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मैनचेस्टर हमले पर आईएसआईएस का बयान आया है, ''अल्लाह की कृपा और सहारे के साथ खलीफा का एक सिपाही मुजाहिदों की भीड़ के बीच ब्रिटेन के मैनचेस्टर शहर में एक बम फोड़ने में कामयाब हो गया। यह अल्लाह के मजहब का बदला लेने के लिए मुश्रिकीन (इस्लाम को नहीं मानने वाला) के दिलों में डर बैठाने और मुसलमानों की जमीनों पर कब्जा करने के खिलाफ जवाब था। यह बम एक 'बेहूदा संगीत कार्यक्रम' में फोड़ा गया, जिसकी वजह से 30 मुजाहिद मारे गए और 70 घायल हुए। …अल्लाह की इजाजत से अगला हमला और बुरा होगा इन 'क्रॉस' की पूजा करने वालों और उनके साथियों पर… सारी तारीफ अल्लाह के लिए है जो तमाम जहान को बनाने वाला है।''
उपरोक्त बयान को ध्यान से पढि़ए और सोचिए कि इस्लाम के एक पंथ के हिसाब से इसमें क्या सही कहा गया है? लगभग हर बात सही है। वह खलीफा का सिपाही था, सही है। मारे गए लोग मुश्रिकीन थे और उनका मारा जाना भी ठीक है। संगीत बेहूदा चीज है, बिल्कुल सही… क्रॉस की पूजा करने वालों को मारना ठीक है, एकदम सही। आईएसआईएस के इस बयान पर कौन कट्टर सलाफी सहमति नहीं जताएगा?
मेरी एक दोस्त ने खलीफाओं की खलीफाई पर ऐतराज जताया तो उसे धमकी दी गई और यकीन मानिए अगर आप इतिहास ठीक से पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि एक-दो को छोड़कर लगभग सारे खलीफाओं का राज आईएसआईएस जैसा ही था। खलीफाओं को मानने वालों ने पैगम्बर के पूरे खानदान को मार डाला और जिन लोगों ने मारा उसी को ये लोग अदब से रहमतुल्लाह अलैह बोलते हैं। जाकिर नाइक से पूछिए.. उसके लिए यजीद भी रहमतुल्लाह अलैह हैं?
आईएसआईएस कहीं भी नहीं लिख रहा है कि तुमने इराक में हमारे लोगों को मारा, इसलिए हम तुम्हें मार रहे हैं। उसके बयान को ध्यान से पढि़ए। मगर लोग जबरदस्ती का तर्क देंगे कि उन्होंने वहां मारा तो ये यहां मार रहे हैं। शियाओं ने इनकी कौन-सी जमीन हथिया ली है? रोज मारे जाते हैं बेचारे… असलम साबरी ने कौन-से इस्लामी देश पर हमला कर दिया था? हां, कव्वाली जैसी 'गलीज' चीज गाता था जो कि इस पंथ के हिसाब से हराम है। इनके लिए दुनिया में इनसान नहीं बसते हैं। इनके लिए हम सब मुजाहिद, मुशरिक, काफिर, शिया, बोहरा, सूफी, बरेलवी और रफाजी हैं। यह हमारी गिनती इनसानों में नहीं करते।
भारत में ही रह रहे खलीफा के सिपाहियों ने हम लोगों के लिए अभियान चलाया है और हम जैसों को रफाजी कह कर अपने कट्टर भाइयों के साथ बदनाम करने में लगे हुए हैं। इनमें साइबर जगत की बड़ी-बड़ी हस्तियां हैं और ये पीछे से दलितों के मसीहाओं से मिले हुए हैं। इनके हिसाब से अपने सिवा किसी को इस दुनिया में रहने का हक नहीं है। इस मानसिकता के सारे लोग कब सिपाही बन जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता है। खलीफाओं के सिपाहियों का निशाना हम सब हैं। बस कब किसकी बारी आती है, ये देखना है।
(ताबिश सिद्दिकी की फेसबुक वॉल से )
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