खींच लाई भारत की माटी
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

खींच लाई भारत की माटी

by
Oct 16, 2017, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 16 Oct 2017 12:55:11


नाम : एच.लूसी उपाख्य दिव्य प्रभा  (40 वर्ष)

कार्य: शोधार्थी
प्रेरणा : पूर्व जन्म से
अविस्मरणीय क्षण : गुरुजी के साधना कक्ष में हुई आध्यात्मिक अनुभूति
मन रमता है : गंगा किनारे ईश्वर की साधना में 40 से अधिक बच्चे संस्थान में रहकर कर रहे हैं वेद, संस्कृत व व्याकरण का अध्ययन

इंटरनेशल चंद्रमौलि चैरिटेबल ट्रस्ट की शुरुआत करने वाली एच.लूसी उपाख्य दिव्य प्रभा जहां 40 बच्चों को वेद अध्ययन करा रही हैं, वहीं गंगा किनारे के 250 से अधिक बच्चों को संस्कृत, कंप्यूटर और अन्य विषयों की भी शिक्षा दे रही हैं

अश्वनी मिश्र

काशी के केदार घाट पर ब्रह्ममुहुर्त की वेला में गंगा किनारे तीन दर्जन से अधिक वेदपाठी बटुक शुक्ल यजुर्वेद का सस्वर पाठ कर रहे थे। माथे पर तिलक लगाए, पीली धोती पहने ये विद्यार्थी जिस स्वर और मधुर वाणी के साथ वेद अध्ययन कर रहे थे, उसे देख कोई भी व्यक्ति मोहित हुए बिना नहीं रह पाता। गंगा किनारे का यह दृश्य हर आगंतुक को अपनी ओर खींचता और सभी उन बटुकों के सस्वर मधुÞर पाठ को सुनने में मग्न हो जाते। लेकिन इससे इतर सबकी नजर उस महिला पर भी थी जो शुभ्र धोती पहने, माथे पर चंदन का तिलक लगाए सभी बच्चों पर नजर रखे हुए थीं। अगर पाठ में कोई छोटी-सी भी गलती करता तो वे उसे तुरंत सुधारने के लिए कहतीं और खुद करके दिखातीं। इसी समूह के एक आचार्य से संपर्क करने पर पता चला कि यह महिला लंदन निवासी एच.लूसी उपाख्य दिव्य प्रभा हैं जो बाबा विश्वनाथ की गली में 2012 से इंटरनेशल चंद्रमौलि चैरिटेबल ट्रस्ट चलाती हैं। यहां 40 से अधिक बच्चे वेद अध्ययन कर रहे हैं तो वहीं गंगा किनारे के करीब 250 से अधिक बच्चे प्रतिदिन सुबह-शाम अंग्रेजी, संस्कृत, वेद, कंप्यूटर की शिक्षा लेने आते हैं। वे यह भी बताने लगे कि लूसी ने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अमेरिकन बैंक में एक प्रतिष्ठित पद पर कार्य किया है। आचार्य यह सब बता ही रहे थे, इसी बीच सूर्य की किरणों ने घाट को पूरी तरह से प्रकाशवान कर दिया था। गंगा स्नान के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालुओं का बड़ी संख्या में आना शुरू हो चुका था। वेदपाठी बटुक पाठ समाप्त करके पंक्तिबद्ध होकर जाने की तैयारी कर रहे थे। बस तभी हमारी मुलाकात दिव्य प्रभा से हुई। चर्चा शुरू हुई तो उन्होंने अपने बारे में विस्तार से बताया। वे कहने लगीं ‘‘अब मैं लूसी नहीं दिव्य प्रभा हूं। मेरे गुरु बह्मऋषि विश्वात्मा बावरा जी महाराज ने मुझे यह दीक्षित नाम 20 वर्ष पहले दिया। मैं बचपन से ही भारत का नाम सुनते ही आकर्षित हो जाती थी। ऐसा लगता था कि भारत मेरे अंदर बसा हुआ है, जिसके साथ मेरा जन्म-जन्मांतर का संबंध है। मुझे सपनों में भारत की याद आती।’’ वे आगे कहती हैं,‘‘मेरे पिता एक नामी वकील थे और मां एक बहुत नामी स्कूल की गर्वनर थीं। और दादा जी लार्ड मेयर आॅफ वेस्ट मिंस्टर (जिसे राजशाही परिवार से विशेष शक्तियां मिली हुई होती हैं) थे। मैं खुद आक्सफोर्ड  से पढ़ाई करने के बाद ख्याति प्राप्त जगहों पर काम कर रही थी।

पैसे से सुख नहीं मिलता। सुख मिलता है वास्तविक ज्ञान से। अपनी संस्कृति, परंपरा का गहन अध्ययन आत्मतोष दिलाता है।

