भारतीय किसान संघ ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले को ‘विवाद टालने’ के संदर्भ में सही बताया है। फैसला किसान हठधर्मिता के कारण किसानों को दीर्घकालिक नुकसान करने वाला है। भारतीय किसान संघ ने अपने प्रतिक्रिया में वक्तव्य जारी कर कहा कि कृषि कानूनों में सुधार करने से किसानों को खासकर छोटे और मझौले किसानों को अधिक लाभ मिलता।
किसान संघ ने प्रधानमंत्री के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक समिति गठन करने के फैसले का स्वागत किया है। साथ ही किसान ने संघ ने समिति में गैर राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है। किसान संघ ने आगे कहा कि किसानों की असल समस्या बाजार द्वारा होने वाले शोषण की है। इसके लिए जरूरी है कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य बनाकर गारंटी देने की आवश्यकता है।
राकेश टिकैत ने कहा अन्य मुद्दों पर भी हो बात
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा। हम उस दिन का इंतजार करेंगे, जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। टिकैत ने यह भी कहा है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत किसानों से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी बात करे। किसानों के अन्य मसलों पर भी बातचीत का रास्ता खुलना चाहिए।
बता दें कि केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया है। आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों के लाने का मकसद यह था कि देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।
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