गुवाहाटी हाई कोर्ट ने असम में राज्य वित्त पोषित मदरसों को बंद करने के सरकारी फैसले को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका खारिज कर दी। यह याचिका 13 लोगों और संगठनों ने दायर की थी। इन मदरसों में मजहबी शिक्षा को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार ने 2020 में नया कानून विधानसभा में पारित किया था। सरकार ने राज्य के 620 से अधिक ऐसे मदरसों को सामान्य स्कूलों में स्थानांतरित करने का फैसला किया था।
हाई कोर्ट ने असम निरसन अधिनियम 2020 को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में असम विधानसभा में पारित कानून और सरकार के फैसले को बरकरार रखा। मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने 397 प्रांतीय मदरसों को सामान्य शैक्षणिक संस्थानों में बदलने के लिए अन्य सभी अधिसूचनाओं को भी बरकरार रखा है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने खुशी जताते हुए कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर देररात को ट्वीट कर खुशी जताई। उल्लेखनीय है कि असम सरकार के सरकारी वित्त पोषित मदरसों में मजहबी शिक्षा को बंद करने के फैसले पर काफी विवाद हुआ था। ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट समेत कई मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया था।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
टिप्पणियाँ