पड़ोसी देश पाकिस्तान में मीडिया और इमरान खान सरकार के बीच टकराव गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। सरकार सभी तरह की मीडिया पर अंकुश लगाकर अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए एक अध्यादेश लाने जा रही है, जिसके विरोध में पाकिस्तान भर के पत्रकार सड़कों पर हैं।
मीम अलिफ हाशमी |
पड़ोसी देश पाकिस्तान में मीडिया और इमरान खान सरकार के बीच टकराव गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। सरकार सभी तरह की मीडिया पर अंकुश लगाकर अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए एक अध्यादेश लाने जा रही है, जिसके विरोध में पाकिस्तान भर के पत्रकार सड़कों पर हैं। जगह-जगह धरना प्रदर्शन का दौर जारी है। सोमवार को इमरान खान सरकार ने हद ही कर दी। पाकिस्तानी संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि पत्रकारों के विरोध-प्रदर्शन के डर से राष्ट्रपति के अभिभाषण से पहले संसद की मीडिया गैलरी में ताला लगा दिया गया। स्वरूप जब संसद चलता रहा अंदर विपक्षी दल और बाहर मीडिया कर्मी ‘इमरान खान सरकार मुर्दाबाद’ के नारे लगाते रहे।
दरअसल, इमरान खान मीडिया विकास प्राधिकरण विधेयक लाने जा रही है। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, डिजिटल सहित सभी तरह की मीडिया पर पाबंदी लग जाएगी। इसके नियम-कानून इतने सख्त हैं कि प्राधिकरण की पाबंदियों का उल्लंघन करने वालों को भारी जुर्माना के साथ तीन साल की कैद भी हो सकती है।
मीडिया कर्मियों के विरोध के डर से पाकिस्तान सरकार ने संसद में जो किया उसे पाकिस्तान के संसदीय इतिहास में न केवल असामान्य, बल्कि बहुत ही गंभीरतम घटना बताई जा रही है। सोमवार को संसद की संयुक्त बैठक के लिए राष्ट्रपति आरिफ अली का अभिभाषण हुआ। लेकिन उनके संबोधन से पहले ही संसदीय प्रेस गैलरी पर ताला मार दिया गया। कहा जा रहा है कि नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने प्रस्तावित मीडिया विकास प्राधिकरण विधेयक के खिलाफ संसदीय प्रेस गैलरी से पत्रकारों के बहिर्गमन की आशंका के चलते यह कदम उठाया था।
इससे पहले, नेशनल असेंबली सचिवालय ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को कवर करने के लिए सीमित संख्या में पत्रकारों को कार्ड जारी किए थे। मगर पत्रकारों के संभावित विरोध से सरकार इतना खौफ खाए हुई थी कि कार्डधारकों को भी ऐन वक्त पर कवरेज करने से रोक दिया गया। इसके बाद पत्रकारों ने संसद भवन के अंदर रेड कार्पेट पर धरना दिया। उनके धरना-प्रदर्शन में पूर्व अध्यक्ष अयाज सादिक, पीएमएल-एन, पीपीपी, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम सहित विभिन्न दलों के नेता भी शामिल हुए। पत्रकारों के साथ एकजुटता दिखाई। इस दौरान पंजाब के राज्यपाल, नौसेना प्रमुख सहित विदेशी राजदूत राष्ट्रपति का अभिभाषण सुनने संसद पहुंचे और धरने के बीच से होते हुए सदन के अतिथि दीर्घाओं में गए।
पूर्व स्पीकर अयाज सादिक ने कहा कि स्पीकर द्वारा संसदीय प्रेस गैलरी को बंद करना अवैध और असंवैधानिक है। तानाशाही दौर में भी ऐसा कभी नहीं हुआ। यह फैसला स्पीकर ने नहीं, किसी और ने लिया था। उनका इशारा प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर था।
इस मौके पर पीएमएल-एन के महासचिव अहसान इकबाल ने कहा, ‘इमरान खान चाहते हैं कि पत्रकार बेरोजगार होकर सड़कों पर घूमें।
