सरदार तरलोचन सिंह
सन् 1469 में नानक देव जी का का जन्म पाकिस्तान स्थित तलवंडी गांव में पिता कालू के घर हुआ था। उस समय भारत में लोधी खानदान का राज था। 400 साल से भारत देश-विदेशी मुसलमान हमलावरों के कब्जे में था। इतनी लंबी गुलामी से देशवासियों का मनोबल खत्म हो चुका था। ऐसा लगता था कि आत्मा मर चुकी है। विदेशी हुक्मरानों ने सारी हिन्दू कौम को जात-पात में बांट रखा था, दलित समाज को पूर्ण तौर पर समाज से काट रखा था। स्त्रियों से बदसलूकी होती थी। उस समय गुरु नानक जी का इस देश में आना सारे भारत की जनता के लिए शुभ संदेश था।
गुरु नानक देव जी की छोटी आयु से ही कई चमत्कारी बातें लोगों को नजर आईं। राय बुलार जो वहां का मुसलमान मुखिया था, उसी ने सबसे पहले गुरु नानक में खुदा का नूर देखा। गुरु नानक के पिता कालू जी ने गुरु जी को कुछ रुपये दिए कि वह शहर जाकर कुछ व्यापार करें ताकि कुछ कमाई हो सके। गुरु जी को रास्ते में एक संत महात्माओं का समूह मिल गया। गुरु जी ने उन्हीं पैसों से उनको भोजन खिला दिया। उसी दिन से यह परंपरा सिखों में चल रही है कि धन पास होने पर सेवा स्वरूप उससे गरीबों को भोजन खिलाओ। आज सिखों के लंगर की विश्व भर में चर्चा है। इस लंगर में कोई भी मत-पंथ या जात-पात का, सभी भेदभाव से ऊपर उठकर एकसाथ पंगत में बैठकर लंगर छकते हैं।
गुरु नानक देव जी तलवंडी से सुल्तानपुर लोधी चले गए, जहां उन्होंने कई साल बिताए। वहीं उनकी शादी हुई और दो पुत्रों बाबा श्री चंद और बाबा लखमी चंद का जन्म हुआ। इसी स्थान पर गुरु जी वेई नदी में डुबकी लगाकर जब बाहर निकले तो ये कहा ‘न कोई हिन्दू, न मुसलमान’ उन्होने एक परमात्मा का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि परमात्मा एक है और उसके कई नाम हैं। इस तरह से गुरु जी ने सारे विश्व को अमन और धार्मिक एकता का संदेश दिया।
गुरु नानक देव जी के जीवन में अनूठी थी गुरु जी की 30,000 मील की विश्व यात्रा। गुरु नानक देव जी 20 साल सारे भारत के सभी धर्म, मत-पंथों के तीर्थ स्थानों पर गए और हर जगह परमात्मा की होंद का प्रचार किया और सबको आग्रह किया कि वे अपने धर्म, मत-पंथ में रहकर परमात्मा का जाप करें, किसी की निंदा न करें। उन्होंने झूठे रस्मों-रिवाजों के खिलाफ प्रचार किया। गुरु जी हमेशा दलितों और गरीबों के घरों में रहते थे। उन्होंने सही रूप में एक स्वच्छ समाज की रचना की। गुरु जी भारत से बाहर नेपाल, ब्रह्मदेश, लंका, तिब्बत गए। 40 दिन मुसलमानों के स्थान मक्का में रहे फिर बगदाद, ईरान, अफगानिस्तान होते हुए भारत लौटे।
गुरु जी ने पहाड़-कंदराओं में बैठे ऋषि-मुनियों से अपील की कि वे घर-परिवार न छोड़ें बल्कि गृहस्थी में रहकर परमात्मा का भजन-कीर्तन करें। गुरु जी ने संवाद को पहल दी। उन्होंने आदेश दिए कि सब मत-पंथों के लोग आपस में बैठकर बातचीत करके मसले हल करें। गुरू जी का एक शब्द जिसको सिद्ध गोष्ट कहते हैं, गुरु ग्रंथ में दर्ज है। इससे गोष्टी की महत्ता का ज्ञान होता है।
गुरू जी का संदेश था-कीरत करो, नाम जपो, वंड छको। इसी सिद्धांत को आज विश्व भर में अपनाने की जरूरत है। सभी मत-पंथों को इसी सिद्धांत का अनुसरण करना चाहिए। यह केवल सिखों के लिए नहीं है। गुरु जी ने खुद एक किसान बनकर हल चलाया, खेती की और उसी से जो आमदनी हुई उससे लंगर चलाया। संगत और पंगत की नींव रखी।
गुरु नानक देव जी के समय मुगल आक्रांता बाबर का भारत में हमला हुआ था। बात 2006 की है। उस समय मैं संसद सदस्य था। मुस्लिम सदस्यों ने बाबरी ढांचे को गिराने पर बहस की। मैंने उन सभी को बताया कि मुगल आक्रांता बाबर कौन था! उसके किए जुल्मों को गुरु नानक देव जी ने देखा और शब्दों का रूप दिया। आज यह तथ्य गुरू ग्रंथ में दर्ज है। मैंने जब कुछ पंक्तियां सुनार्इं तो सदन में सन्नाटा छा गया। कोई भी सदस्य इसके बाद नहीं बोला और बहस बंद हो गई। मैंने कहा कि ऐसे जालिम बाबर के नाम पर मस्जिद कैसे बन सकती है। उसने गुरु नानक जी को जेल में भेजा था।
गुरु जी ने भारतीय संस्कृति को बचाने का काम किया। अपने जन्म से 400 साल पहले तक जितने संत महात्मा हुए, उनकी वाणी एकत्र करके उसकी संभाल की। जब सन् 1604 में गुरू ग्रंथ का उद्भव हुआ तो यह सभी वाणी उनमें दर्ज है। आज भगत कबीर, रविदास, परमानंद, धन्ना, तरलोचन, भगत सेन, बाबा फरीद, सूरदास, भगत जयदेव आदि की वाणी गुरु नानक देव जी की देन है और वह गुरु ग्रंथ में दर्ज है। इसका हर कोई पाठ करता है। गुरु नानक देव जी ने ही दलित संतों को जो मंदिर जा भी नहीं सकते थे को अपने बराबर का दर्जा दिया। स्त्रियों को सम्मान दिलाया।
आज इस बात की आवश्यकता है कि गुरु के उपदेशों को विश्व की सारी भाषाओं में रूपांतरित कराकर बांटा जाए। भारत के सभी विश्वविद्यालयों और स्कूलों की पाठ्यसामग्री में गुरु नानक जी के जीवन और दर्शन का ज्ञान दिया जाए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने पिछले साल नागपुर में विजयादशमी उत्सव पर कहा भी था कि गुरु नानक देव जी ने भारतीयों को लंबी गुलामी के कारण मरी हुई आत्मा को जीवित किया। इस देश में आजादी की लहर के गुरु नानक जन्मदाता थे।
आज के समय गुरू नानकदेव जी के संदेश, उनके बताए रास्ते और उनकी दी हुई शिक्षाओं पर चलने की आवश्यकता है। यकीनन यह शिक्षा समस्त जगत का कल्याण करेगी और शंति प्रदान करेगी।
(लेखक राज्सभा के सदस्य रहे हैं)
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