किसानों के नाम पर शुरू हुए आन्दोलन के फेल हो जाने के बाद बीते गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के अपमान की घटना की गई थी और अब लखीमपुर खीरी में घटना हुई. शायद राकेश टिकैत अपनी राजनीति चमकाने के लिए ऐसी ही किसी घटना पर आमादा थे. जिस आन्दोलन को शांतिपूर्ण बताया जा रहा है, उस आन्दोलन के दौरान जानबूझ कर कई बार सीमाएं लांघी गईं.
सुनील राय
रविवार को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कस्बे में कुछ सिख एकत्र हुए और उन्होंने रास्ता जाम कर दिया. योजनाओं का शिलान्यास करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर खीरी पहुंच रहे थे. उनके स्वागत में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के पुत्र आशीष मिश्र जा रहे थे. आन्दोलन करने वालों ने सड़क को जाम कर रखा था. बताया जाता है कि आशीष मिश्र की कार पर आंदोलनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया. पथराव होने की दशा में ड्राईवर ने कार दूसरी तरफ से निकालनी चाही मगर संतुलन बिगड़ गया. कार के नीचे आने पर कुछ लोग घायल हो गए. अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई.
इसके बाद मौके पर जमकर हिंसात्मक तांडव हुआ. वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि जो लोग आन्दोलन को शांतिपूर्ण बता रहे हैं. किस तरह से आगजनी की जा रही है. काफिले में जो कारे थीं उसे सड़क के नीचे गिरा कर उसमे आग लगाई गई. वीडियो में कई बार आवाज आती है कि “गड्डी पलट दो.” मौके पर अपशब्द की बौछार हो रही थी. आंदोलन करने वालों ने ड्राइवर के सिर पर लाठी से वार किया. तभी किसी की नज़र पड़ी तब वो जोर से चिल्लाया – “वीडियो मत बनाओ.” वीडियो में उस ड्राइवर पर कातिलाना हमला किया जा रहा है. इस बात के स्पष्ट साक्ष्य हैं.
उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक है. सो, इस घटना का तेजी से राजनीतिकरण शुरू हो गया है. पंजाब के मुख्यमंत्री चरण जीत सिंह ‘चन्नी’ ने लखीमपुर खीरी पहुंचने की घोषणा कर दी. प्रियंका गांधी रविवार की रात में ही लखीमपुर खीरी के रास्ते में थीं. कानून एवं व्यवस्था को देखते हुए पुलिस ने उन्हें टोल प्लाजा के पास रोका. बहुजन समाज पार्टी के नेता सतीश चन्द्र मिश्र भी घटना स्थल के लिए रात में ही निकल रहे थे मगर पुलिस ने उन्हें रोक लिया. इस पर उन्होंने पुलिस से लिखित आदेश मांगा. पुलिस ने उन्हें लिखित रूप में सूचित किया कि लखीमपुर खीरी में धारा 144 लागू है इसलिए वहां पर राजनीतिक दलों के प्रदर्शन आदि पर रोक लगा दी गई है. रविवार की रात में ही 150 गाड़ियों के काफिले के साथ राकेश टिकैत भी मौके पर रवाना हुए मगर उन्हें शाहजहांपुर के पास रोक लिया गया. सोमवार को अखिलेश यादव और भीम आर्मी के चंद्रशेखर को भी पुलिस ने रोक दिया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अपने सभी कार्यक्रम निरस्त कर दिए. रविवार की रात उच्च स्तरीय बैठक के बाद सरकार सभी मामले पर नजर बनाए हुए है. अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) प्रशांत कुमार , घटना को नियंत्रित करने के लिए मौके पर मौजूद हैं. जनपद में इंटरनेट सेवा बंद करा दी गई है. घटना के बाद जिलाधिकारी के आदेश से धारा 144 लागू कर दी गई है. घटनास्थल पर अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है. अर्द्धसैनिक बलों के जवान भी क्षेत्र में तैनात हैं. इस घटना के बाद सभी जनपदों में अलर्ट घोषित कर दिया गया है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने कहा है कि "तीन कार्यकर्ता एक चालक की इस घटना में मौत हुई है. इसके अलावा एक कार को आग लगा करके नष्ट किया गया. वह इस मामले में एफआईआर दर्ज कराएंगे."
26 जनवरी 2021 को भी इस किसान आन्दोलन ने हद पार की थी. लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर तिरंगे का अपमान किया गया था. इन कथित आंदोलनकारियों की एक ही मंशा थी कि किसी भी प्रकार पुलिस गोली चला दे. ये लोग तभी से खून की होली खेलने पर आमादा हैं.
तिरंगे के अपमान के बाद राकेश टिकैत के मन की बात जुबान पर आ गई थी. उन्होंने कहा था कि " तिरंगे की सुरक्षा के लिए पुलिस ने गोली क्यों नहीं चलाई ?” 26 जनवरी को सिख युवक तेज गति से ट्रैक्टर चलाने के कारण अपने ही ट्रैक्टर में दब कर घायल हुआ था. अस्पताल ले जाते समय उसकी मृत्यु हो गई थी तब टी.वी पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने टी. वी चैनल पर घोषणा कर दी कि गोली लगने से किसान की मृत्यु हो गई ! कुछ समय बाद ही साफ़ हो गया कि ट्रैक्टर की दुर्घटना के कारण मृत्यु हुई थी. 26 जनवरी को ही रविश कुमार ने ट्वीट किया कि “एक किसान की मृत्यु हो गई किसी भी पुलिसकर्मी की मृत्यु नहीं हुई. जो अराजक होता है वह मरता है या मारता है. समझने की कोशिश कीजिए.” इतने सब कुछ से यह समझा जा सकता है कि यह सभी लोग खून-खराबे के इन्तजार में बेताब थे.
अंततः राकेश टिकैत का आदोलन रक्त रंजित मोड़ पर पहुंच ही गया. अब आगे क्या होता है. यह देखने वाली बात होगी.
टिप्पणियाँ