रिपोर्ट बताती है कि चीन अपनी थलसेना, वायुसेना तथा नौसेना, सेना के तीनों अंगों को बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाले हथियारों से लैस कर रहा है। वह दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है जिसने अंतरिक्ष से हाइपरसोनिक मिसाइल दागने की जांच की है
दक्षिण एशिया में भारत के तेजी से उभरते जाने और दुनिया भर में अपने विकास से एक बड़ा नाम बनाने से संभवत: चिढ़कर चीन अपनी सेनाओं को शस्त्रों से ज्यादा से ज्यादा सज्ज कर रहा है। एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि उसने पिछले एक साल में 250 मिसाइलों का परीक्षण किया है। उसकी मंशा है एक हजार परमाणु बम बनाकर दुनिया में सबसे बड़ा भूरणनीतिक बदलाव करने की। यहां ध्यान देने की बात है कि चीन ने पिछले साल यानी 2020 में इतनी मिसाइलों को परखा है जितनी दुनिया भर के देशों ने मिलकर परखी हैं।
रिपोर्ट बताती है कि चीन अपनी थलसेना, वायुसेना तथा नौसेना, सेना के तीनों अंगों को बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाले हथियारों से लैस कर रहा है। वह दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है जिसने अंतरिक्ष से हाइपरसोनिक मिसाइल दागने की जांच की है।
हैरान करने वाली बात है कि जहां एक ओर दुनिया के तमाम देश परमाणु हथियारों की होड़ बंद करने, बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाले हथियारों को धीरे—धीरे कम करते जाने की बात कर रहे हैं, वहीं विस्तारवादी चीन इन्हें बढ़ाता जा रहा है। वह अमेरिका तथा भारत से 'खतरे' को भांपते हुए चीन चाहता है कि 2030 तक वह एक हजार परमाणु बम बना ले ताकि दुनिया का कोई देश उससे उलझने की कोशिश न करे। फिलहाल ड्रैगन के पास करीब 300 परमाणु बम हैं।
ब्रिटिश समाचार पत्र फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट को देखें तो साफ है कि चीन के महाविनाशक हथियार बनाने से दुनिया में एक बड़ा भूराजनीतिक बदलाव देखने में आ सकता है। चीन के यूं बिना सोचे—समझे शक्ति प्रदर्शन करने को अमेरिका बहुत गंभीरता से देख रहा है।
चीन ने जितनी तेजी से लड़ाकू विमान, बमवर्षक, पनडुब्बी, युद्धपोत बनाए हैं उसे देखकर पूरी दुनिया हैरान है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी होती जा रही है। चीन के संदर्भ में अमेरिका के सामने इस वक्त दो गंभीर सवाल हैं। क्या चीन की ये बढ़ती आक्रामकता पूर्वी एशिया में शक्ति संतुलन को बदलकर तो नहीं रख देगी?
अमेरिका के मन में संभवत: दूसरा सवाल यह है कि क्या ऐसा होने से चीन अमेरिकी परमाणु बमों के खतरे को असरहीन कर सकता है? क्या वह ताइवान पर जीत हासिल कर सकता है? इससे पहले अमेरिका के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल मार्क मिली ने भी एक कार्यक्रम में बोलते हुए, चीन के अंतरिक्ष से मिसाइल परीक्षण करने को 'स्पुतनिक मौका' बताया था। मार्क मिली ने फाइनेंशियल टाइम्स से एक बातचीत में कहा है कि वे भूरणनीतिक ताकत के क्षेत्र में दुनिया में अब तक सबसे बड़ा बदलाव देख रहे हैं।
चीन ऐसी नई मिसाइलें बना रहा है जो एक साथ कई परमाणु बमों को ले जा पाएंगी। इतना ही नहीं, वह इन मिसाइलों को छुपाने के लिए रेगिस्तानी इलाकों में सैकड़ों मिसाइल साइलो बना रहा है। 2020 में चीन का 250 मिसाइलों का परीक्षण करना पूरी दुनिया में किए गए कुल मिसाइल परीक्षणों से भी ज्यादा है। बताया जाता है कि इस समय अंतरिक्ष में चीन के 200 पर्यवेक्षक रडार हैं। दो साल पहले ये सिर्फ 120 ही थे।
मार्क मिली ने आगे कहा कि यह बदलाव ऐसे मौके पर हो रहा है जब युद्ध संचालन में एक बुनियादी बदलाव देखने में आ रहा है। हमें युद्ध के जमीन, समुद्र, हवा, अंतरिक्ष, साइबर तरीको और रणनीतिक परमाणु बल पर फौरन तेजी से काम करना होगा। तभी हमारी क्षमता में विकास हो पाएगा। तभी अमेरिका दुनिया के स्तर पर उपज रही चुनौतियों का मुकाबला कर सकेगा। हमें काफी काम करना होगा।
चीन ऐसी नई मिसाइलें बना रहा है जो एक साथ कई परमाणु बमों को ले जा पाएंगी। इतना ही नहीं, वह इन मिसाइलों को छुपाने के लिए रेगिस्तानी इलाकों में सैकड़ों मिसाइल साइलो बना रहा है। पांचजन्य के पोर्टल पर इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। 2020 में चीन का 250 मिसाइलों का परीक्षण करना पूरी दुनिया में किए गए कुल मिसाइल परीक्षणों से भी ज्यादा है। बताया जाता है कि इस समय अंतरिक्ष में चीन के 200 पर्यवेक्षक रडार हैं। दो साल पहले ये सिर्फ 120 ही थे। पता यह भी चला है कि चीन अब जिस तकनीक पर काम कर रहा है उससे वह अमेरिका या भारत की मिसाइलों के लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही जवाबी कार्रवाई कर सकेगा।
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