मनोज ठाकुर
तीन कृषि कानूनों पर मुंह की खाने के बाद तथाकथित किसान नेता अब माहौल खराब करने की फिराक में हैं। हरियाणा के नारनौंद में जो हो रहा है, यह उनकी इसी कोशिश का हिस्सा भर है। ये चाहते हैं कि किसानों को भड़का कर कानून हाथ में ले लिया जाए। इसके बाद जब माहौल हिंसक हो जाता है तो इसकी जिम्मेदारी प्रशासन पर डाल कर लोगों को उकसाने का काम किया जा रहा है। भाजपा नेताओं के विरोध के पीछे भी एक सोची-समझी साजिश है।
दरअसल, भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा शुक्रवार को हरियाणा के हिसार जिले में एक धर्मशाला का उद्घाटन करने आए थे। लेकिन कथित किसान यहां केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हरियाणा की सत्तारूढ़ भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के नेताओं के कार्यक्रमों का विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में हिसार के नारनौंद में प्रदर्शनकारियों ने भाजपा सांसद को काले झंडे दिखाए और उनका रास्ता रोक दिया। सांसद का घेराव कर हुए लाठियों से उनकी गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। रामचंद्र जांगड़ा ने इसे 'हत्या का प्रयास' बताते हुए कहा, ‘अपने एक कार्यक्रम के बाद, मैं एक अन्य समारोह में शामिल होने के लिए जा रहा था, तभी कुछ शरारती तत्वों ने मेरी कार पर लाठियों से प्रहार किया, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गई। हमले के दौरान जांगड़ा कार की पिछली सीट पर बैठे हुए थे।
उन्होंने कहा, ‘मैंने इस घटना के संबंध में हरियाणा के डीजीपी और एसपी से बात की है। मैंने दोषियों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त सजा की मांग की है। यह हत्या का एक स्पष्ट प्रयास है। मुझे नरवाना और उचाना में दो और कार्यक्रमों में शामिल होने जाना था। मेरी कार क्षतिग्रस्त होने के कारण मुझे यात्रा रद्द करनी पड़ी। मैं एक सामाजिक कार्यक्रम में जा रहा था। यह कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था। क्या वे (किसान) सामाजिक कार्यों का भी विरोध करेंगे?' इधर, हांसी कीी एसपी नितिका गहलोत ने बताया कि इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया था। लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। पुलिस द्वारा बल प्रयोग की बात गलत है। जो व्यक्ति बेहोश हुआ था, उसे मिर्गी का दौरा पड़ा था। इस कारण वह जमीन पर गिर गया था। उसे कोई चोट नहीं आई है।
कुरुक्षेत्र के गांव माजरी के किसान धर्मपाल चौहान ने बताया कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सांसद की गाड़ी का शीशा तोड़ना दर्शा रहा है कि शरारती तत्व किस हद तक पहुंच गए हैं। ये देशद्रोही हैंं, जो चाहते हैं कि प्रदेश की शांति बिगड़े। वहींं, धर्मपाल चौहान ने कहा कि शरारती तत्व पहले झूठ बोलकर भीड़ जुटाते हैं, फिर उकसा कर उनसे शांति भंग कराते हैं। इसके बाद जब पुलिस स्थिति को काबू में करने की कोशिश करती है तो आरोप लगाना शुरू कर देते हैं। पहले कश्मीर में आतंकवादी यही करते थे। जब सुरक्षाबल उनके खिलाफ कार्रवाई करता था तो तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता चिल्लाना शुरू कर देते थे। हरियाणा में भी ऐसा ही हो रहा है। किसान आंदोलन के नाम पर भी यही हो रहा है। इन शरारती तत्वों और कश्मीर के आतंकवादियों में कोई अंतर नहीं है। इनकी एक ही कोशिश है, किसी तरह से समाज को बांटा जाए ताकि प्रदेश में अस्थिरता आए।
धर्मपाल चौहान ने सवालिया अंदाज में पूछते हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई कानून को हाथ में ले और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी न हो? ये तथाकथित किसान नेता क्या कानून को भी नहीं मानते हैं? फिर इनमें और आतंकवादियों में आखिर फर्क क्या है? सामाजिक कार्यकर्ता दीपक वशिष्ठ का कहना है कि खुद को अलग-थलग पड़ता देख कथित किसान नेता इस तरह से उकसावे की गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। वे यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह से उनकी उपयोगिता बनी रहे। इसलिए वह लोगों में लगातार भ्रम और झूठ फैला कर माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। सांसद की गाड़ी का शीशा तोड़ने वाले किसान नहीं, अराजक तत्व हैं। इनके खिलाफ क्यों नहीं कार्यवाही होनी चाहिए? अब वक्त आ गया कि इनके खिलाफ उचित और ठोस कार्यवाही होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में प्रदेश का माहौल खराब हो सकता है।
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