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उज्जैन : महाकाल की नगरी में गत दिनों पंजाबी साहित्य अकादमी तथा राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा सर्वंशदानी श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश पर्व पर एक विशाल समागम आयोजित किया गया। समागम की अध्यक्षता करते हुए सिख संगत के अध्यक्ष स. गुरचरन सिंह गिल ने संगत का आह्वान करते हुए कहा कि हम सबको श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के शताब्दी समारोह को अपने जीवन का स्वर्णिम पृष्ठ बनाना चाहिए, क्यांेकि हम सबके इस जन्म में और कोई शताब्दी आने वाली नहीं है। गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा सिरजना करके, वीर बंदा बैरागी को बंदा सिंह बहादुर बनाकर, पिछड़ी जातियों में से पांच प्यारे सजाकर, पिछड़े तथा साधारण जन को सिंह बनाकर जो इतिहास रचा उसी के कारण सिख पंथ सारे देश और विदेशों में हिन्दू धर्म रक्षक का गौरव प्राप्त कर सका है। बंदा सिंह बहादुर ने प्रथम खालसा राज्य की स्थापना ही नहीं की बल्कि गुरुओं के नाम पर सिक्का भी चलाया। समागम के मुख्य वक्ता सिख संगत के महामंत्री श्री बिहारीलाल ने कहा कि श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने युगों तक देश के नौजवानों में समर्पण और विद्वता का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है वह विश्व के इतिहास में अलौकिक है। मुख्य अतिथि सत्कारयोग श्री पारस जैन (ऊर्जा मंत्री-मध्यप्रदेश सरकार) ने श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी को अपने श्री सुमन भेंट करते हुए कहा कि जहांगीर से लेकर औरंगजेब तक के मुगल इस देश के धर्म, सभ्यता, संस्कृति तथा समाज का नाश करके इस्लाम का झण्डा फहराना चाहते थे। लेकिन श्री गुरु गोबिंद सिह जी ने जो इतिहास रचा, उसके कारण 17 वीं शताब्दी से हिंदुस्थान विश्व मंे सम्मानित स्थान पर रहा है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सिख संगत के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) श्री अविनाश जायसवाल, डॉ़ अवतार सिंह शास्त्री स. सुरेंद्र सिंह अरोड़ा, स.अजीत सिंह नारंग, स़ चरण सिंह गिल, स़ इकबाल सिंह गांधी एवं भारी संख्या में विशिष्टजन उपस्थित थे। – प्रतिनिधि
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