अफगानिस्तान के 20 प्रांतों में 150 से ज्यादा मीडिया संस्थानों को अपने दफ्तर बंद करने पड़े हैं। वे अब न खबरें छापते हैं, न चैनल चलाते हैं
अफगानिस्तान बीते एक महीने के मजहबी उन्मादी तालिबान लड़ाकों के आतंकी राज में देश के 150 से ज्यादा मीडिया संस्थानों पर ताले लटक चुके हैं। उनके पास इतना पैसा नहीं रहा कि वे अपना काम चलाते रहें। तालिबान लड़ाकों की 'सरकार' ने आते ही सूचना के अधिकार की चिंदियां बिखेर दीं यानी 'सरकार' कब, क्या, कैसे कर रही है यह किसी को जानने का हक नहीं है। ताजा जानकारी के अनुसार अफगानिस्तान के 20 प्रांतों में 150 से ज्यादा मीडिया संस्थानों को अपने दफ्तर बंद करने पड़े हैं। वे अब न खबरें छापते हैं, न चैनल चलाते हैं। इससे भी तालिबान के एक महीने के आतंकी राज की पोल खुल जाती है।
अफगानिस्तान के सुप्रसिद्ध टोलो न्यूज चैनल ने 21 सितम्बर को यह जानकारी देते हुए बताया कि उसे 'सरकार के अधिकारियों' से पता चला है कि बंद हुए मीडिया संस्थानों में रेडियो, अखबार और टीवी चैनल शामिल हैं। ये बंद इसलिए हुए हैं क्योंकि ये आर्थिक समस्याएं झेल रहे थे, इन पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए थे। इन दोनों वजहों से इनकी काम चालू रखने की सामर्थ्य जाती रही। कहा यह भी जा रहा है कि मीडिया के लिए पैसे का इंतजाम नहीं होता है तो और ज्यादा मीडिया संस्थानों के पास दफ्तर बंद करने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाएगा। साथ ही, मांग यह भी की जा रही है कि तालिबान लड़ाकों ने कइयों के विरुद्ध जो प्रतिबंध लगाए हुए हैं उन्हें भी हटाया जाए। इस वजह से स्वतंत्र खबर देने के अपने दायित्व को वे नहीं निभा पा रहे हैं।
अफगानिस्तान पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष हुजतुल्ला मुजादादी के माध्यम से टोला न्यूज ने कहा है कि प्रतिबंधों के इस चलन के बने रहने से चिंता पैदा हो गई है। पत्रकार संघ ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि वे इस मुश्किल के हल के लिए फौरन कोई कार्रवाई करें। टोलो न्यूज के मसरूर लुत्फी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय संगठन जल्दी ही समस्या पर गौर करके कोई रास्ता निकालें तो हालात सुधर सकते हैं, नहीं तो कई और मीडिया संस्थान बंद होंगे। अगर कोई समाधान नहीं निकला, तो अफगानिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता पर आंच आनी निश्चित है।
अफगानिस्तान पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष हुजतुल्ला मुजादादी के माध्यम से टोला न्यूज ने कहा है कि प्रतिबंधों के इस चलन से चिंता पैदा हो गई है। पत्रकार संघ ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अपील की है कि वे इस मुश्किल के हल के लिए फौरन कोई कार्रवाई करें। अंतरराष्ट्रीय संगठन कोई रास्ता निकालें तो हालात सुधर सकते हैं, नहीं तो कई और मीडिया संस्थान बंद होंगे।
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