इस्लाम में चचेरी, ममेरी, मौसेरी या फुफेरी बहन से निकाह करने की इजाजत है। जिसकी वजह से पाकिस्तान के कुछ कस्बों में करीबी रिश्तेदारी में शादी को एक परंपरा के तौर पर देखा जाता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रथा की वजह से जेनेटिक डिसऑर्डर यानी आनुवांशिक विकार के मामले बढ़ रहे हैं। इसका खुलासा अब जाकर हुआ है। वो भी तब जब कोरोना से बचाव और संक्रमन को लेकर कई रिसर्च सामने आई थी। ऐसे समय डाक्टरों और वैज्ञानिकों ने शोध में पाया की एक ही परिवार में करीबी रिश्तों के चलते होने वाले विवाह नई पीढी के लिए खतरनाक साबित हो रहे है। पाकिस्तान में हुए इस खुलासे के बाद इस सामाजिक परम्परा को जारी रखने अथवा इस पर रोक को लेकर बहस छिड गई है। हालांकि, कुछ लोग इस परंपरा पर सवाल भी उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि इस प्रथा की वजह से जेनेटिक डिसऑर्डर यानी आनुवांशिक विकार के मामले बढ़ रहे हैं।
इस प्रकार की शादी के जोड़े में दोनों को एक ही प्रकार की किसी तरह की आनुवांशिक बीमारी होती है तब ऐसे में होने वाले बच्चे को जीन में दो विकार मिलते हैं और उसमें डिसऑर्डर की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, जब समुदाय के बाहर शादी करने पर जीन पूल बड़ा हो जाता है और बच्चे को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर समस्या मिलने की संभावना कम हो जाती है।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहने वाले 56 साल के गफूर हुसैन शाह आठ बच्चों के पिता हैं। शाह ने कहा कि यहां के रीति-रिवाजों के अनुसार उनसे उम्मीद की जा रही है कि वो अपने बच्चों की शादी परिवार के करीबी रिश्तेदारों में ही करें। हालांकि, शाह इस तरह की शादी से होने वाले बच्चों में प्रचलित आनुवांशिक रोग के खतरों के बारे में अच्छे से जानते हैं। उन्होंने 1987 में अपने मामा की बेटी से शादी की थी और उनके तीन बच्चे किसी ना किसी हेल्थ डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। उनके बेटे का दिमाग सामान्य आकार में विकसित नहीं हुआ है। उनकी एक बेटी को बोलने में दिक्कत होती है जबकि दूसरी को ठीक से सुनाई नहीं नहीं देता है। उन्होंने कहा, ‘मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि ये पढ़ाई नहीं कर सके।मैं हमेशा उनके बारे में चिंतित रहता हूं। मेरे और मेरी पत्नी के जाने के बाद कौन उनकी देखभाल करेगा।’ शाह ने बताया कि यहां कजिन मैरिज का बहुत ज्यादा सामाजिक दबाव है। रिश्तेदारी में शादी ना करने पर लोगों को समाज से बहिष्कृत भी कर दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि उन्हें अपने एक बेटे और दो बेटियों की शादी करीबी रिश्तेदारों से करनी पड़ी। उनके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री में ब्लड डिसऑर्डर, लर्निंग डिसेबिलिटी, अंधापन और बहरापन की समस्याएं हैं। शाह के अलावा इस्लामाबाद, कंराची, गुजरेवाला, लाहौर और खैबरपख्तून में भी इस तरह के मामले आम बताए जा रहे हैं। यहाँ की बड़ी आबादी इन अनुवांशिक बीमारियों के इलाज के लिए डाक्टरों के चक्कर काट रही है।
शाह ने बताया कि पाकिस्तान में कई परिवारों में इस तरह की शादियां होती हैं क्योंकि वो मानते हैं कि इस्लाम में ऐसा ही होता है। यहां तक कि अगर सरकार इस तरह की शादियों को अवैध भी कर दे तो भी इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। पाकिस्तान के कुछ इलाकों में कबीलाई और जाति व्यवस्था की जड़ें बहुत गहरी हैं। चीमा ने कहा कि जाति व्यवस्था, विशेष रूप से पंजाब प्रांत में रहने वाले लोगों के बीच, काफी सख्त है जहां अंतर-पारिवारिक शादियां ही होती हैं। उन्होंने कहा कि इस समुदाय में आमतौर पर कई आनुवांशिक विकार पाए जाते हैं।
