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एक झूठ का गुबार खड़ा किया हुआ है कम्युनिस्टों ने जिसे हमें तार-तार करना होगा। मार्क्सवादियों के हर झूठ का डटकर प्रतिकार करेंगे तो वे मुंह सिल लेंगे, पर पता नहीं क्यों इनका असली चेहरा सामने लाया ही नहीं जाता। कितने लोग जानते हैं कि जयकृष्णन मास्टर के 6 हत्यारों को केरल उच्च न्यायालय ने फांसी दी थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय में उनमें से 5 को छोड़ने और एक को सजा, और वह भी फांसी नहीं उम्रकैद देने वाले जज कौन थे? वे थे मार्कण्डेय काटजू। उनके इस कृत्य के बारे में प्रचार होना चाहिए था सोशल साइट्स पर, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मीडिया ने भी मामला दबा दिया। इससे कम्युनिस्टों की हिम्मत खुलती है। जीशा का मामला उठाया मैंने संसद में, लेकिन किसी अखबार या चैनल ने उसकी चर्चा नहीं की! मीडिया मनमानी चीजें चलाता है। हमें कम्युनिस्टों के अपराधों को हर एक तक पहंुचाना होगा, उनके असली चेहरे को सामने लाना होगा।
-मीनाक्षी लेखी, लोकसभा सांसद, भाजपा
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