अमेरिका में सामने आई संसद की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान एक लंबे वक्त से अफगानिस्तान में उकसाता आ रहा है आतंकवाद
अफगानिस्तान की परिस्थितियों पर अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान के मामलों में लंबे समय से दखल देता आ रहा है। इसने कई जगह विध्वंसकारी व अस्थिरता पैदा करने में खास भूमिका निभाई है। रिपोर्ट सावधान करती है कि पाकिस्तान की इस भूमिका में तालिबान को खुलकर समर्थन देने की उसकी हरकत भी शामिल है।
अमेरिका में इस ‘द्विपक्षीय कांग्रेशनल शोध सेवा' (सीआरएस) द्वारा प्रस्तुत इस ताजा रिपोर्ट में आगे है कि अगर पाकिस्तान, चीन, रूस और कतर जैसे देश तालिबान को मान्यता देने में और ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं तो कहीं इससे अमेरिका अलग-थलग न पड़ जाए। अगर ऐसा होता है तो तालिबान को अमेरिका के दबाव का विरोध करने और उससे बच निकलने के मौके मिलेंगे। ध्यान रहे कि कतर अमेरिका का साझेदार माना जाता है।
अति महत्वपूर्ण समझी जाने वाली सीआरएस रिपोर्ट, विभिन्न मुद्दों के बारे में कांग्रेस के सांसदों को विस्तृत जानकारी देने हेतु तैयार की जाती है। समझा जाता है कि इसी के आधार पर सांसद आगे के रएरनीतिक निर्णय लेते हैं। हालांकि यह अमेरिका की कांग्रेस की आधिकारिक दृष्टि या रिपोर्ट नहीं मानी जाती।
भारत के संदर्भ की बात करें तो इस सीआरएस रिपोर्ट साफ कहा गया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की इस विनाशकारी भूमिका में तालिबान को समर्थन देने का प्रस्ताव सम्मिलित है। कहा गया है कि कई विशेषज्ञ अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को पाकिस्तान की जीत की तरह देखते हैं। वे मानते हैं कि इससे अफगानिस्तान में उसका असर बढ़ा है। इससे उस देश में पाकिस्तान की भारत के प्रभाव को कम करने के उसकी एक लंबे वक्त से चल रही कोशिशों को भी बढ़ावा मिला है। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में भारत ने सदा से एक सकारात्मक भूमिका निभाई है और उसके विकास में सतत सहयोग दिया है।
अफगानिस्तान से मिल रहे संकेतों के अनुसार, पाकिस्तान ने तालिबान लड़ाकों को विश्वास दिलाया है कि वह काबुल के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाएगा। अफगानिस्तान के तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से पिछले दिनों इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बातचीत के बाद कहा है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को मानवीय संकट से उबरने में मदद की अपनी कोशिशें जारी रखेगा। साथ ही, कुरैशी ने सभी क्षेत्रों में अफगानिस्तान से संबंधों को और मजबूत करने की बात भी की।
इधर भारत में विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने कल अमेरिकी कांग्रेस के एक शिष्टमंडल के साथ अफगानिस्तान के वर्तमान हालात और हिंद—प्रशांत की सुरक्षा स्थिति पर विस्तृत चर्चा की है। सांसद जॉन कार्निन की अगुआई में अमेरिका शिष्टमंडल इन दिनों भारत के दौर पर आया हुआ है।
तालिबानी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से पिछले दिनों इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बातचीत के बाद कहा है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को मानवीय संकट से उबरने में मदद की अपनी कोशिशें जारी रखेगा। कुरैशी ने सभी क्षेत्रों में अफगानिस्तान से संबंधों को और मजबूत करने की बात भी की।
बातचीत के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया है कि 'दिल्ली में आज जॉन कार्निन के नेतृत्व में कांग्रेस के शिष्टमंडल से मिलकर खुशी हुई। इसमें अफगानिस्तान, हिंद-प्रशांत सहित अनेक क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का सफल आदान-प्रदान हुआ। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता कब्जा करने के बाद, क्षेत्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभावों को लेकर भारत चिंतित है'। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर लगातार अफगानिस्तान की स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दोनों नेताओं की विश्व के अनेक नेताओं से इस संदर्भ में विशद चर्चा हुई है।
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