पाकिस्तान पर तालिबानी संस्कृति का एक और नमूना सामने आया है। पूरा विश्व जब जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मना रहा था, तभी पाकिस्तान के एक मंदिर में तोड़—फोड़ की गई और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को उन्मादियों ने खंडित कर दिया
मीम अलिफ हाशमी
पाकिस्तान पर तालिबानी संस्कृति का एक और नमूना सामने आया है। पूरा विश्व जब जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मना रहा था, तब पाकिस्तान के एक मंदिर में तोड़—फोड़ की गई और भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया।
बता दें कि कुछ दिन पहले पाकिस्तान के रहीम यार खान में गणेश मंदिर पर हमला कर उत्पात मचाया गया था। वहां स्थापित तमाम देवी-देवताओं की प्रतिमाएं खंडित कर दी गई थीं। भारत की कड़ी आपत्ति जताने और सोशल मीडिया पर इमरान खान सरकार की घोर आलोचना के बाद मंदिर तो ठीक करा दिया गया, पर पाकिस्तानी अल्पसंख्यकों के प्रति बहुसंख्यकों के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। इसका नतीजा है कि पखवाड़े बाद ही एक और मंदिर में तोड़-फोड़ की गई।
पाकिस्तान नेशनल एसेंबली के सदस्य एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता लाल मलही ने बताया कि मंदिर में तोड़-फोड़ और भागवान कृष्ण की प्रमिमा खंडित करने की घटना सोमवार को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के खिपरो में हुई है।
लाल मलही ने ट्विट कर खंडित भगवान कृष्ण की प्रतिमा की तस्वीर साझा की है। साथ ही इमरान सरकार के रवैये पर चिंता जाहिर की है कि ऐसी घटनाएं कब रुकेंगी। इसी तरह पाकिस्तान की लेखिका सुरक्षा दोदाई ने भी घटना पर अफसोस जताते हुए ट्विट किया है,‘‘यह बेहद शर्मनाक है।’’
पाकिस्तान के अधिवक्ता राहत आस्टीन का कहना है कि कुछ लोग मंदिर को अस्थायी बताकर मामले को दबाने की कोशिश में हैं। इसके साथ ही उन्होंने किसी सोशल मीडिया रिपोर्टर का वीडियो साझा किया है, जिसमें वह कहता सुनाई दे रहा है कि मंदिर तोड़ दिया गया।
राहत आस्टीन का कहना है,‘‘इस वीडियो में रिपोर्टर कहता है कि भगवान कृष्ण की मूर्ति को मंदिर में तोड़ा गया है। अब मुझे समझ नहीं आ रहा है कि कुछ लोग क्या कहना चाहते हैं।
उन्होंने एक अन्य ट्विट में कहा कि कुछ दोस्त मुझसे कह रहे हैं कि हमला करना ''ठीक'' था, क्योंकि यह सिर्फ एक अस्थायी पूजा स्थल था, जबकि इस वीडियो की पहली पंक्ति में घटनास्थल पर मौजूद रिपोर्टर स्पष्ट रूप से एक ''मंदिर'' के बारे में बात करता है जिसका अर्थ है ‘‘हिंदू मंदिर।'' वह स्थायी या अस्थायी के बारे में उल्लेख नहीं करता है।'' इसके साथ सवाल यह भी है कि क्या मंदिर अस्थायी होगा तब भी कोई इस तरह हमला कर वहां स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमा खंडित कर सकता है ?
दरअसल, यह पाकिस्तान के मानसिक दिवालियापन और वहां की हवा में घुला मजहबी कट्टरपंथ का नतीजा है कि अल्पसंख्यकों और उनके धर्मस्थलों पर हमले लगातार हो रहे हैं। लोगों को प्रताड़ित किया जाता है। तकरीबन ढाई वर्ष पहले इमरान खान सरकार पाकिस्तान में इस वादे के साथ सत्ता में आई थी कि वह देश के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा और आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करेगी। मगर अब तक हो इसके उलट रहा है। नौकरियों में हिंदुओं के लिए निम्न दर्जों के ओहदे के अलावा और कोई जगह नहीं है। यहां तक कि पिछले ढाई वर्षों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं। मासूम हिंदू लड़कियों के अपहरण, कन्वर्जन और बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाओं में इमरान सरकार में इजाफा हुआ है। हर साल एक हजार से अधिक हिंदू लड़कियों के अपहरण, कन्वर्जन और बलात्कार की घटनाएं दर्ज की जा रही हैं। हद तो यह कि पाकिस्तान में जब कोरोना और लाॅकडाउन के चलते अल्पसंख्यकों के सामने रोजी-रोटी का भारी संकट पैदा था, तो कुछ लोगों ने रोटी के बदले इस्लाम कबूलने का अभियान शुरू कर दिया था।
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