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नई दिल्ली। 25 जुलाई को प्रो़ वेद प्रकाश नंदा द्वारा संकलित एवं प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक 'कंपैशन इन 4 धार्मिक ट्रेडिशंस' के विमोचन का कार्यक्रम स्पीकर हॉल, कांस्टीट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में संपन्न हुआ।
पुस्तक का विमोचन करते हुए रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि करुणा के अभाव में क्या-क्या हो रहे हैं। ये सब वर्तमान में हम सभी अनुभव कर रहे हैं, समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से पढ़ भी रहे हैं तथा चैनलों के माध्यम से देख भी रहे हैं। करुणा के बिना धर्म नहीं है अर्थात धर्म का अस्तित्व ही नहीं हो सकता है। धर्म के चार घटक हैं-सत्य, तप, पवित्रता और सबसे महत्वपूर्ण है करुणा।
करुणा के बिना धर्म टिक भी नहीं सकता। दु:ख की बात है कि आजकल की दुनिया में करुणा का लोप हो गया है। सत्य की कठोरता को जीवन में उतारने के लिए करुणा की शक्ति रूपी छननी से उतारना होता है। मनुष्य के नाते ये कर्तव्य नहीं कि वह किसी को दुखों से बाहर निकाल दे बल्कि, उसके अन्दर करुणा का भाव जागृत कर भर दे। करुणा जिस मनुष्य के अंत:करण में विद्यमान हो जाएगी वह स्वत: ही दुखों का निवारण कर लेगा।
श्री भागवत ने कहा कि जो सबको ठीक रखता है, एक साथ जो सबको सुख देता है, एक साथ जो सबको प्रेम देता है, उसी को धर्म कहते हैं। कई बार जड़वाद के चलते धर्म में अतिवाद उत्पन्न होता है। जो ठीक नहीं है।
धर्म के तीनों तथ्यों सत्य, तप और पवित्रता को चरितार्थ करने के लिए करुणा की आवश्यकता होती है। सारे विश्व में करुणा के अभाव में जो स्वार्थ और तांडव चला हुआ है। उसे समाप्त करने के लिए संसार में करुणा का प्रचालन शुरू करना होगा। करुणा को अपने अन्दर लेकर जब हम सभी चलेंगे तो एक दिन ऐसा समय आएगा कि फिर से हम सभी जिस धर्म की स्थापना करना चाहते हैं उसे साकार कर देंगे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं सांसद श्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस पुस्तक को लिखकर प्रो़ वेद प्रकाश नंदा ने हिन्दू, बौद्घ, जैन और सिख धर्म के भावों के बारे में बताया है। इन चारों धमोंर् में एक ही भाव है और वही इनके मूल में भी है, वह भाव करुणा है और करुणा से ही धर्म है अर्थात धर्म में करुणा है। इन चारों अलग-अलग धमोंर् में जिन्हें भी विश्वास है उनको करुणा का भाव सिखाने के लिए या कहूं कि हम सभी के अन्दर जगाकर अंत:करण में स्थापित करने के लिए प्रो़ वेद ने 'कंपैशन इन द 4 धार्मिक ट्रेडीशंस' को हम सभी के सामने प्रस्तुत किया है।
श्री आडवाणी ने कहा कि जो दूसरे धमोंर् की निंदा करता है वह कभी अपने धर्म का भी हितैषी नहीं हो सकता, क्योंकि, उसके अन्दर करुणा का भाव नहीं होता है। जब कोई भी व्यक्ति सभी धमोंर् की विचारधारा को मानते हुए, अपने धर्म की विचारधारा से मिलान करता है़ तो वह कभी भी अपने धर्म को नहीं छोड़ता़ बल्कि, वह अपने धर्म की करुणा के भाव को प्रदर्शित करता है।
इस अवसर पर हिन्दू, बौद्ध, जैन व सिख धर्म में मौजूद करुणाभाव पर इस क्षेत्र के विद्वानों ने चर्चा की। प्रो. बलराम सिंह, डॉ. विवेक सक्सेना, प्रो. शगुन जैन व सरदार चिंरजीव सिंह ने भी अपने विचार रखे। समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी व दत्तात्रेय होसबले, रा. स्व.संघ के अ.भा. प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य, केन्द्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, सांसद श्री शांताकुमार व श्री सत्यपाल सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
कार्यक्रम में मंच संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने किया।
-प्रतिनिधि
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