तालिबानी प्रवक्ता मुजाहिद का कहना है कि उन्हें अब एक जिम्मेदार पक्ष की तरह देखा जाए। लेकिन इस 'धमकी' के बाद भी पाकिस्तान और चीन को छोड़कर किसी और देश में कोई सुगबुगाहट महसूस नहीं की गई है।
अफगानिस्तान की सत्ता में बंदूक के दम पर करीब ढाई महीने पहले काबिज हुए मजहबी उन्मादी तालिबान ने ताजा धमकी दी है कि अगर दुनिया के देश तालिबान की सत्ता को मान्यता नहीं देंगे तो हम भी अफगानिस्तान से खतरा दूर होने की गारंटी नहीं दे सकते। तालिबान के प्रवक्ता प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि अगर अफगानिस्तान से खतरा नहीं चाहिए तो तालिबान को मान्यता दो।
उल्लेखनीय है कि खामा समाचार एजेंसी की रिपोर्ट बताती है कि गत दिनों एक प्रेस वार्ता में तालिबानी प्रवक्ता मुजाहिद ने जिस तरह से दुनिया को लगभग धमकी दी है तालिबान को मान्य करो। देखा जाए तो वे मानते हैं कि तालिबान को अब एक जिम्मेदार पक्ष की तरह देखा जाए। लेकिन इस 'धमकी' के बाद भी पाकिस्तान और चीन को छोड़कर किसी और देश में कोई सुगबुगाहट महसूस नहीं की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान के इस पैंतरे के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई की 'सलाह' हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान के इस पैंतरे के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई की 'सलाह' हो सकती है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद और उनके मंत्री गाहे—बगाहे ये बयान देते आ रहे हैं कि दुनिया के तमाम देश अफगानिस्तान में चीजों को ठीक करने के लिए तालिबान सरकार को मान्यता दें।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद और उनके मंत्री गाहे—बगाहे ये बयान देते आ रहे हैं कि दुनिया के तमाम देश अफगानिस्तान में चीजों को ठीक करने के लिए तालिबान सरकार को मान्यता दें। लेकिन पाकिस्तान और तालिबान की इन घुड़कियों के बावजूद किसी बड़े देश ने तालिबान के प्रति कोई विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
बेशक, संयुक्त राष्ट्र और कई बड़े देश अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की बदतर होती स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उस युद्धग्रस्त देश में मानवीय संकट कैसे कम हो, इसकी चिंता कर रहे हैं। लेकिन साथ ही भारत सहित कई अन्य देशों को तालिबान के लड़ाकों के अपने यहां गड़बड़ी फैलाने का भी खतरा है इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से भी ये देश मुस्तैद हैं। संभवत: मुजाहिद का इशारा इसी 'खतरे' की तरफ था क्योंकि उसके शब्दों पर गौर करें तो उसने साफ कहा है कि 'तालिबान दुनिया के देशों पर मंडरा खतरे को तब तक टालने की जिम्मेदारी नहीं ले सकता, जब तक तालिबान को तमाम देश मान्यता नहीं देते'।
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