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चीज में होते हैं रंग। रंगों को सौंदर्य बोध के दायरे से बाहर देखते हैं तो उनका अलग ही महत्व दिखाई देता है। इनका हमारे स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। प्राचीन काल से ही रंगों से उपचार का काम होता रहा है, चाहे खाने में हो या रंगीन रोशनी को देखकर हो या फिर रंगीन शीशे की बोतलों को जिनमें पानी होता है, धूप में रखकर उसमें चिकित्सकीय गुण पैदा करने की बात हो। हर रंग कुछ कहता है। रंग शरीर में बने अलग-अलग चक्रों को प्रभावित करते हैं। रंगों से भावनाओं पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई थकान महसूस कर रहा है तो उसे पीला या लाल रंग देखने की सलाह दी जाती है। जहां तक खाने की बात है तो आहारविज्ञानी (डायटीशियन) ऐसा भोजन करने की सलाह देते हैं जिनमें इंद्रधनुषी रंग हों यानी सात रंग केखाद्य पदार्थों को शामिल करें। इंद्रधनुष का नाम लेने का सिर्फ यही मतलब है कि हम अपने आहार में अलग-अलग चीजों को शामिल करें, जिससे अधिक से अधिक पोषण हमें मिल सके।
1- सहस्रार चक्र … बैंगनी रंग
सहस्रार चक्र, जिसे ब्रह्मरंध्र भी कहते हैं, सिर पर सबसे ऊपरी जगह पर होता है, जहां नवजात बच्चे के सिर में ऊपर सबसे कोमल जगह होती है। बैंगनी रंग सहस्र चक्र से जुड़ा होता है जो शरीर में सबसे ऊपर होता है। यह ज्ञान का प्रतिनिधत्व करता है।
खाद्य पदार्थ: अंगूर और कुछ बैंगन जैसी सब्जियां।
लाभ: अंगूर रक्तशोधक है और खून बढ़ाता है। दिमाग तेज करता है और सबसे अधिक सुपाच्य है। इसका 'रेस्वेराट्रोल' यौगिक मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ाता और मानसिक प्रक्रियाओं में सुधार लाता है। अंगूर मस्तिष्क को पट्टिका और फ्री-रैडिकल्स क्षति से बचाता है जो अल्जाइमर रोग का एक कारक है। बैंगन में पाए जाने वाले न्यूट्रियंट्स दिमाग के लिए बहुत अच्छे होते हैं। ये हमारी कोशिकाओं की झिल्ली को किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाते हैं।
2- आज्ञा चक्र …नीला रंग
नीला रंग आज्ञा चक्र से जुड़ा होता है। यह पूर्वाभास की ताकत देता है।
खाद्य पदार्थ: जामुन और जैतून।
लाभ: जामुन स्मरणशक्तिवर्धक है और चेहरे से मुंहासे हटाकर आपके सौंदर्य को निखार देता है। मस्तिष्क की कोशिकाओं की क्षमता घटने से स्मरणशक्ति कमजोर हो जाती है। जामुन में एंटीऑक्सीडेंट खासकर फ्लेबोनायड्स मिलते हैं जो स्मरणशक्ति को बढ़ाते हैं। जैतून का तेल विटामिन ए, डी, ई, के और बी-कैरोटिन का अच्छा स्रोत है। मानसिक विकार दूर कर व्यक्ति को स्फूर्तवान बनाता है।
3- विशुद्धि चक्र … आसमानी रंग
विशुद्धि चक्र कंठ के के बिल्कुल पास में होता है। इसे कंठ चक्र भी कहते हैं। आसमान और पानी का रंग, नीला कंठ चक्र से जुड़ा होता है। हमारे शरीर का दो तिहाई भाग पानी है। लिहाजा, यह रंग हमसे सीधे मेल खाता है।
खाद्य पदार्थ: नीले प्रकार की सब्जियां और फल।
लाभ: ये पोलीफेनोल से भरपूर होती हैं जो कैंसर से बचाती हैं।
4- अनाहत …हरा रंग
अनाहत चक्र हृदय के स्थान में पसलियों के मिलने वाली जगह के ठीक नीचे होता है। इसे हृदय चक्र भी कहा जाता है। इसका रंग हरा है। शरीर को यह रंग बहुत अधिक मात्रा में चाहिए। यह स्वास्थ्य व संतुलन का प्रतीक है। इनसे शिराओं का तनाव कम होता है और आराम मिलता है। पौधों का हरा रंग क्लोरोफिल के कारण होता है जो उनकी जीवनरेखा होती है। यही कारण है कि प्राकृतिक चिकित्सा में हरी पत्तेदार सब्जियों का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। यह हृदय चक्र से जुड़ा होता है, जो स्वास्थ्य का मूल है।
खाद्य पदार्थ: हरी पत्तेदार सब्जियां, जो सलाद व सूप में प्रचुर मात्रा में खाई जाती हैं।
लाभ: हरी सब्जियों से भरपूर मात्रा में विटामिन ए, बी कॉम्प्लेक्स और सी, कैल्शियम (पालक व ब्रोकली) व अन्य खनिज मिलते हैं। हरी चाय से भरपूर फेनोल मिलता है, जो गठिया व कैंसर से शरीर की रक्षा करता है।
