मनोज ठाकुर
गुरुग्राम में पिछले कई दिनों से सड़कों पर और सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने का विरोध हो रहा है। कई जगहों पर प्रशासन ने रोक भी लगाई है। इस बीच गुरुग्राम में गुरुद्वारा सिंह सभा कमेटी ने मुस्लिमों को गुरुद्वारे में नमाज पढ़ने का प्रस्ताव दिया है। इस पहल पर लोग हैरान हैं। आखिर इसके मायने क्या हैं?
गुरुग्राम के सेक्टर 12 ए के निवासी मदन लाल कहते हैं कि वह गुरुद्वारे के इस निर्णय से हैरान हैं। मुस्लिमों के लिए जब मस्जिद है तो फिर क्यों वह खुले में नमाज पढ़ते हैं। हमारा विरोध बस इतना ही है, क्योंकि नमाज की आड़ में कन्वर्जन का भी खेल चलने लगता है। उनकी कोशिश रहती है कि हिंदू रिहायशी इलाकों में इस तरह की गतिविधियां चलाई जाएं। इसके लिए नमाज पढ़ना सबसे आसान रास्ता है। विरोध की वजह यह भी है कि हमारी बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ की भी घटनाएं होती हैं। यह सब हम क्यों बर्दाश्त करें। हम इसका लंबे समय से विरोध कर रहे थे, क्योंकि यहां के पार्क में नमाज पढ़ने से खासी दिक्कत आ रही थी। हिंदू समाज लंबे समय से खुले में नमाज पढ़ने का विरोध करता रहा है। दिक्कत यह थी कि प्रशासन हमारी बात सुनने को तैयार नहीं था। जब सभी ने मिलकर आवाज उठाई तो प्रशासन ने पहले तो उनके खिलाफ ही कार्यवाही की। उनके 30 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था।
यहां के निवासी गोबिंद ने बताया कि नमाज की आड़ में इलाके में रोहिंग्या मुसलमानों की आपराधिक गतिविधियां चलती हैं। इससे बड़ी बात तो यह है कि जब यह जमीन हमारी है तो फिर इसका इस्तेमाल कोई दूसरा क्यों करें? गुरुग्राम के ही निवासी सतपाल शर्मा ने कहा कि इसी साल की शुरुआत में कश्मीर में दो सिख लड़कियों के धर्म परिवर्तन कर निकाह करने का मामले पर सिख समुदाय ने कश्मीर से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन किया था। तब दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा कश्मीर पहुंचे थे। उन्होंने हिंदुओं से अपील की कि कट्टरपंथियों के खिलाफ सिखों की मदद की जाए। उन्होंने यह याद भी कराया था कि किस तरह से महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में हिंदुओं की वापसी में सिखों ने मदद की थी।
खुले में नमाज का विरोध करने वालों का यह भी सवाल है कि जो लोग गुरुग्राम में नमाज पढ़ने की इजाजत को भाईचारे से जोड़ रहे हैं, क्या ऐसा भाईचारा मुस्लिमों की तरफ से दिखाया जाएगा? क्या जामा मस्जिद में जागरण या किसी हिंदू धार्मिक उत्सव का आयोजन कराया जाएगा। भाईचारा एकतरफा क्यों है? कथित किसान आंदोलन में दिल्ली बार्डर पर पंजाब के सिख समुदाय के लोग सबसे ज्यादा हैं। इस पर भी विचार करना होगा कि इस तरह की भी खबरें आई हैं कि इनमें से कई लोग खालिस्तान का भी समर्थन करते हैं।
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