उधर, सदन के अंदर राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया। प्रधानमंत्री इमरान खान समेत सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। विपक्षी सदस्य प्रस्तावित मीडिया विकास प्राधिकरण के खिलाफ बैनर और तख्तियां लिए हुए थे। हालांकि, राष्ट्रपति के भाषण के दौरान विपक्ष के विरोध का टीवी पर प्रसारण नहीं किया गया।
नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता शाहबाज शरीफ, सीनेट में विपक्ष के नेता सैयद यूसुफ रजा गिलानी, बिलावल भुट्टो जरदारी, पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और अन्य विरोध में काफी सक्रिय दिखे। सदन में विरोध दर्ज कराने के बाद पत्रकारों के धरने में शामिल होने के लिए संसद भवन के बाहर पत्रकारों के धरने में शिरकत की।
पत्रकार संगठन रविवार से संसद भवन के बाहर प्रस्तावित पीएमडीए बिल के खिलाफ धरना दे रहे हैं। जिसे शहबाज शरीफ, बिलावल भुट्टो जरदारी, मौलाना फजलुर रहमान और अन्य राजनीतिक नेताओं ने संबोधित किया। धरने में वकील संगठनों और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।
संसद खत्म होते ही स्पीकर के चैंबर के बाहर पत्रकारों ने विरोध में नारेबाजी की। राष्ट्रपति के कर्मचारी उन्हें लेने के लिए अध्यक्ष के कक्ष में पहुंचे, लेकिन पत्रकारों के विरोध के कारण, राष्ट्रपति अध्यक्ष के कक्ष में आने के बजाय दूसरे रास्ते से अपने कक्षों में चले गए, जहां से वे राष्ट्रपति भवन के लिए रवाना हो गए। जब राष्ट्रपति पत्रकारों के सामने से गुजर रहे थे तो पत्रकारों ने उनके और अध्यक्ष के विरोध में भी नारे लगाए। पत्रकारों के भारी विरोध के डर से राज्यपाल, मुख्यमंत्री और सेना प्रमुख ने प्रोटोकॉल निभाने की बजाए संसद भवन प्रशासन ने उन्हें निर्धारित मार्गों से अलग वैकल्पिक रास्तों से निकाला।
इस बीच उधर से गुजर रहे सूचना मंत्री फवाद चौधरी का ध्यान पत्रकारों ने प्रेस गैलरी के बंद करने की ओर दिलाया तो उन्होंने इससे अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि हो सकता है कि यह कोरोना के कारण बंद किया गया हो।
क्या है मीडिया विकास प्राधिकरण विधेयक के मसौदे में ?
दरअसल, इमरान सरकार मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बिल लाकर एक ऐसा कानूनी मसौदा तैयार करने की फिराक में है, जिससे देश की पूरी और हर तरह की मीडिया पर अंकुश लगाया जा सके। पाकिस्तान मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएमडीए) अध्यादेश के लागू होने के बाद, पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी, प्रेस काउंसिल ऑर्डिनेंस और मोशन पिक्चर्स ऑर्डिनेंस को निरस्त कर दिया जाएगा और देश में चल रहे अखबार, टीवी चैनल और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म मीडिया विकास प्राधिकरण के तहत आ जाएंगे। हालांकि, सूचना मंत्री फवाद चौधरी प्रस्तावित अध्यादेश के बारे में दावा करते हैं, ‘‘नया मीडिया कानून मीडिया कर्मियों के हक में है। इसके बाद वे अपने संस्थानों की अनियमित्ता के खिलाफ अदालत में जा सकेंगे।‘‘
फवाद विपक्ष का मजाक उड़ाते हुए कहते हैं, ‘‘पीपीपी और नून लीग ने पहले भी इस संशोधन का विरोध किया है। आगे भी करते रहेंगे, क्योंकि उनके हित सेठ के प्रति है न कि मीडिया कर्मियों के।‘‘
वरिष्ठ पत्रकार मुहम्मद जिया-उद-दीन के मुताबिक, इस कानून के तहत सरकार मीडिया को नियंत्रित करना चाहती है। यह एक नियामक प्राधिकरण की तरह नहीं, यह नियंत्रण प्राधिकरण की तरह दिखता है। सरकार इस कानून के जरिए मीडिया पर नियंत्रण करना चाहती है।
