अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत ने मीडिया पर शिकंजा थोड़ा और कसते हुए नई गाइडलाइन जारी की है। तालिबान ने मीडिया को साफ कह दिया है कि सरकार के विरुद्ध न कुछ छापा जाएगा, न कुछ दिखाया जाएगा। बेशक, लड़ाकों के इस नए फरमान से अफगानिस्तान में मीडिया के पर और कतर दिए गए हैं। तालिबान ने बदखशां सूूबे में घोषणा की है कि इसकी सरकार के हितों के विरुद्ध किसी भी मीडिया समूह या समाचार एजेंसी को जो मन आए वह प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है।
अफगानिस्तान पत्रकार सुरक्षा समिति के हवाले से खामा प्रेस ने रिपोर्ट दी है कि बदखशां प्रांत के स्थानीय तालिबान अधिकारियों ने साफ कहा है कि मीडिया समूहों से समीक्षा तथा सेंसर करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करें। खामा प्रेस का समाचार बताता है कि सूचना तथा संस्कृति के प्रांत निदेशक मुएजुद्दीन अहमदी ने कहा कि महिला संवाददाताओं को रिपोर्टिंग के लिए सार्वजनिक तौर पर बाहर जाने की इजाजत नहीं है।
खामा प्रेस ने रिपोर्ट दी है कि बदखशां प्रांत के स्थानीय तालिबान अधिकारियों ने साफ कहा है कि मीडिया समूहों से समीक्षा तथा सेंसर करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करें। खामा प्रेस का समाचार बताता है कि सूचना तथा संस्कृति के प्रांत निदेशक मुएजुद्दीन अहमदी ने कहा कि महिला संवाददाताओं को रिपोर्टिंग के लिए सार्वजनिक तौर पर बाहर जाने की इजाजत नहीं है।
अहमदी ने कहा है कि महिला मीडियाकर्मी दफ्तर में पुरुष कर्मचारियों से अलग बैठकर कार्यालय में काम कर सकती हैं। एक आंकड़े के अनुसार, तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद से अब तक दर्जनों पत्रकार देश से पलायन कर गए हैं। इसके अलावा कई पत्रकार भूमिगत हो गए हैं। कई महिला पत्रकारों ने अपने पद छोड़ दिए हैं। देश में जारी बदहाली की गाज मीडिया समूहों पर भी पड़ी है। बहुत से मीडिया संस्थान अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं।
वित्तीय चुनौतियों के साथ ही प्रतिबंधों की वजह से देश में अगस्त 2021 से अब तक 257 से ज्यादा मीडिया समूह बंद हो चुके हैं। इसमें प्रिंट, रेडियो तथा टीवी चैनल शामिल हैं। करीब 70 प्रतिशत पत्रकार बेरोजगार हो गए हैं।
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