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आवरण कथा 'कायदा जिहादी, सोच वहाबी' से यह बात साफ है कि पूरे विश्व में इस्लामी आतंक ने कहर बरपा रखा है। लेकिन इस सबके बाद भी मुस्लिम देश अपना मुंह सिले बैठे हैं। उन्हें यह आतंक दिखाई ही नहीं दे रहा, विरोध करना तो दूर की बात। ऐसा लगता है कि इन आतंकियों को उनका मूक समर्थन मिला हुआ है। विश्व के किसी भी मंत-पंथ में हिंसा और क्रूरता का कोई स्थान नहीं है, तो फिर इस्लाम इसे कैसे अब तक सहन
कर रहा है।
—हरिशचन्द्र कनौजिया, भिवानी (हरियाणा)
ङ्म आज पूरा विश्व विज्ञान, कृषि, उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों में रात-दिन तरक्की कर रहा है लेकिन कुछ मुस्लिम देश मुस्लिम कट्टरवाद और जिहाद का मंसूबा पाले दुनिया में अशांति कायम करने पर तुले हैं। असल में ऐसे लोग बीमार हैं और इनका इलाज होना जरूरी है। अगर समय रहते इनका इलाज नहीं हुआ तो यह बीमारी लाइलाज हो जाएगी और फिर इसे खत्म कर पाना सबके लिए मुश्किल होगा।
—मनोहर मंजुल, प.निमाड (म.प्र.)
ङ्म पाकिस्तान लगातार भारत में अशंाति फैलाने के अपने उद्देश्य में लगा हुआ है। पांपोर में हुआ हमला इसका गवाह है। आखिर उसे कब सद्बुद्धि आएगी। घाटी में कुछ दिन से जो शांति कायम है, पाकिस्तान और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई को यह पसंद नहीं आ रहा। इसी कारण सीमा पार की ओर से कुछ दिन से घुसपैठ में इजाफा हुआ है। लेकिन वे अपने मकसद में बिल्कुल कामयाब नहीं हो पा रहे।
—रिचा चड्ढा, अंबाला (हरियाणा)
ङ्म पाकिस्तान का जन्म ही नफरत के बीजों से हुआ है। वह आए दिन इसका परिचय देता रहता है। हालांकि वह अपनी करनी को भी भुगत रहा है। एम.जे.अकबर ने अपने लेख में बिलकुल सही लिखा है। पाकिस्तान में आतंकी फैक्ट्री का कुकुरमुत्ते की तरह उगना भारत ही नहीं पूरे विश्व के लिए घातक बात है। विश्व को एकजुटता दिखाते हुए आतंक फैलाने वालों के फन को कुचलना होगा।
—सूर्यप्रताप सिंह सोनगरा, कांडरवासा (म.प्र.)
ङ्म आज इस्लाम के बारे में मन में यह प्रश्न उठता है कि जिस इस्लाम को हम शंाति का मजहब कहते हैं, वह इतना अशांत क्यों है? आज पूरी दुनिया इस्लामी आतंक से ग्रसित है। मुख्य रूप से इस्लामी देश ही इसका शिकार हो रहे हैं। इतना सब हो रहा है पर इस्लाम के तथाकथित पैरोकार मौन हैं। जिस जिहाद के नाम पर मुसलमान आतंक फैला रहे हैं, उस जिहाद की सही व्याख्या करने की किसी ने जहमत क्यों नहीं उठाई? अगर देश-दुनिया में शांति लानी है तो इसकी पहल खुद मुसलमानों को करनी होगी। उन्हें लोगों का दिल जीतना होगा और अपने कार्य से विश्वास दिलाना होगा। क्योंकि आचरण किसी को भी श्रेष्ठ बना सकता है।
—शशिकांत त्रिपाठी, गोरखपुर (उ.प्र.)
ङ्म यदि अलगावादियों की यह सोच है कि वे यहां आतंकवादियों को समर्थन देकर और उन्हें पाल-पोसकर कश्मीर को भारत से अलग करा देंगे तो शायद यह उनकी बहुत ही बड़ी भूल है। यहां के पाकिस्तानपरस्त लोग अभी तक सारे पैतरें आजमा चुके हैं लेकिन उनकी सभी चालें बेकार साबित होती हैं। कश्मीर में पनपते आतंक को पाकिस्तान की पूरी शह रहती है। सीमा पार से आने वाले आतंकियों को पाकिस्तान पूरी मदद मुहैया कराता है। वह हर बार संयुक्त राष्ट्र संघ में कश्मीर मामले को उठाकर अपनी फजीहत कराता है। जब उसकी वहां भी नहीं चलती तो वह घाटी में दहशतगर्दों के सहारे आतंक फैलाता है। पर जो उसकी मंशा है, वह कभी कामयाब नहीं होने वाली।
—इन्दु खन्ना, नासिक (महा.)
