राजस्थान में पहले कोरोना रोधी टीकों की बर्बादी हुई और अब मरे हुए लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं। यही नहीं, टीके की दूसरी खुराक देने के बाद उनके नाम से प्रमाणपत्र भी जारी किए जा रहे हैं। भरतपुर में इस फर्जीवाड़ा का खुलासा मृत लोगों के नंबरों पर भेजे जा रहे टीके की दूसरी खुराक लगने के संदेशों से हुआ है। प्रदेश भाजपा ने राज्य सरकार पर टीकाकरण में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा है कि राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में टीकों की बर्बादी हुई। उन्होंने इन राज्यों की सरकारों पर टीकाकरण अभियान को नाकाम करने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।
भरतपुर के बयाना कस्बे के निवासी मुकुट भारद्वाज का कहना है कि पिछले साल 15 अक्तूबर को उनके पिता सोहनलाल की कोरोना का पहला टीका लगा था। लेकिन इसके करीब एक माह बाद 22 नवंबर को उनका देहांत हो गया। तब तक टीके की दूसरी खुराक लेने का समय भी आ गया था। लिहाजा, चिकित्सा विभाग की ओर से उनके पास दूसरी खुराक लेने का संदेश आया। मुकुट ने विभाग के कर्मचारी को अपने पिता की मौत की सूचना भी दे दी। लेकिन बाद में विभाग की ओर से उनके दिवंगत पिता को टीके की दूसरी खुराक देने का संदेश सोहन लाल के नंबर पर भेज दिया गया। कस्बे के भितरबाड़ी निवासी बनै सिंह गुज्जर के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। बकौल बनै सिंह, उनकी पत्नी सरोज ने पिछले साल 3 अगस्त को टीके की पहली खुराक ली थी। लेकिन 27 नवंबर सरोज की मौत हो गई। मौत के करीब डेढ़ माह बाद सरोज को दूसरी खुराक देने का संदेश आया। गांव सिंघानखेड़ा निवासी विक्रम का कहना है कि उनके पड़दादा सरदार गुज्जर को पिछले साल अक्तूबर में टीके की पहली खुराक लगी थी। 4 नवंबर को निधन हो गया। उनकी मौत के करीब ढाई महीने बाद उन्हें दूसरी डोज लगने का संदेश आया। कुछ दिन पहले भी इसी तरह का मामला आया था, जिसमें जिले के बाहर रहने वाले लोगों को टीके की दूसरी खुराक लगने के संदेश मिल रहे थे। हालांकि उस समय चिकित्सा विभाग ने सॉफ्टवेयर की खराबी बताकर इससे पल्ला झाड़ लिया था।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने राजस्थान और पंजाब की कांग्रेस सरकारों सहित कई राज्यों पर कोरोना टीकाकरण अभियान में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में टीके की 11.5 लाख खुराकें बर्बाद हुई हैं। वहीं, पंजाब की कांग्रेस सरकार ने 400 रुपये की खुराक को 1600 रुपये में निजी अस्पतालों को बेची। यही नहीं, महामारी से निपटने के लिए चलाए गए महत्वपूर्ण अभियान को लेकर राजनीति भी की गई। उन्होंने ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने टीकाकरण अभियान को नाकाम करने का प्रयास किया। राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलाडु में टीके की बड़े पैमाने पर बर्बादी की गई। लेकिन बाद में उन्हें टीके का महत्व पता चला।
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