मनोज ठाकुर
सिंघु बॉर्डर पर तथाकथित किसान आंदोलन की अब पोल खुलनी शुरू हो गई है। किसानों के नाम पर किस तरह के तत्व यहां जुटे हैं, इसका खुलासा अब धीरे-धीरे हो रहा है। बाबा अमन सिंह के दल में शामिल एक निहंग नवीन संधू ने बॉर्डर के आसपास के गांव में मुर्गों की आपूर्ति करने वाले एक मजदूर की डंडों से पीट-पीटकर टांग तोड़ दी। इस मजदूर का कसूर बस इतना था कि उसने निहंग को मुर्गा देने से मना कर दिया था।
बताया जा रहा है कि निहंग ने मजदूर मनोज पासवान से मुर्गा मांगा। मनोज ने मुर्गा देने में असमर्थता जताई। उसने कहा कि उसे मुर्गे गिन कर मिलते हैं। वापसी पर हिसाब भी देना पड़ता है। इसलिए वह मुर्गा नहीं दे सकता। बस इतनी सी बात पर निहंग ने डंडे से उसे मार-मार कर अधमरा कर दिया। जब वह नीचे गिर गया तो उसकी टांगों पर डंडे से वार किया, जिससे उसकी टांगें टूट गईं। पोल्ट्री फार्म के मालिक सत्यवान ने बताया कि उसे घटना का पता चला तो वह मौके पर पहुंचा। वहां बड़ी मुश्किल से निहंग को काबू किया। उसे पुलिस को सौंप दिया गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया।
इधर, मनोज को सोनीपत के सरकारी अस्पताल में दाखिल कराया गया है। मनोज ने बताया कि निहंग ने उससे मुर्गा छीनने की कोशिश भी की। जब उसने बताया कि वह मुर्गा नहीं दे सकता तो निहंग उसे धमकाने लगा। इस पर उसने अपनी जेब से मुर्गों की गिनती की पर्ची दिखाई। तभी उसकी जेब से एक बीड़ी निकल गई। बस फिर क्या था, निहंग ने उसे गालियां देनी शुरू कर दी। पासवान ने निहंग को बताया कि वह यहां नहीं पीता, वह तो काम खत्म करने के बाद धूम्रपान करता है।
इस पर निहंग ने आव देखा न ताव मनोज पर एक के बाद एक डंडे बरसाना शुरू कर दिए। निहंग की इस करतूत के बाद सिंघु बॉर्डर पर दहशत और तनाव का माहौल बना हुआ है। सत्यवान ने बताया कि क्या अब कोई व्यक्ति अपनी जेब में बीड़ी भी नहीं रख सकता है। आखिर यह तथाकथित किसान चाहते क्या हैं ? क्या यहां आतंक का राज स्थापित करना चाह रहे हैं ?
सत्यवान ने बताया कि इस तरह से छीना झपटी करने वाले किसान नहीं हो सकते। यह काम तो अराजक तत्वों का है। वो ही इस तरह की हरकत करते हैं। आस—पास के दुकानदारों ने बताया कि निहंगों ने तो यहां तालिबान जैसे हालात बना दिए हैं। वह यहां आतंक फैलाना चाह रहे हैं। एक दुकानदार मुकेश कुमार ने बताया कि उन्हें हर वक्त डराया और धमकाया जाता है। लेकिन दिक्कत यह है कि न तो पुलिस उनकी बात सुन रही है और न ही प्रशासन।
इस तरह के माहौल में वह कैसे रह सकते हैं। पहले ही तथाकथित किसान आंदोलन के नाम पर उनकी दुकानदारी ठप हो गई है। उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। अब तो लग रहा है कि उनके सामान को भी यहां लूटा जाएगा। ग्रामीणों ने कहा कि सिंघु बॉर्डर पर किसान नहीं, बल्कि हुड़दंगी है। जिन्हें तुरंत यहां से हटाया जाना चाहिए। ये लोग अब यहां का माहौल खराब कर रहे हैं। यह अपना दबदबा बनाना चाह रहे हैं। जिससे आस पास के लोग इनका विरोध न कर सकें। 15 अक्टूबर को लखबीर की हत्या कर दी थी। इसके बाद ही बाबा अमन सिंह और उसका निहंग दल चर्चा में आया था। हत्या के आरोप में इस दल के चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। चारों ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है।
निहंग की इस करतूत पर तथाकथित किसान नेता चुप हैं। उनसे जब निहंगों की करतूत पर सवाल किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली।
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