़ाते हैं— ”अगर आप उनके साथ खड़े हैं, इसका अर्थ है कि आप उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करना चाहते हैं। आप भले ही उनसे राजी न हों, लेकिन आप यह चाहते हैं कि वह जो भी बोलना चाहते हैं, उन्हें बोलने दिया जाए।” इतना कहने के बाद वे प्रो. रतन लाल के किए जा रहे विरोध को पाखंड बताते हुए कहते हैं— ”रतन लाल ने जो कहा मुझे वह अच्छा नहीं लगता, लेकिन उन्हें यह कहने का हक है।

किसी भी तर्कशील व्यक्ति को आनंद की कही हुई बात सुनकर आनंद आ जाएगा लेकिन इसके साथ हमें भूलना नहीं चाहिए कि कहने की आजादी भी हमें कुछ विशेष शर्तों के साथ नेहरूजी ने दी है। शेफाली वैद्य ने कहने की आजादी पर बात की शुरुआत उन तीन लोगों से की, जिनकी बीते दस दिनों में गिरफ्तारी हुई। उनमें एक मराठी अभिनेत्री केतकी चितले भी हैं। चितले जिस सोशल मीडिया पोस्ट के आरोप में गिरफ्तार हुई हैं, वह उन्होंने लिखी भी नहीं है। उन्होंने एक कविता शेयर की, जिसमें 80 साल के एक बुजुर्ग का जिक्र है, जिसका सरनेम पवार है। इतने भर से चितले गिरफ्तार कर ली गईं। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार है, संभवत: इसलिए कहने की आजादी को लेकर जो गिरोह सक्रिय रहता है, उसने चुप्पी ओढ़ ली। यह गिरोह उस समय भी खामोश रहा, जब राजस्थान की कांग्रेस सरकार अभिनेत्री पायल रोहतगी को नेहरू पर टिप्पणी के लिए गिरफ्तार करके ले गई थी।

शेफाली ने मंच से प्रशांत कनौजिया केस का जिक्र करते हुए कहा उसमें सर्वोच्च न्यायालय कहता है कि आप अभद्र टिप्पणी पर गिरफ्तार नहीं कर सकते। गिरफ्तारी और हिरासत गैरकानूनी है और इससे व्यक्तिगत आजादी का हनन होता है। प्रशांत ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अभद्र टिप्पणी की थी।

दूसरी तरफ 1707 को मर चुके औरंगजेब लिखने के लिए आज 2022 में शेफाली को अभद्र गालियां दी जा रही हैं। शेफाली का यह प्रश्न सही तो है कि महाराष्ट्र की सरकार नाम शिवाजी का लेती है और सुरक्षा औरंगजेब की कब्र को देती है। 1707 में मर चुके औरंगजेब लिखने के लिए वर्ष 2022 में शिवसेना की सरकार में उनकी गिरफ्तारी हो सकती है और उनका अपराध फिर यही लिखा जाएगा कि लेखिका शेफाली वैद्य नृशंस हत्यारे और क्रूर शासक औरंगजेब पर किताब लिख रही थीं। कहने की आजादी हमें लंबे संघर्ष के बाद मिली है, इसे इतनी आसानी से हमें नहीं खोना है।

Topics: मीडिया महामंथनसोशल मीडिया पंचायतभगवान श्रीकृष्ण के शंख पाञ्चजन्य
ShareTweetSendShareSend
Previous News

फेफड़ों को ही नहीं, पर्यावरण को भी तबाह करती है तम्बाकू

Next News

जम्मू-कश्मीर : सुरक्षाबलों ने अवंतीपोरा में दो आतंकियों को किया ढेर, 24 घंटे में मारे गए 4 आतंकी

संबंधित समाचार

पांच साल में बदला उत्तर प्रदेश

पांच साल में बदला उत्तर प्रदेश

विमर्श का आनंद

विमर्श का आनंद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कंगाल-बेहाल पाकिस्तान में ‘पीओके’ के ‘सुल्तान’ करोड़ों लुटा रहे आलीशान कारों पर

कंगाल-बेहाल पाकिस्तान में ‘पीओके’ के ‘सुल्तान’ करोड़ों लुटा रहे आलीशान कारों पर

असम : काबुल, मिठ्ठू, नजीर और रिपन खान ने तोड़ा बांध, बाढ़ में तबाह हुआ सिलचर शहर, कईयों की मौत

असम : काबुल, मिठ्ठू, नजीर और रिपन खान ने तोड़ा बांध, बाढ़ में तबाह हुआ सिलचर शहर, कईयों की मौत

जस्टिस सूर्यकांत और पारदीवाला पर महाभियोग चलाने के लिए ऑनलाइन कैंपेन शुरू, हर घंटे जुड़ रहे सैकड़ों लोग

जस्टिस सूर्यकांत और पारदीवाला पर महाभियोग चलाने के लिए ऑनलाइन कैंपेन शुरू, हर घंटे जुड़ रहे सैकड़ों लोग

मदरसा शिक्षकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से हाई कोर्ट का इंकार

मदरसा शिक्षकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से हाई कोर्ट का इंकार

उत्तराखंड में आइडिया ग्रेट चैलेंज में भागीदारी करें युवा : धामी

उत्तराखंड में आइडिया ग्रेट चैलेंज में भागीदारी करें युवा : धामी

‘मां काली’ पर दिए बयान के बाद TMC सांसद महुआ मोइत्रा की गिरफ्तारी की उठी मांग, भोपाल में मामला दर्ज

‘मां काली’ पर दिए बयान के बाद TMC सांसद महुआ मोइत्रा की गिरफ्तारी की उठी मांग, भोपाल में मामला दर्ज

महुआ मोइत्रा की गिरफ्तारी के लिए सड़कों पर उतरी भाजपा महिला मोर्चा, 57 शिकायतें दर्ज

महुआ मोइत्रा की गिरफ्तारी के लिए सड़कों पर उतरी भाजपा महिला मोर्चा, 57 शिकायतें दर्ज

लक्ष्मीबाई केलकर : नारी जागरण की अग्रदूत

लक्ष्मीबाई केलकर : नारी जागरण की अग्रदूत

दिल्ली से दुबई जा रहे स्पाइसजेट के विमान में तकनीकी खराबी, कराची में उतरना पड़ा

स्पाइस जेट के खिलाफ कार्रवाई को तैयार डीजीसीए, भरोसेमंद सेवाएं नहीं दे पा रही कंपनी

दुबई में भारतीय युवक रोशन पटेल की हत्या, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी युवकों पर हत्या का आरोप

दुबई में भारतीय युवक रोशन पटेल की हत्या, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी युवकों पर हत्या का आरोप

  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping
  • Terms

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies