अपने आप को खुद ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा प्रत्याशी बताने वाले कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी तस्वीरों को लेकर चर्चाओं में है, कांग्रेस नेताओं ने इस बारे में चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज करवाई है। हालांकि उनकी शिकायत उनकी तस्वीर को एडिट करने को लेकर की गई है, लेकिन रावत की कुछ तस्वीरें वास्तविक भी हैं, जो कि वायरल हुई हैं और उन्हें एक विशेष समुदाय के नेताओं के साथ ऐसी मुद्रा में देखा जा रहा है मानो वो नमाज पढ़ रहे हों।
हरीश रावत जब भी अल्पसंख्यक समुदाय में बैठक या रोजा इफ्तार करने जाते हैं तो वो मुस्लिम टोपी धारण कर नमाज मुद्रा में तस्वीरे खिंचवा लेते हैं। उनकी यही तस्वीरे अब उनके लिए मुसीबत बनती जा रही हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उनके विरोधी ही उनकी तस्वीरें गूगल में सर्च करके वायरल कर दे रहे हैं। विपक्षी दलों के आईटी सेल भी इन तस्वीरों को सोशल मीडिया में अपने निशाने पर ले रही है।
हाल ही में उनकी एक तस्वीर पर एडिटिंग करके उसे वायरल किया गया जिस पर कांग्रेस ने जाकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करवायी है। उल्लेखनीय है कि हरीश रावत ने अपने कार्यकाल में अल्पसंख्यक वोटर्स को रिझाने के लिए शुक्रवार के दिन जुमे की नमाज की छुट्टी की थी और रोजा इफ्तार कार्यक्रमों में भागीदारी की थी जिस वजह से वो बहुसंख्यक समाज में अपनी छवि को विवादस्पद बना बैठे। इन दिनों विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने ये बयान जारी किया है कि हरीश रावत ने उन्हें देहरादून के सहसपुर क्षेत्र में मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोले जाने का वादा किया है। उनके इस बयान पर हरीश रावत एक बार विवादों में घिर गए और उनकी छवि अल्पसंख्यक समुदाय के हितैषी के रूप में उभरने से खुद उनके लिए मुश्किल पैदा हो गयी है। हरीश रावत ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि बांग्लादेशी मुस्लिम की घुसपैठ पर शोर मचाने वाली मोदी सरकार ये बताये कि कितने बंग्लादेशी लोगों को उन्होंने इस देश से बाहर किया। बहरहाल हरीश रावत इस समय लालकुआं विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उन्हें अपने मतदाताओ को अपनी छवि को लेकर जगह-जगह सफाई देनी पड़ रही है।
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