प्रतिष्ठित परिवार से होने के नाते धन-संपदा, यश, रुतबा सब तो था मेरे पास! लेकिन इतनी समृद्धि के बावजूद हरदम यही लगता था कि जीवन में अधूरापन है। मन में विचार आता कि दुनिया में करोड़ों लोग हमारे जैसे हैं, फिर उनमें और हममें क्या फर्क?  मैं कौन हूं…? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? यह जब उधेड़बुन मेरे अंदर चल रही थी तभी लंदन स्थित विश्वात्मा बावरा जी महाराज के आश्रम में उनके प्रमुख शिष्य से मिलना हुआ और मैंने उन्हें मन में चल रहे अंतर्द्वंद्व के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने मेरी बात को गंभीरता से लिया और महाराज जी के साधना कक्ष में ले गए। बस यही वह समय था, जिसने मेरे जीवन को बदल दिया। मुझे साधना कक्ष में आध्यात्मिक शक्ति का आभास हुआ और यहीं से मेरा रास्ता सुगम हो गया। उसी के कुछ दिन बाद महाराज जी के हरिद्वार स्थित आश्रम आना हुआ और उसके बाद से मैं यही की हो कर रह गई। वैसे तो मैं वर्ष 2000 से संस्कृत का अध्ययन कर रही थीं लेकिन 2006 में गुरुजी की प्रेरणा से काशी अध्ययन के लिए आई गई।’’

प्रतिष्ठित परिवार से होने के नाते धन-संपदा, यश, सब तो था मेरे पास! लेकिन इतनी समृद्धि के बावजूद यही लगता था कि जीवन में अधूरापन है। मन में विचार आता कि दुनिया में करोड़ों लोग हमारे जैसे हैं, फिर उनमें और हममें फर्क क्या?  मैं कौन हूं…? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?

वे बताती हैं कि इस दौरान मुझे गुरु प्रेरणा हुई कि मैं काशी में ही रहकर बच्चों को संस्कृत का अध्ययन कराऊं। अध्ययन के दौरान मेरी मुलाकात डॉ. राम चंद्र द्विवेदी, श्रीकांत पांडेय और हरिप्रसाद अधिकारी से हुई। ये वे लोग हैं जिन्होंने मेरा हर पग पर सहयोग किया। इसी सहयोग की बदौलत साल 2012 में मैंने बाबा विश्वनाथ के पास 12,00 स्वॉयर फुट जमीन खरीदी। इसी स्थान से विधिवत रूप से इंटरनेशल चंद्रमौलि चैरिटेवेल ट्रस्ट की स्थापना  हुई और बच्चों के अध्ययन का कार्य शुरू किया। शुरू में तीन-चार बच्चे ही आए। लेकिन धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ने लगी। आज 40 से ज्यादा वेदपाठी हैं जो शुक्ल यजुर्वेद वेद, सामवेद, संस्कृत, व्याकरण शास्त्र, का अध्ययन करते हैं। यह कार्य मैं और मेरे साथी आचार्यो द्वारा किया जाता है। हमारी कोशिश रहती है कि हमारे यहां का पढ़ा बच्चा पहले तो अपना अध्ययन पूरा करे और फिर वह इसी तरह समाज में वेद और संस्कृत का प्रचार-प्रसार करे। वे विद्यालय की शुरुआत के बारे में बताती हैं,‘‘पहले तो लोगों को मुझ पर विश्वास नहीं हुआ। क्योंकि पहले-पहल हर किसी को लगता है कि कोई स्वार्थ तो है जो लंदन से काशी में आकर यह कार्य कर रही होंगी। उनका सोचना गलत नहीं था। हमारे सबके मन में किसी नए कार्य के शुरू होने में सवाल उठते ही हैं। लेकिन धीरे-धीरे लोगों को समझ आने लगा और उनका विश्वास मुझ पर बढ़ा और वे अपने बच्चे हमारे यहां भेजने लगे।
हमारे यहां सुबह और शाम की भी कक्षाएं चलती हैं जहां आस-पास के करीब 250 से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं। इन बच्चों को मैं खुद संस्कृत व्याकरण पढ़ाती हूं। यह सभी 3 से 18 वर्ष तक के बच्चे हैं। यहां वे योग, प्राणायाम, संस्कृत, कंप्यूटर, अंग्रेजी और संस्कृत संभाषण सीखते हैं। इन्हें पढ़ाने के लिए क्रमश: 20 अध्यापक हैं, जो समय-समय पर यहां आते हैं। इस पूरी व्यवस्था को चलाने के लिए नोएडा की सायनाथ इंडिया कंपनी हमें मदद करती है। साथ ही जो मेरी संपत्ति है, वह तो इसमें निहित है ही।’’
 लूसी बड़े गर्व से कहती हैं कि भारत की संस्कृति अतुल्य है। यह सब देखकर बहुत अच्छा लगता है। मैं जानती हूं कि पैसा होना कोई सुख का साधन नहीं है। सुख का साधन अपनी संस्कृति और परंपरा का ज्ञान है, जो चित को शांत  करता है।   

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कभी भीख मांगता था हिंदुओं को मुस्लिम बनाने वाला ‘मौलाना छांगुर’

सनातन के पदचिह्न: थाईलैंड में जीवित है हिंदू संस्कृति की विरासत

कुमारी ए.आर. अनघा और कुमारी राजेश्वरी

अनघा और राजेश्वरी ने बढ़ाया कल्याण आश्रम का मान

ऑपरेशन कालनेमि का असर : उत्तराखंड में बंग्लादेशी सहित 25 ढोंगी गिरफ्तार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies