मनोज ठाकुर
हरियाणा विधानसभा उपचुनाव में ऐलनाबाद के मतदाताओं ने कथित किसान नेताओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया। साथ ही, देश को यह संदेश भी दिया कि दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन की आड़ में जो चल रहा है, वह आंदोलन किसानों का नहीं है। किसान इससे दूर है। इस उपचुनाव में जिस तरह से भाजपा के वोट में इजाफा हुआ, उससे भी यह साबित हो गया कि कथित किसान आंदोलन में हरियाणा के किसान शामिल ही नहीं हैं।
भाजपा को पिछली बार से अधिक वोट मिले
तीन कृषि कानूनों को किसान विरोधी करार देते हुए हुए इनेलो के अभय सिंह चौटाला ने अपने पद से त्यागपत्र दिया था। उपचुनाव के जो परिणाम आए, उसमें भाजपा ने 59,189 मत हासिल किए, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 42 हजार के आसपास वोट मिले थे। इस तरह से देखा जाए तो इस उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार गोबिंद कांडा ने पिछली बार से ज्यादा वोट हासिल किए हैं।
चुनाव में किसान आंदोलन मुद्दा नहीं था
हरियाणा की राजनीति की समझ रखने वाले वीरेंद्र सिंह ने बताया कि ऐलनाबाद उपचुनाव में तथाकथित किसान नेता भी भाजपा के विरोध में आए। लेकिन मतदाताओं ने उन्हें भी सिरे से नकार दिया। इससे यह साबित हो गया कि इस उपचुनाव में किसान आंदोलन कोई मुद्दा था ही नहीं। भाजपा को ग्रामीण इलाकों में भी बढ़त मिली है। कहने को ऐलनाबाद सीट इनेलो की पारंपरिक सीट रही है। लेकिन इस सीट पर भाजपा सेंध लगाने में सफल रही है। प्रदेश में मनोहर सरकार ने हर कोई खुश है। खासतौर पर इस बात को लेकर कि युवाओं को बिना पर्ची और बिना खर्ची के सरकारी नौकरी मिल रही है।
आंदोलन विपक्ष की साजिश
मनोहर लाल की अगुवाई वाली सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाई है। सूबे में समान विकास हो रहा है, जिसका असर ऐलनाबाद उपचुनाव में देखने को मिला। युवा किसान संघ के प्रदेशाध्यक्ष प्रमोद चौहान ने बताया कि इस उपचुनाव ने तथाकथित किसान आंदोलन की पोल खोल दी है। इसने साबित कर दिया कि यह आंदोलन सिर्फ विपक्ष की चाल और साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है। इस उपचुनाव में विपक्ष चिल्लाता रहा, लेकिन मतदाता ने उनकी बातों की ओर ध्यान ही नहीं दिया।
शांति-सौहार्द बिगाड़ने की साजिश नाकाम
देश की नजर इस उपचुनाव पर लगी हुई थी। उपचुनाव में किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले गुरनाम सिंह चढूनी और राकेश टिकैत भी सक्रिय रहे। उन्होंने यहां के मतदाताओं को बरगलाने की पूरी कोशिश की। यहां तक कि विपक्ष के कार्यकर्ता किसानों के वेश में आकर प्रदर्शन किए। समाज में शांति और सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश भी हुई। लेकिन मतदाताओं ने जिस समझदारी से उन्हें जवाब दिया है, इससे देश में एक संदेश गया कि किसान आंदोलन नहीं यह देशद्रोहियों का जमावड़ा है। जो देश को तोड़ने की साजिश रच रहे हैं।
ठोस कानूनी कार्रवाई की उठ रही मांग
उपचुनाव ने यह भी साबित किया कि प्रदेश में भाजपा ही ऐसी पार्टी है, जो सभी को साथ लेकर चलती है। अब तो यह आवाज उठने लगी है कि दिल्ली बॉर्डर पर बैठे इन देशद्रोहियों और आंदोलनजीवियों के खिलाफ ठोस कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि इनके कारण न सिर्फ दिल्ली बॉर्डर के साथ लगते हरियाणा के ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि किसानों को भी नुकसान हो रहा है। हरियाणा के किसान परेशान हैं, क्योंकि आंदोलन की आड़ में उन्हें परेशान करने की कोशिश हो रही है, जिसका वे पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
हार कर भी जीती भाजपा
ऐलनाबाद उपचुनाव पर राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तकनीकी आधार पर अभय चौटाला भले ही जीत गए हैं, लेकिन नैतिकता के आधार पर वे हार गए हैं। अभय चौटाला को अगर पिछली बार से ज्यादा मत मिलते तो लगता कि इस्तीफे पर उन्हें सहानुभूति मिली। अनिल विज ने कांग्रेस को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस को भी अपनी हैसियत पता लग गई है। कांग्रेस के उम्मीदवार पवन बेनीवाल को 20,904 वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई। इससे पता चलता है कि कांग्रेस अपना आधार खो चुकी है। हरियाणा के मतदाताओं को पता चल चुका है कि कांग्रेस समाज को बांटने और अर्नगल आरोप लगाने का काम करती है। इसलिए मतदाताओं ने ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस को पूरी तरह से खारिज कर दिया है।
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