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16 अप्रैल, 2017
रपट 'खेतों से खुशहाली' से यह तथ्य उभरता है कि आज देश का किसान फिर से जैविक खाद की ओर वापस लौट रहा है और उसे आश्चर्यजनक रूप से इसके परिणाम भी मिल रहे हैं। यह बात सत्य है कि पिछली सरकारों ने जिस तरह से स्वार्थ और लोभ के चलते किसानों को जैविक खाद से दूर करके रासायनिक खाद की ओर धकेला, वह कदम वास्तव में खेती-किसानी के लिए बहुत हानिकारक रहा। खैर, अब इस ओर सरकारों का भी ध्यान गया है और वे जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए किसानों को जागरूक करने के प्रयास कर रही हैं।
—रमेश कुर्मी, रुड़की (उत्तराखंड)
ङ्म देश के सुदूर क्षेत्रों में कई स्थानों पर किसानों ने जैविक खाद के दम पर
रासायनिक खाद के मुकाबले दोगुने से ज्यादा फसल उत्पादन करके नायाब उदाहरण प्रस्तुत किया है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ इसका उदाहरण हैं। देश के किसानों को यहां के धरतीपुत्रों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
—अनुपम जायसवाल, ईमेल से
हकीकत से उठता परदा
रपट 'हिंसक और देशविरोधी हैं वामपंथी' (16 अप्रैल, 2017) देश में वामपंथियों द्वारा की जा रही अराजकता से परदा उठाती है। यह सच है कि भारत में वामपंथ अब इतिहास के गर्त की ओर जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी वह हिंसा पर उतारू है। केरल इसका उदाहरण है। यहां आए दिन संघ और भाजपा कार्यकर्ताओं की बर्बर तरीके से हत्या करना और उन हत्यारों को शासन-प्रशासन
द्वारा राजनीतिक संरक्षण देना वामपंथियों की कू्रर मानसिकता से परिचित कराता है। ये वही लोग हैं जो एक अखलाक के मरने पर देश का वातावरण खराब कर देते हैं लेकिन केरल में आए दिन होती नृशंस हत्याओं पर अपना मंुह इस तरह सिल लेते हैं जैसे उन्हें लकवा मार गया हो।
—मनोहर मंजुल, ईमेल से
सुधरती शासन व्यवस्था
'होमवर्क हो चुका अब बस निर्णय' (9 अप्रैल, 2017) साक्षात्कार अच्छा लगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साक्षात्कार में अपनी सरकार की न केवल पूरी रूप रेखा प्रस्तुत की बल्कि स्पष्ट सोच से भी परिचित कराया। सरकार बनने के बाद उनका काम भी दिख रहा है। वे जिस तेज-तर्रार कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं, उसे उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही दिखा भी दिया। आज प्रदेश की जनता का सरकार और प्रशासन पर विश्वास लौट रहा है, जिसे पूर्ववर्ती सपा सरकार ने भ्रष्टाचार और गुंडाराज कायम करके तोड़ दिया था।
—कृष्ण वोहरा, सिरसा (हरियाणा)
* हालिया विधानसभा चुनाव मेें भाजपा की ऐतिहासिक जीत केवल मोदी की साख पर मुहर नहीं है, अपितु यह उस अल्पसंख्यक अभियान की घोर पराजय भी है, जिसे सदैव से यह गुमान रहा है कि भारत की सत्ता की चाभी उसके पास है। पिछली सरकारों ने सदैव ही तुष्टीकरण की विषबेल को खाद-पानी देकर हिन्दू हितों को अनदेखा किया। लेकिन आज हिन्दुओं ने इस आघात का जवाब दिया है।
—प्रतिमान शुक्ल, इलाहाबाद(उ.प्र.)
सुरक्षा ली जाए वापस
पिछले काफी अरसे से फारुक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ प्रचार अभियान चला रखा है। बाप-बेटों ने इनको कश्मीर का शत्रु घोषित कर दिया है। फिर भी दोनों को भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती है। फारुक अब सांसद बन गए हैं। अब शायद उनकी रक्षा हेतु और अधिक जवान दिए जाएंगे। सवाल है कि जिन्हें वे अपनी'कौम का दुश्मन' कह रहे हैं, उनसे सुरक्षा क्यों लेते हैं? उन्हें खुद इससे इंकार कर देना चाहिए। अन्यथा भारत सरकार पिता-पुत्र द्वारा चलाए गए अभियान के मद्देनजर स्वयं विचार करके अब्दुल्लाओं से तमाम सुरक्षाकर्मी वापस लें।
अजय मित्तल, मेरठ (उ.प्र.)
पुरस्कृत पत्र : देश में कितने पाकिस्तान?
भारत को सिर्फ पाकिस्तान या चीन से खतरा हो, ऐसा नहीं है। देश के अंदर बढ़ रही कट्टर आबादी, बांग्लादेशी घुसपैठिये, अलगाववादी और नक्सलियों से भी उतना ही खतरा है जितना इन देशों से हैं। धीरे-धीरे इनके चेहरा दिखाई भी देने लगे हैं। रपट 'बंगाल में जिहादी उन्माद' (9 अप्रैल, 2017) इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। आज देश में जिन प्रदेशों में मुस्लिम उन्माद चरम पर है, उनमें पश्चिम बंगाल सबसे पहले स्थान पर आता है। राज्य की ममता सरकार ने तुष्टीकरण की नीतियों के चलते उनके हौसले इतने बुलंद कर दिये हैं कि वे जो चाहे, करने लगते हैं। कभी-कभी ऐसी स्थितियां देखकर सवाल उठता है कि बंगाल भारत में है या अन्य किसी देश में?
यह सरकारों की तुष्टीकरण की नीति का परिणाम है कि देश के छह राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए। रपटों की मानें तो मात्र एक दशक के अंदर चार अन्य राज्य भी हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और असम में मुस्लिमों की आबादी 'दो गुणा चार की जगह दो गुणा आठ' के हिसाब से बढ़ती जा रही है। 6 करोड़ से ज्यादा बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों ने पश्चिम बंगाल और असम में हिन्दुआंे की जमीनों पर कब्जा करके उन्हें दर-बदर कर दिया। स्थिति यह है कि असम के 23 जिलों में 15 जिले मुस्लिम बहुल हो गए। बंगाल के 15 चुनाव क्षेत्रों में मुस्लिम निर्णायक आवाज बन चुके हैं। जहां-जहां मुस्लिमों की आबादी बढ़ रही है वहां-वहां दंगा-फसाद और अलगाववाद पनप रहा है। केन्द्र सरकार को चाहिए कि मुस्लिमों में बढ़ती कट्टरता को समाप्त करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए, साथ ही बंगलादेशी घुसपैठियोें पर कड़ी कार्रवाई करे। क्योंकि अगर अभी कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो आने वाले समय में देश में यह बड़ी समस्या के रूप में हमारे सामने होंगे
—आनंद मोहन भटनागर, 7, विधानसभा मार्ग, लखनऊ (उ.प्र.)
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