गत 23 मार्च को नई दिल्ली के मालवीय स्मृति भवन में ‘सभ्यता अध्ययन केंद्र’ के तत्वावधान में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार की पुस्तक ‘ईसावाद और औपनिवेशिक कानूनों के चक्रव्यूह में झारखंड’ का विमोचन हुआ। जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जन मुंडा, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. अशोक वार्ष्णेय तथा वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने पुस्तक का विमोचन किया।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि सभ्यताओं का अध्ययन करते हुए हमें शोध कार्य को आर्यावर्त एवं जम्बूदीप की भौगोलिक विशालता तक ले जाना चाहिए, तभी हमारे राजनीतिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक प्रभावों का पता चलेगा। उन्होंने अंग्रेजी काल का वर्णन करते हुए फौजदारी कानून का भी उल्लेख किया और कहा कि उन्हें बदले जाने की आवश्यकता है। डॉ. अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि झारखंड किसी भी समस्या को समझने एवं समझकर प्रयोग करने का सबसे उपयुक्त स्थान है। उन्होंने कोयलकारो परियोजना का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार ईसाई तंत्र ने कन्वर्जन को जारी रखने के लिए विकास कार्यों को षड्यंत्रपूर्वक क्रियान्वित नहीं होने दिया। उन्होंने अपने उद्बोधन में ईसाई-नक्सली गठजोड़ को भी बड़ी सूक्ष्मता से समझाया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने कहा कि यह पुस्तक झारखंड में चर्च की गतिविधियों को समझने का एक अच्छा साधन बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस पुस्तक से केवल झारखंड ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारत को समझने की दृष्टि मिलती है। कार्यक्रम में अनेक संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में साहित्यकार और शोधार्थी उपस्थित थे।
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