5- मणिपुर चक्र …पीला रंग
मणिपुर चक्र नाभि के नीचे होता है। इसका जुड़ाव पीले रंग से होता है। यह रंग सकारात्मकता, आशा और नई ऊर्जा का द्योतक है । आम तौर पर इसे खेल व खिलाडि़यों से जोड़कर देखा जाता है। यह मणिपुर चक्र से जुड़ा होता है और जिस्मानी व दिमागी ताकत से इसका नाता है। यह अस्थि मज्जा का भी पता देता है।
खाद्य पदार्थ: हल्दी, सरसों, मक्का, अनानास इत्यादि।
लाभ: इस रंग के खाद्य पदार्थों से कई फायदे मिलते हैं। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है (हल्दी), विटामिन बी कॉम्प्लेक्स मिलता है (मक्का), पाचक रस बनते हैं (ब्रोमिलेन)। जो लोग अस्थमा से पीडि़त होते हैं, उन्हें इस रंग के खाद्य पदार्थों से फायदा मिलता है।
6 -स्वाधिष्ठान चक्र …नारंगी रंग
स्वाधिष्ठान चक्र जननेंद्रिय के ठीक ऊपर होता है।
नारंगी रंग ताकत व गंभीरता का प्रतीक है। यह शरीर के दूसरे चक्र स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ा हुआ है। जो शरीर में भावनाओं व पानी की मात्रा को संतुलित रखता है। सोडियम व पोटाशियम जैसे खनिज लवण इस चक्र से जुड़े हैं और यदि इनमें कोई असंतुलन पैदा होता है तो तनाव बढ़ जाता है और किडनी संबंधी विकार होने लगते हैं। इसीलिए जिनको तनाव होता है या जो भयभीत होते हैं, उनका रक्तचाप बढ़ जाता है और शरीर में पानी की मात्रा बढ़ने लगती है।
खाद्य पदार्थ: सन्तरा, पीले गाजर, सीताफल (कद्दू)।
लाभ: इनमें अल्फा कैरोटीन, बीटा कैरोटीन और हेस्पेरेडीन जैसे विटामिन होते हैं और पोटाशियम व क्रोमियम जैसे खनिज होते हैं। यदि आपको उच्च रक्तचाप की शिकायत रहती है तो इन्हें खाने से आपको लाभ मिलेगा।
7 मूलाधार चक्र … लाल रंग
मूलाधार चक्र गुदा और जननेंद्रिय के बीच होता है। लाल रंग मूलाधार चक्र से संबंधित है जो भूख और काम जैसी मूल भावनाओं का आधार है।
खाद्य पदार्थ: हर वह चीज जो लाल है जैसे टमाटर, गाजर, स्ट्रॉबेरी, तरबूज, लाल शिमला मिर्च, चेरी, सेब और अनार।
लाभ : टमाटर में लाइकोपीन होता है जिससे त्वचा में निखार आता है। सेब और अनार में विटामिन ए और थोड़ा बहुत लौह तत्व (आयरन) भी होता है। अनार में विटामिन सी भी होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, त्वचा को चमकदार बनाने और हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सहायक होता है।
-अजय विद्युत
कौन सा चक्र कहां
1 सहस्रार चक्र- सिर के ऊपरी भाग में स्थित ऊर्जाकेंद्र जहां फ्रंटल, पैरिटल और टेम्पोरल नामक अस्थियां एक दूसरे से मिलती हैं।
2 आज्ञा चक्र- भौंहों के मध्य का ऊर्जाकेंद्र। दोनों भौहों के मध्य में स्थित बिंदु।
3 विशुद्धि चक्र- गले का ऊर्जाकेंद्र। गले के उभरे हुए भाग के ठीक नीचे का बिंदु।
4 अनाहत चक्र- छाती के मध्य भाग का ऊर्जाकेंद्र। गले के यू आकार के भाग के निचले छोर तथा सोलर प्लेक्सस के रिक्त भाग के ऊपरी छोर से लगभग दो तिहाई दूरी पर स्थित बिंदु।
5 मणिपुर चक्र- नाभि पर स्थित ऊर्जाकेंद्र।
6 स्वाधिष्ठान चक्र- मूलाधार चक्र से लगभग तीन सेंटीमीटर ऊपर स्थित ऊर्जाकेंद्र। जननेंद्रियों के केश जहां प्रारंभ होते हैं, उसके नीचे एक इंच पर स्थित बिंदु।
7 मूलाधार चक्र- मेरुदंड की अंतिम हड्डी अथवा गुदाद्वार के मुख के पास स्थित ऊर्जाकेंद्र।
प्रकाश के रंगों को अपने शरीर के चक्रों से जोड़कर उन्हें नई ऊर्जा से प्रकाशित कर सकते हैं। आप अपने भोजन की थाली में इंद्रधनुष के सातों रंगों को उतार देते हैं तो आपके शरीर की चमक बढ़ जाती है। पोषक तत्वों से भरपूर रंग-बिरंगे फलों व सब्जियों से आप अपने लिए एक सुरक्षा कवच भी तैयार करते हैं। आपको पता है कि हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, लेकिन यह जानना दिलचस्प होगा कि वे अलग-अलग किसी विशेष रंग से प्रभावित होते हैं।
डॉ. शिखा शर्मा
(आहार विज्ञानी)
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