ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष से मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़ी संस्थाओं को 78 लाख रुपये से अधिक धनराशि का विरोध शुरू हो गया है। हिन्दू जागरण मंच की ओडिशा ईकाई ने शुक्रवार को राजधानी भुवनेश्वर में सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। मंच का कहना है कि सेवा की आड़ में देश का कानून तोड़कर कन्वर्जन करने वाली संस्थाओं को राज्य सरकार द्वारा धन देना निंदनीय है। नवीन पटनायक सरकार तुष्टीकरण की सारी सीमाएं पार कर गई है। सरकार इस तरह के कृत्य से बाज आए।
हिंदू जागरण मंच के प्रदेश संगठन मंत्री तन्मय दास ने पांचजन्य को बताया कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी की गतिविधियां संदेह के घेरे में है। उस पर देश के कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। झारखंड में तो इस संस्था पर बच्चों को बेचे जाने का आरोप है। गुजरात समेत देश के विभिन्न हिस्सों में इससे जुड़ी संस्थाओं पर देश के कानून को धता बता कर कनवर्जन कराने का आरोप है। वहीं, मुख्यमंत्री राहत कोष का उपयोग प्राकृतिक या अन्य किसी प्रकार की आपदा अथवा किसी को गंभीर बीमारी होने की स्थिति में किया जाता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री राहत कोष का पैसा कन्वर्जन कराने वाली संस्थाओं को दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राज्य में गैर-कानूनी तरीके से कन्वर्जन को रोकने के लिए कानून है। लेकिन इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या हो सकती है कि जिस राज्य में इस तरह के कानून हैंं, उसी राज्य की सरकार कन्वर्जन में लिप्त संस्थाओं को सरकारी कोष से पैसे दे रही है। तन्मय दास ने कहा कि कोरोना काल में राज्य के मठ मंदिरों ने लोगों को राहत पहुंचाने के लिए काफी काम किया। लेकिन मिशनरी संस्थाएं उस समय भी कन्वर्जन कराने में व्यस्त थी। अब स्वयं राज्य सरकार इस तरह की संस्थाओं को धन दे रही है।
उन्होंने कहा कि कंधमाल में जनजातीय लोगों का आध्यात्मिक-सामाजिक व आर्थिक जागरण कराने वाले स्वामी लक्ष्मणानंद कन्वर्जन के खिलाफ लड़ रहे थे। यही कारण है कि कन्वर्जन कराने वाली शक्तियों ने उनकी हत्या कर दी। उनकी हत्या के 15 साल बीत जाने के बाद भी नवीन सरकार का किसी प्रकार की कार्रवाई न करना और उनके लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल कर अपना असली चेहरा दिखा दिया है। यदि नवीन सरकार इस तुष्टीकरण की राजनीति को बंद नहीं करती तो हिन्दू जागरण मंच आगामी दिनों में आंदोलन को और तेज करेगा।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए पंजीकरण के नवीनीकरण संबंधी आवेदन को नामंजूर किया है। यह न तो विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत दिए गए नवीनीकरण संबंधी पात्रता शर्तें पूरी करती है और न इसके बारे में रिकॉर्ड ही अच्छा है। इसके बावजूद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की इनके प्रति दरियादिली समझ से परे है।
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