बांग्लादेश में 13 अक्तूबर को दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान पूजा पंडालों और हिंदुओं पर हुए हमलों के विरोध में 89 संगठन एकजुट हुए हैं। हिंदुओं को, उनके पूजा स्थलों को मजहबियों द्वारा चुन-चुनकर निशाना बनाने की एक पखवाड़े तक चली इन घटनाओं में हिन्दू अल्पसंख्यकों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। उधर अन्य देशों के साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी हमलों की निंदा की है और बांग्लादेश सरकार से हिंसा को काबू करने को कहा है। इस बीच, चटगांव की एक अदालत ने दुर्गा पूजा पंडाल में तोड़फोड़ व पुलिस पर हमले के 16 दोषियों को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा है।
देश में अनेक हिन्दू संगठन पंथनिरपेक्षता के लिए समर्पित 'संप्रीति बांग्लादेश' नामक संगठन की अगुआई में एकत्र हुए हैं। सभी संगठन हिंदुओं पर हुए इन हमलों पर रोष व्यक्त करते हुए दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
'संप्रीति बांग्लादेश' के संयोजक पीयूष बंदोपाध्याय के साथ अनेक कार्यकर्ताओं ने 25 अक्तूबर को ढाका में शहीद मीनार पर रैली का आयोजन भी किया था। इस रैली में मजहबी उन्माद के विरोध में सात प्रस्ताव पारित किए गए।
हिन्दू संगठनों का मानना है कि मजहबी हिंसा ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान तथा 1975 के बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के आदर्शों को कुचला है। संप्रीति बांग्लादेश की इस रैली को ढाका विश्वविद्यालय के कुलपति मोहम्मद अख्तरुज्जमां, शेख मुजीब मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति कमरुल हसन खान, ढाका विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रमुख निजाम उल हक आदि ने भी संबोधित किया।
उधर चटगांव में दुर्गा पूजा पंडाल पर हमले के आरोपी हबीबुल्लाह मिजान ने अपना अपराध स्वीकार लिया है। यह हमला 15 अक्तूबर को किया गया था और इसमें 83 नामजद व 500 से ज्यादा अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया था। उस घटना के लिए अब तक 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
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