हरियाणा सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में सरस्वती नदी के इतिहास को शामिल करने का फैसला किया है। छठी से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को मौजूदा सत्र से इसके बारे में पढ़ाया जाएगा।
हरियाणा सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रम में सरस्वती नदी के इतिहास को शामिल करने का फैसला किया है। छठी से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को मौजूदा सत्र से इसके बारे में पढ़ाया जाएगा। हरियाणा सरस्वती विरासत विकास बोर्ड (एचएसएचडीबी) के अधिकारियों का कहना है कि इतिहास की नई किताबें इसी माह के अंत में छपाई के लिए भेजी जानी हैं।
इस संबंध में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बीआर आंबेडकर अध्ययन केंद्र के सहायक निदेशक प्रीतम सिंह के नेतृत्व में 15 सदस्यीय सरस्वती पाठ्यक्रम समिति का गठन किया गया है। समिति के अन्य सदस्यों में इतिहास, भूगोल और भूविज्ञान के शिक्षक और विशेषज्ञ शामिल हैं। समिति 15 सितंबर को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसे बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा जाएगा।
एचएसएचडीबी के उपाध्यक्ष धूमन सिंह किरमच ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में सरस्वती नदी के इतिहास को शामिल करने का फैसला मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जो बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, और राज्य के शिक्षा मंत्री कंवरपाल की सिफारिश पर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम केवल स्कूलों में ही नहीं, बल्कि कॉलेजों और विश्वविद्यायलयों में भी विशेष पाठ्यक्रम व शोध परियोजनाएं शुरू करने की योजना है। इसका उद्देश्य सरस्वती मॉड्यूल को एनसीईआरटी की पुस्तकों और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल कराना है। धूमल सिंह ने कहा, शुरुआत में हरियाणा शिक्षा बोर्ड और एससीईआरटी पुस्तकों के पाठ्यक्रम में सरस्वती का अध्ययन शामिल होगा। लेकिन अंत में हम एनसीईआरटी को अपनी किताबों में सरस्वती नदी पर कुछ अध्याय या पैराग्राफ भी शामिल करने के लिए सिफारिशें भेजेंगे, ताकि देश भर के बच्चे अपने इतिहास और संस्कृति के बारे में जान सकें।
इसके अलावा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 2022-23 से शुरू होने वाले शैक्षिक सत्र के लिए भी एक पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिसमें एचएसएचडीबी और विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्च ऑन सरस्वती नदी द्वारा गठित एक समिति के इनपुट हैं। छात्रों के पास इस पाठ्यक्रम को चुनने और सरस्वती नदी स्थलों पर शोध कार्यकरने का विकल्प होगा। बोर्ड की योजना न केवल हरियाणा, बल्कि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और गुजरात के अन्य विश्वविद्यालयों में भी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के नए पाठ्यक्रम को भेजने की है, जहां से सरस्वती नदी गुजरती है।
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