ङ्म पाकिस्तान पर केंद्रित संपादकीय 'नफरत से बौराया पाकिस्तान' बहुत ही सारगर्भित आलेख है। वर्तमान में पाकिस्तान के जो हालात बने हुए हैं वह उसके लिए ठीक नहीं हैं। उसे जल्द ही अपने देश और जनता के बारे में सोचना होगा नहीं तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा।
—केदारनाथ सविता, मिरजापुर (उ.प्र.)
ङ्म देश पर आए दिन आतंकी हमले होते हैं। हम खूब जानते हैं कि इसके पीछे कौन है, फिर भी उन्हें जवाब नहीं देते। हमने अपने शत्रुओं का हमेशा सत्कार किया, उनका दमन करने के बजाय, उन्हें गले लगाया। हम इस जटिल समस्या का समाधान 'टेवल वार्ता' से चाहते हैं। पाकिस्तान बस इसी का फायदा उठाता है, क्योंकि वह जानता है कि हिन्दुस्थान कुछ कड़ी कार्रवाई नहीं करने वाला।
—आनंद मोहन भटनागर, लखनऊ (उ.प्र.)
मजबूत होता भारत
रपट 'भारत की बढ़ी धमक, चीन की घटी हनक (10 जुलाई, 2016)' विश्लेषण से भरपूर है। एमटीसीआर में अंतत: भारत को स्थान मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। हां, यह अलग बात है कि चीन को इससे परेशानी हुई। चीन भारत के साथ सदैव से विरोधी और दुश्मनी जैसा बर्ताव रखता आया है। भारत ने एक बार नहीं, कई बार उससे अपने संबंध ठीक करने की कोशिश की लेकिन चीन की ओर से कुछ न कुछ ऐसा कर दिया जाता है जिससे भारत को नुकसान होता है। पाकिस्तान के साथ चीन का प्रेम किसी से छिपा नहीं है। वह अपने स्वार्थों के लिए पाकिस्तान की भरपूर मदद करता है और भारत के खिलाफ भड़काता रहता है। भारत को चीन से सर्तक रहने की जरूरत है क्योंकि छिपे हुए दुश्मन बड़ा ही घातक वार करते हैं।
—हरिमोहन कुशवाहा, हरदा (म.प्र.)
अमेरिका भारत का विश्व मंच पर खुले आम साथ दे रहा है। एनएसजी की सदस्यता में भले ही चीन की चाल ने काम किया हो लेकिन एमटीसीआर में अमेरिका के समर्थन ने भारत को सबल किया है। इस संबंध से भारत को आने वाले दिनों में कई क्षेत्रों में विशेष लाभ होगा, खासकर रक्षा क्षेत्र में।
—राममोहन चंद्रवंशी, टिमरनी (म.प्र.)
छंटनी चाहिए धुंध
इतिहास गाथा 'आजाद के बलिदान पर कैसी धुंध' अच्छी लगी। इसे पढ़कर देश के स्वतंत्रता सेनानियों और क्रान्तिकारियों के बलिदान की याद ताजा हो गई। दु:ख इस
बात का है कि पिछली सरकारों ने आजाद सरीखे वीर क्रांतिकारियों के बलिदान
को भुला दिया। पाञ्चजन्य ने एक बार
फिर से आजाद की शौर्यगाथा और अनुसुलझे तथ्यों को रखकर आंख खोलने का काम
किया है।
—डॉ. जसवंत सिह, कटवारिया सराय (नई दिल्ली)
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जागा कि जिनके कंधों पर यह जिम्मेदारी थी कि वे देश के लिए मर-मिटने वालों की शौर्य गाथाओं को चहुंओर फैलाएंगे और उनका पूरा सम्मान करंेगे, उन्होंने ऐसा नहीं किया। अभी तक इस देश की संस्कृति एवं अन्य चीजों की गलत ढंग से व्याख्या की गई। अब इस प्रकार की गलत व्याख्याओं को ठीक करने का समय है।
—परमानंद जोशी, चूरू (राज.)
