पिछली सरकारों ने स्वार्थी राजनीति को प्राथमिकता दी और वनवासी क्षेत्रों का शोषण किया : मोदी
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पिछली सरकारों ने स्वार्थी राजनीति को प्राथमिकता दी और वनवासी क्षेत्रों का शोषण किया : मोदी

by WEB DESK
Nov 15, 2021, 06:11 pm IST
in भारत, मध्य प्रदेश
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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में जनजातीय गौरव दिवस महासम्‍मेलन में कहा कि देश में आजादी के बाद पहली बार वनवासी समाज की कला-संस्‍कृति , स्‍वतंत्रता आंदोलन और राष्‍ट्र निर्माण में इतने बड़े स्‍तर पर गर्व के साथ याद और सम्‍मानित किया जा रहा है। 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय समुदाय की लापरवाही के मुद्दे पर जोर देते हुए सोमवार को कहा कि आजादी के बाद दशकों तक देश में सरकार चलाने वालों ने अपनी स्वार्थी राजनीति को प्राथमिकता दी और वनवासी क्षेत्रों के शोषण की नीति का पालन किया।
भोपाल के जंबुरी मैदान में जनजातीय गौरव दिवस महासम्मेलन में उन्‍होंने जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए कई पहल की शुरुआत की। महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "आज देश अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद देश में पहली बार वनवासी समाज की कला और संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को इतने बड़े स्तर पर गर्व के साथ याद किया जा रहा है और सम्मानित किया जा रहा है।

पिछली सरकारों ने वनवासी समाज के योगदान को स्वीकार नहीं किया और वनवासी क्षेत्रों का शोषण किया। उन्‍होंने कहा कि आज जब हम राष्ट्र निर्माण में वनवासी समाज के योगदान पर राष्ट्रीय मंचों से चर्चा करते हैं तो कुछ लोग हैरान होते हैं। ऐसे लोग नहीं मानते कि इस समाज ने देश की संस्कृति को मजबूत करने में कितना योगदान दिया है। इसका कारण यह है कि वनवासी समाज के योगदान के बारे में या तो देश को नहीं बताया गया और बताया भी गया तो बहुत सीमित दायरे में। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि आजादी के बाद दशकों तक देश में सरकार चलाने वालों ने अपनी स्वार्थी राजनीति को प्राथमिकता दी।

धन और संसाधनों के मामले में देश का वनवासी क्षेत्र हमेशा समृद्ध रहा है। लेकिन पहले जो सरकार में थे, उन्होंने इन क्षेत्रों के शोषण की नीति का पालन किया। उन्‍होंने जोड़ा कि हम इन क्षेत्रों की क्षमता का उपयोग करने की नीति का पालन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि गोंड महारानी वीर दुर्गावती की वीरता या महारानी कमलापति के बलिदान को देश नहीं भूल सकता। उन्होंने कहा कि कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले और बलिदान देने वाले वीर भीलों के बिना वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की कल्पना नहीं की जा सकती। गुलामी के दौर में खासी-गारो आंदोलन, मिजो आंदोलन, कोल आंदोलन सहित विदेशी शासन के खिलाफ कई संघर्ष हुए। उन्‍होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों और नायिकाओं की वीर गाथाओं को देश के सामने लाना हमारा कर्तव्य है। उन्हें नई पीढ़ी से परिचित कराएं। बाबासाहेब पुरंदरे को याद करते हुए उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के जिन आदर्शों को बाबासाहेब पुरंदरे जी ने देश के सामने रखा, वे आदर्श हमें प्रेरणा देते रहेंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को बाबासाहेब पुरंदरे जी, उनके इतिहास को आम लोगों तक पहुँचाने में अमूल्य हैं। बता दें कि भारत सरकार 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मना रही है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश की प्रथम विधानसभा के लिए निर्वाचित सदस्य लक्ष्मीनारायण गुप्ता का सम्मान किया। वे 1952 में पहली बार हिंदू महासभा के प्रत्याशी के तौर पर शिवपुरी जिले के पिछोर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। गुप्‍ता 103 वर्ष के हैं और वे प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री भी रहे हैं।

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