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कांग्रेस एक, पर चाल, चेहरे और चरित्र अनेक

कांग्रेस पार्टी के अलग—अलग राज्यों में अलग—अलग चेहरे देखने को मिल रहे हैं। इन दिनों वह कर्नाटक और महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का विरोध कर रही है, तो मध्य प्रदेश में अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि रामनवमी पर श्रीराम की पूजा करें और हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा का पाठ करें। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि श्रीराम के नारे लगाने वाले साम्प्रदायिकता बढ़ा रहे हैं।

by अरुण कुमार सिंह
Apr 6, 2022, 01:19 pm IST
in भारत
कांग्रेस का चुनाव चिह्न

कांग्रेस का चुनाव चिह्न

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कांग्रेस पार्टी के अलग—अलग राज्यों में अलग—अलग चेहरे देखने को मिल रहे हैं। इन दिनों वह कर्नाटक और महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का विरोध कर रही है, तो मध्य प्रदेश में अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि रामनवमी पर श्रीराम की पूजा करें और हनुमान जयंती पर हनुमान चालीसा का पाठ करें। वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि श्रीराम के नारे लगाने वाले साम्प्रदायिकता बढ़ा रहे हैं।

ऐसा लगता है कि इन दिनों कांग्रेस एक ऐसी अंधेरी गुफा में फंस हुई है, जहां उसे यह पता नहीं चल पा रहा है कि पग किधर बढ़ाएं कि बाहर निकल सकें। छटपटाहट में जो भी चाल चल रही है, उसमें वह और भी फंसती जा रही है। भिन्न—भिन्न प्रदेशों में उसकी अलग—अलग सोच, चेहरे और विचारों को देखकर यही कहा जा सकता है। कर्नाटक में कांग्रेस के नेता हनुमान चालीसा का विरोध कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इन दिनों कर्नाटक के कुछ हिंदुत्ववादी संगठन यह मांग कर रहे हैं कि राज्य सरकार 2005 के सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश का पालन कराए, जिसमें कहा गया है कि रात के 10 बजे से लेकर सुबह छह बजे तक कुछ आवश्यक कार्यों को छोड़कर सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकर नहीं बजाया जा सकता है। इस बीच यदि कोई कार्यक्रम हो तो उसके लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेकर लाउडस्पीकर बजाया जा सकता है, लेकिन उसमें भी कई शर्तें हैं। यह आदेश हर तरह के धार्मिक, मजहबी और अन्य संस्थाओं पर लागू होता है। इसी आदेश को आधार बनाकर कर्नाटक के कई संगठन राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह मस्जिदों से लाउडस्पीकर के जरिए हो रही अजान को बंद कराए, क्योंकि यह सरासर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्बई ने कहा भी है कि सरकार इस दिशा में संबंधित पक्षों से बातचीत करके कोई हल निकालेगी। वहीं हिंदुत्ववादी संगठनों का कहना है कि सरकार जब तक मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाती है, तब तक मंदिरों में लाउडस्पीकर के जरिए भजन—कीर्तन किया जाएगा। इसके बाद 5 अप्रैल को कर्नाटक के कई मंदिरों में ऐसा किया भी गया। जिस कांग्रेस ने कभी मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का विरोध नहीं किया, उसके कई नेता इसके विरोध में उतर आए। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, ”इसके पीछे भाजपा है, जो चुनावी वर्ष में हिंदू—मुस्लिम कर रही है।” वहीं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मल्लिका अर्जुन खड़गे के विधायक बेटे प्रियांग खड़गे दो कदम आगे बढ़ गए। उन्होंने कहा, ”मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना मुसलमानों का हक है।”
इसी तरह इन दिनों मुम्बई में भी सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश को लेकर गहमागहमी है। कुछ दिनों पहले ही भाजपा ने मांग की थी कि अजान के समय मस्जिदों से बहुत ही तेज आवाज आती है। इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए। इसके बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे के संस्थापक राज ठाकरे ने सरकार को चेतावनी दे दी कि वह मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए, नहीं तो उसके कार्यकर्ता भी मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे और उसका प्रसारण लाउडस्पीकर से किया जाएगा। इसके बाद मनसे के कार्यकर्ता ऐसा करने भी लगे, लेकिन तुरंत इसके विरोध में कांग्रेस उतर गई। मुम्बई के कांग्रेसियों ने कहा कि सार्वजनिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना कानूनन अपराध है।
वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश कांग्रेस ने पिछले दिनों सभी जिलाध्यक्षों, प्रखंड कांग्रेस अध्यक्षों, विधायकों, पूर्व विधानसभा व लोकसभा प्रत्याशियों, जिला प्रभारियों, मोर्चा, संगठन और विभाग प्रमुखों को एक पत्र लिखकर कहा कि वे रामनवमी के अवसर पर श्रीराम की पूजा करें और हनुमान चालीसा पढ़ें। पत्र में 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रामकथा वाचन और रामलीला जैसे कार्यक्रम करने के लिए भी कहा गया है, जबकि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के दिन हनुमान चालीसा और सुंदर काण्ड का पाठ करने के लिए कहा गया है।
वहीं राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक गहलोत प्रत्यक्ष रूप से तो नहीं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह कहते हैं कि जय श्रीराम का नारा लगाने वाले साम्प्रदायिक होते हैं। इस संबंध में उनका एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। यह वीडियो करौली में भारतीय नववर्ष के अवसर पर निकाली गई रैली पर मुसलमानों द्वारा किए गए हमले के बाद आया है। वे कहते हैं,”कौन धर्म ऐसा कहता है कि ऐसे नारे लगाएं कि किसी को पीड़ा हो और दंगे भड़क जाएं…। यानी एक तरह से उन्होंने दंगे का शिकार बने हिंदुओं को ही दोषी ठहरा दिया, जबकि राजस्थान पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि करौली में नववर्ष पर निकाली गई रैली में शामिल युवक शांति से जा रहे थे, तभी मस्जिद और उसके आसपास के घरों से पत्थर और बम फेंके गए।
अशोक गहलोत से जुड़े वीडियो को इस लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं—

यानी कि –
#जय_श्रीराम भड़काऊ नारा है
जिनपर हमला हुआ गलती उन्हीं हिंदुओं की है।
.
.
यानी यह भी कि कांग्रेस ने राजस्थान में अपनी कब्र खोद ली है और अब उसमें उतरने को तैयार है। https://t.co/Svt1nMsytN

— Hitesh Shankar (@hiteshshankar) April 6, 2022

Topics: andonebutmovesfacescharactersmanyCongress
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