बेवुनियाद आलाप
रपट 'पाठ्यक्रम पर हंगामा कैसा (12 जुलाई, 2016)' से यह बात जाहिर होती है कि कांगे्रस ने अपने साठ वर्ष से अधिक के शासन काल में कुछ चुने हुए व्यक्तियों को ही पाठ्यक्रम में महत्व दिया है। जिन लोगों ने अपने त्याग और समर्पण से देश और संस्कृति के लिए काम किया उन्हें भुलाया गया। अब केन्द्र और राज्य सरकार जब उन्हें महत्व दे रही तो यह पच नहीं रहा है। क्योंकि उन्होंने अपने लोगों को ही सदैव तवज्जो दी और दूसरों के कामों को दुत्कारा। बेहतर होगा कि कंाग्रेस गड़े मुर्दे न उखाड़े। क्योंकि समाज ने अगर कार्यों की परतें खोलनी शुरू कीं तो उसके लिए अच्छा नहीं होगा।
—प्रतिक्षा परासर, भोपाल (म.प्र.)
चरमराती कानून-वयवस्था
रपट 'बहन जी की राह चले मैया जी' राज्य में समाजवादी पार्टी की कानून-व्यवस्था की बिगड़ी हालत को उजागर करती है। जिस तरह से बसपा ने अपने शासन में अंतिम समय पर हर वह काम किया जिसका वह विरोध करती थी उसी तरह से अब समाजवादी पार्टी उनकी नकल करने में लगी हुई है। पिछले कुछ समय से सपा के हाथ से राज्य की कानून व्यवस्था बिलकुल चरमरा गई है। उसका कोई नियंत्रण नहीं रह गया है।
—श्रीकान्त शरण, भभुआ (बिहार)
बढ़ता दबदबा, परेशान चीन
एमटीसीआर में भारत को स्थान मिलना बड़ी उपलब्धि है। आने वाले समय में रक्षा क्षेत्र में इसके बहुत ही अच्छे परिणाम दिखाई देंगे। रपट 'भारत की बढ़ी धमक, चीन की घटी हनक(10 जुलाई, 2016)' भारत की दिनोंदिन बढ़ती ताकत को बताती है। चीन ने इसमें भी लाख रोड़े अटकाये पर अमेरिका के भरपूर सहयोग के आगे उसे मुंह की खानी पड़ी। यहां यह बताना उचित होगा कि चीन ने भी 12 वर्ष पहले इसकी सदस्यता के लिए आवेदन किया था पर उसे यह सदस्यता नहीं मिली थी। हालांकि चीन ने अपनी चाल के चलते ही भारत को एनएसजी की सदस्यता मिलने में रोड़े अटकाये। लेकिन फिर भी परमाणु आपूर्ति कर्ता समूह में भारत को सदस्यता न मिलने से देशवासी आहत नहीं हैं। बल्कि इस मौके से एक बात भारत को पता चल गई कि उसका कौन मित्र है और कौन शत्रु। क्योंकि ऐसी घटनाएं दूरदर्शी बनाने के लिए प्रेरित करती हैं। अगर भारत एनएसजी में शामिल होता तो उसे दो लाभ मिलते। उसके लिए अत्याधुनिक परमाणु तकनीकी एवं विदेशों से यूरेनियम प्राप्त करने का रास्ता आसान हो जाता। जहां तक परमाणु तकनीकी और यूरोनियम प्राप्त करने का सवाल है तो पहले तो हमारे वैज्ञानिक अत्यंत प्रतिभाशाली हैं। उन्होंने भारत को परमाणु संपन्न बनाया है। रही बात यूरोनियम प्राप्त करने की तो जहां भी यूरोनियम का उत्पादन होता है, उन सभी देशों के साथ भारत के संबंध अच्छे हैं। सो दोनों ही क्षेत्र में भारत को भविष्य में कोई समस्या नहीं आने वाली। इसलिए चीन जो सोच रहा था, उसकी मंशा धरी की धरी रह गई।
—डॉ. शिव प्रताप सिंह, 436,पन्नालाल पार्क, उन्नाव (उ.प्र.)
सराहनीय कदम
रपट 'सबक सुहाना' (3 जुलाई, 2016) अच्छी लगी। केन्द्र सरकार ने विद्याजंलि योजना का श्रीगणेश करके बहुत ही अच्छा कदम उठाया है। आज देश मे एक बड़ी संख्या ऐसी है जो देशसेवा में अपना समय देना चाहती है। ऐसे लोग विद्याजंलि योजना द्वारा अपने मन की कर पाएंगे। यह अभियान हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होने वाला है।
—अशोक राठौर, खंडवा (म.प्र.)
लगी न्यायालय की फटकार
राहुल बाबा मांग लों, माफी अब की बार वरना संकट है खड़ा, सिर ऊपर तैयार।
सिर ऊपर तैयार, अदालत जाना होगा
क्या है पास तुम्हारे, तथ्य बताना होगा।
कह 'प्रशांत' फिर अंदर-बाहर होंगे चक्कर
संघ कार्य है चट्टानी, मत मारो टक्कर॥
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