पाकिस्तान के पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में, सिंध का दक्षिणी क्षेत्र और उत्तर-पश्चिमी प्रांतों में कबीलाई व्यवस्था इतनी मजबूत है कि यहां पारिवारिक जीवन इन्हीं के मुताबिक चलते हैं। बलूचिस्तान के रहने वाले गुलाम हुसैन बलूच ने बताया कि यहां अपने कबीले से बाहर शादी करने पर पाबंदी है। सिंध की भी स्थिति बहुत अलग नहीं है जहां किसी के कबीले के बाहर शादी करने पर लड़ाई-झगड़ा और यहां तक की हत्या करना भी आम बात है।
कराची के हेल्थ एक्सपर्ट सेराज उद दौला का कहना है कि पाकिस्तान में कजिन से शादी इस्लामिक धार्मिक सिद्धांतों से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा, 'मैंने मौलवियों से आनुवांशिक बीमारियों के बारे में जागरुकता पैदा करने में मदद करने के लिए भी कहा। मैंने लोगों को ये समझाने को कहा कि किस तरह इस तरह की शादियां आनुवांशिक बीमारियों को बढ़ाने का काम कर रही हैं। हालांकि मौलवियों ने साफ इनकार करते हुए कहा कि ये शादियां इस्लामिक शरिया कानून और पैगंबर मोहम्मद की परंपराओं के अनुसार होती हैं।'
पाकिस्तान में फिलहाल सबसे आम समस्या में आनुवांशिक ब्लड डिसऑर्डर थैलेसीमिया है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन अवशोषित करने से रोकता है। चीमा ने कहा कि इस तरह के डिसऑर्डर की पहचान के लिए पाकिस्तान में जेनेटिक टेस्टिंग या खास स्क्रीनिंग की सुविधा नहीं है। यही नहीं, यहां जेनेटिक डिसऑर्डर के इलाज की भी कमी है। पाकिस्तान में इनब्रीडिंग की वजह से बहुत ज्यादा जेनेटिक डिसऑर्डर (आनुवांशिक बीमारियों) के मामले आते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ विकारों को आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि ये उन्हीं विशेष समुदायों और कबीलों में पाए जाते हैं जहां अंतर्विवाह आम बात है।
ब्लड रिलेशन की शादी से होने वाले बच्चों को सेहत से जुड़ी समस्या होती है, इस पर सालों से संदेह किया जा रहा है। इस तरह की शादी से पैदा हुए 11,000 से ज्यादा बच्चों पर की गई UK की एक स्टडी में 386 बच्चों में जन्मजात विसंगतियों पाई गईं। ऐसे बच्चों का आंकड़ा 3 प्रतिशत जबकि समुदाय से बाहर की शादियों से होने वाले बच्चों में जन्मजात विसंगतियों का आंकड़ा 1।6 प्रतिशत पाया गया। ये स्टडी UK के एक छोटे से इलाके ब्रैडफोर्ड के बच्चों पर की गई थी जहां पाकिस्तानी मुसलमानों की आबादी 16।8 फीसदी है। यहां 75 प्रतिशत लोग कजिन मैरिज करते हैं। हालांकि, 3 प्रतिशत के आंकड़े के के अलावा ब्रैडफोर्ड की स्टडी में बाकी सारे बच्चे उसी तरह सामान्य और स्वस्थ पाए गए जैसे कि नॉन-कजिन मैरिज से होते हैं।
खून के रिश्ते में शादी करने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस तरह की शादी से पैदा हुए ज्यादातर बच्चों में जन्मजात समस्याएं पाई जाती हैं। लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक, इन लोगों के बच्चों में दिल सबंधी दिक्कत सबसे ज्यादा होती है। इसके बाद तंत्रिका संबंधी विकार और अंगों का पूरी तरह विकसित ना होने जैसी दिक्कतें भी होती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक खराब लाइफस्टाइल, स्मोकिंग और ज्यादा शराब पीने से भी होने वाले बच्चे में ये दिक्कतें आ सकती हैं लेकिन एक ही परिवार में शादी करने पर ये समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
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