उन्होंने कहा,‘‘दुनिया भर में मीडिया नियामक संस्थाएं हैं, लेकिन कानून बनाने में पेशेवर पत्रकारों से परामर्श करना हमेशा महत्वपूर्ण होता है।‘‘ मोहम्मद जिया-उद-दीन के अनुसार, एक पत्रकार संगठन को विनियमित करने के लिए जुर्माना लगाया जाता है, लेकिन दुनिया में कहीं ऐसा कानून नहीं है जो सजा देता है। पत्रकारों का कहना है कि इस दस्तावेज में ऐसे-ऐसे नुक्ते हैं जिसकी आड़ लेकर मीडिया संस्थान के मालिक से लेकर कर्मी कभी भी कानून के घेरे में आ सकते हैं। यही नहीं सोशल मीडिया पर सरकार विरोधी पोस्ट करने वाले भी इस कानून के बनने पर आसानी से नापे जाएंगे।
दस्तावेज के मुख्य बिंदु
- पाकिस्तान में समाचार पत्रों, टीवी चैनलों और वेब चैनलों के अलावा, डिजिटल मीडिया के लिए लाइसेंस और एनओसी प्राप्त करना अनिवार्य हो जाएगा।
- इस कानून के तहत, इंटरनेट के माध्यम से लिखित, ऑडियो, वीडियो या ग्राफिक्स के जरिए दी जाने वाली सामग्री या जानकारी डिजिटल मीडिया की श्रेणी में आएगी।
- वेब टीवी और ओवर द टॉप टीवी को भी डिजिटल मीडिया कैटेगरी में शामिल किया जाएगा।
- अध्यादेश के तहत लाइसेंस प्राप्त या पंजीकृत मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसका उल्लंघन करने पर तीन साल की कैद और 25 मिलियन रुपये तक का जुर्माना भरना होगा।
- संघीय सरकार किसी भी मुद्दे पर पीएमडीए को निर्देश जारी कर सकती है, जबकि पीएमडीए सरकारी निर्देशों को लागू करने के लिए बाध्य होगा।
- पीएमडीए के तहत, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट और डिजिटल मीडिया का एक अलग निदेशालय स्थापित किया जाएगा जो संबंधित विभागों के लाइसेंस की निगरानी, जारी और नवीनीकरण को नियंत्रित करेगा।
- डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए लाइसेंस प्राप्त या पंजीकृत निकाय पाकिस्तान की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
- किसी भी कार्यक्रम के दौरान, एंकर या मेजबान पाकिस्तान की विचारधारा, राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या सुरक्षा से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी साझा नहीं करेगा।
- प्राधिकरण राज्य के प्रमुख, सशस्त्र बलों या न्यायपालिका को बदनाम करने वाली सामग्री ऑनलाइन प्रसारित या पोस्ट करने की अनुमति नहीं देगा।
- नई लाइसेंस प्राप्त कंपनियां लॉन्च के एक साल बाद तक सरकारी विज्ञापन के लिए पात्र नहीं होंगी।
- अध्यादेश कार्यक्रमों, समाचारों और विश्लेषण के बारे में शिकायतों से निपटने के लिए मीडिया शिकायत परिषद बनाएगा।
- परिषद 20 दिनों के भीतर किसी भी शिकायत पर निर्णय लेने के लिए बाध्य होगी।
- अध्यादेश किसी भी ऐसी सामग्री के प्रसारण की अनुमति नहीं देगा जो लोगों के बीच नफरत को भड़का सकती है या कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब कर सकती है।
- पाकिस्तान मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के तहत एक मीडिया ट्रिब्यूनल बनाया जाएगा। 10 सदस्यीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश होंगे।
- मीडिया शिकायत परिषद के फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के अलावा, ट्रिब्यूनल मीडिया कर्मियों के वेतन लागू करेगा और मीडिया घरानों में मीडिया कर्मियों के साथ पेशेवर मामलों की निगरानी करेगा।
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