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आवरण कथा 'रार रंगीली' पढ़कर मन उत्साह से भर गया। होली ही एक ऐसा त्योहार है जिसमें हर व्यक्ति उत्साह और प्रसन्नता से भरा होता है और सब मतभेद भुलाकर गले मिलता है। यह भारत के त्योहारों की जीवंतता ही तो है कि विभिन्न पर्व समाज को कोई न कोई संदेश देते हैं।
—अनुप कपूर, इलाहाबाद (उ.प्र.)
ङ्म भारत में हर जगह की अपनी होली है। लेकिन बिहार और उत्तर प्रदेश की होली भुलाये नहीं भूलती। आज जब बचपन के दिन याद करता हूं तो मन यही करता है कि कोई सब कुछ ले ले लेकिन बचपन एक बार लौटा दे और हम फिर से सभी भेद-भाव और चिंता मिटाकर मस्ती में झूमने लगें। दुख है कि आज सब कुछ है पर वह आनंद, उमंग, मस्ती सिरे से नरारद है। लेकिन फिर भी में होली जैसे त्योहार मन को प्रफुल्लित करने का काम करते हैं और बचपन की याद दिलाकर चलते बनते हैं।
—श्रीधर खन्ना, पटना (बिहार)
शिक्षा का व्यवसायीकरण बंद हो
रपट 'अतीत का बोध, भविष्य की राह (12 मार्च, 2017)' भारतीय संस्कृति से परिचित कराती है। मौजूदा दौर में आधुनिक शिक्षा की ओर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसके कारण हमारी पारंपरिक शिक्षा का तो हस हो ही रहा है, साथ ही शिक्षकों के प्रति जो सम्मान की भावना होती है वह भी धूमिल होती जा रही है। भारतीय समाज में शिक्षक का बड़ा सम्मान है। क्योंकि एक अच्छा शिल्पकार किसी भी प्रकार के पत्थर को तराशकर उसे सुंदर आकृति का रूप देता है। इसी प्रकार एक अच्छा शिक्षक अपने शिष्यों को ऐसे संवारता है कि उनके द्वारा शिक्षित बच्चे अपने ज्ञान से देश के कल्याण और विकास में सहभागी हों। लेकिन शिक्षा के व्यवसायीकरण के दौर में यह सब मूल्य नष्ट हो गए। यह मूल्य नष्ट न हों, इसके लिए समाज को आगे आना होगा और अपनी परंपराओं और मूल्यों को बचाना होगा।
—मिलिन्द शुक्ल, लखीमपुर खीरी (उ.प्र.)
सदैव ऋणी रहेगा समाज
लेख 'नाना योजनाओं के जनक नानाजी (5 मार्च, 2017) ' अच्छा लगा। भारत में वैसे तो तई लोगों ने ग्राम विकास का कार्य किया है लेकिन वास्तव में महाराष्ट्र की पुण्यभूमि में जन्मे महर्षि नानाजी देशमुख ने जो काम किया, उसका जोड़ नहीं है। चाहे बात महिलाओं के उत्थान की हो, कृषि-किसानी की, युवाओं के स्वालंबन की, या सामाजिक समरसता की, उन्होंने सभी क्षेत्रों में जो काम किए उसके लिए समाज सदैव आभारी रहेगा। उनके द्वारा चित्रकूट अंचल में किए गए ग्राम विकास के कार्य अपने में अद्भुत हैं। यहां वे प्रयोग देखने को मिलते हैं, जिनकी कल्पना तक सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता। लेकिन नाना जी ने समाज को जोड़कर ऐसी कल्पनाओं को साकार रूप प्रदान किया और हाशिये पर जीने वाले लोगों में उत्साह का संचार किया।
—विनाद कुमार, सहारनपुर (उ.प्र.)
नहीं चला हथकंडा
रपट 'जहर फैलाने की साजिश' (12 मार्च, 2017) लीक से हटकर है। रपट में जिन पांच प्रश्नों को केन्द्र में रखा गया है वे दिल्ली विश्वविद्यालय में वामपंथी और अराजक गिरोह की पोल-पट्टी खोलते हैं। यह सच अब धीरे-धीरे सामने आने लगा है कि जेएनयू में जहर फैलाने वालों की साजिशेंचल नहीं पा रही हैं तो वे विष फैलाने दूसरे विश्वविद्यालयों की ओर भाग रहे हैं। रामजस कॉलेज के विवाद में कइयों के चेहरे बेनकाब हुए, लेकिन इसके बाद भी ये तत्व नहीं मानने वाले। खैर विश्वविद्यालय के छात्रों ने ऐसे अराजक तत्वों का विरोध करके उन्हें यह संदेश दिया कि राष्ट्रप्रेम और देशहित की भावना सबसे ऊपर होती है।
—महेश चन्द गंगवाल, अजमेर (राज.)
पुरस्कृत पत्र
जनादेश का सम्मान करें दल
रपट 'उत्तर तलाशता प्रदेश' उत्तर प्रदेश की हकीकत को सामने रखती है। अब पांच राज्यों के परिणाम देश के सामने हैं और वे भी सामने हैं जो बेधड़क बोल रहे थे कि इन राज्यों में भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी। यह सब कहने के पीछे उनका आशय नोटबंदी से जुड़ा था। इन लोगों ने नोटबंदी के समय भी सामान्य जनता को बरगलाया, भड़काया और इसके नफा-नुकसान की परिभाषाएं समझाईं। वही सेकुलर मीडिया ने भी अपना योगदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जब परिणाम सामने है तो गैर भाजपा दलों के नेता 'जनादेश' का सम्मान करने के बजाए कुतर्कों का सहारा लेकर भाजपा की लोकप्रियता के प्रति अविश्वनीयता पैदा करने में लिप्त हैं। ये नेता ईवीएम के साथ-साथ चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा और जनादेश की पवित्रता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ईवीएम को सबसे सुरक्षित चुनावी उपकरण माना जाता है। इसके प्रयोग से न केवल चुनाव की प्रक्रिया सरल हो गई है बल्कि चुनाव नतीजों के घोषणा में भी तेजी आई है।
—प्रो. बी.बी. तायल —73-ए/ डीजी, डीडीए एसएफ फैल्टस, विकासपुरी, नई दिल्ली
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