भगतसिंह-सुखदेव का खर्च 4 आने था
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

भगतसिंह-सुखदेव का खर्च 4 आने था

by
Feb 22, 2016, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 22 Feb 2016 12:55:32

 

बाल चौपाल/क्रांति-गाथा

क्या आज के युवक उनका अनुसरण करेंगे?

पाञ्चजन्य ने सन् 1968 में क्रांतिकारियों पर केन्द्रित चार विशेषांकों की श्रृंखला प्रकाशित की थी। दिवंगत श्री वचनेश त्रिपाठी के संपादन में निकले इन अंकों में देशभर के क्रांतिकारियों की शौर्यगाथाएं थीं। पाञ्चजन्य पाठकों के लिए इन क्रांतिकारियों की शौर्य गाथाओं को आगामी अंकों में नियमित रूप से प्रकाशित करेगा ताकि लोग इनके बारे में जान सकें। प्रस्तुत है 22 जनवरी 1968 को प्रकाशित चंद्रशेखर आजाद व भगत सिंह के साथी रहे प्रोफेसर नंदकिशोर निगम का संस्मरण

इस लेख में मैं केवल युवकों को ही संबोधित करना चाहता हूं। इसमें कोई शक नहीं कि आज के युवकों में चालीस साल पहले के युवकों की अपेक्षा अधिक जागृति देखी जाती है। परंतु यह जागृति इन युवकों को किस ओर ले जा रही है यह भी तो विचारणीय समस्या है। आज हम देखते हैं कि युवकों का ध्यान पढ़ाई की ओर कम और हुल्लड़बाजी की ओर अधिक है।

अर्थाभाव और क्रांतिकारी

क्रांतिकारियों को रुपए का अभाव सदैव सताता रहा। उनके माता-पिता तो प्राय: डर कर उनको घर से ही निकाल दिया करते थे। अन्य लोग भी क्रांतिकारी के नाम से डरते थे। यह लिखते-लिखते मुझे एक निजी अनुभव याद आ गया।

दो पर्चे

मैं 1930 के आरंभ में हिन्दू कालेज दिल्ली में लेक्चरर था। होस्टल का सुपरिंटेंडेंट भी। उस समय श्री चन्द्रशेखर आजाद मेरे पास होस्टल में ही रहते थे। 26 जनवरी को लगभग समस्त भारत में 'फिलॉसाफी ऑफ द बाम्ब' का प्रत्युत्तर था। यह परचा हिन्दू कॉलेज के होस्टलों में भी बंटा। दूसरे दिन सारे भारत में एक हलचल सी मच गयी थी।

कथनी-करनी

मैं जब कालेज के अध्यापक-कक्ष (स्टॉफ रूम) में गया तो एक प्रोफेसर सोनी जी लंदन में उन्नीस वर्ष रहकर आये थे। बोले, भाई यह परचा लाजवाब है यदि कोई क्रांतिकारी मुझे मिल जाए तो मैं अपने एक मास की पगार के रुपए 300 उसको दे दूंगा। मैंने उनसे पूछा कि उनको यह कैसे पता चलेगा कि जो व्यक्ति उनसे रुपया लेने जाएगा वह क्रांतिकारी ही होगा। उन्होंने उत्तर दिया, उसके पास रिवाल्वर तो अवश्य होगा ही।

पहली फरवरी को पगार बंटी। दो फरवरी को मैं आजाद से रिवाल्वर मांग उनके दरियागंज के मकान पर पहुंचा और उनके ड्राइंग रूम की मेज पर रिवाल्वर रख दिया और उनसे तीन सौ रुपए मांगे। श्री सोनी की हालत देखने के काबिल थी। वह डर से थरथराने लगे, मुख से बोल भी ठीक नहीं निकल रहे थे। वह केवल इतना कह पाये कि मैं रिवाल्वर उठाकर फौरन ही उसके मकान से चला जाऊं और यह कि वे रुपया आदि कुछ नहीं देंगे।

ऐसी अवस्था में उन नवयुवकों को दल के लिए हथियार खरीदने और अपने गुजारे के लिए राजनीतिक डकैतियों का सहारा लेना पड़ता था। परंतु इन डकैतियों में वे इस बात का पूरा ध्यान रखते थे कि कोई जीवहत्या न हो जाए या किसी को चोट न लगे। काकोरी डकैती में अवश्य एक जान गई थी परंतु इसकी जिम्मेदारी उस मरने वाले व्यक्ति पर ही थी, जो अपने रेल के डिब्बे से उतरकर क्रांतिकारियों की तरफ आने लगे थे-हाथ में बंदूक लिए।

भोजन के लिए सिर्फ 4 आने मिलते थे

इस रुपए के अभाव के कारण क्रांतिकारी दल अपने असली कार्य में अधिक सफल नहीं हो सका। फिर भी दल के सदस्यों ने इस अभाव को अपनी कार्यपरायणता के बीच में नहीं आने दिया। लाहौर में जब आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि 15-20 दल के सदस्य रहते थे तब उनको केवल चार आने रोज मिलते थे। उसी में चाय पानी, नाश्ता, दो समय का भोजन आदि का खर्चा पूरा करना होता था। सोने के लिए भी कोई अच्छा स्थान नहीं था। फिर भी उन्हीं हालतों के मध्य उन्होंने सांडर्स का वध कर लाला लाजपतराय पर चलाई गई लाठियों का बदला चुका लिया था। आगरा, ग्वालियर, कानपुर, झांसी आदि में भी दल के सदस्यों का यही हाल था। 1930 के नवम्बर की सर्दी में जब मैंने आजाद को केवल एक धोती, एक आधी बांह की सूती कमीज और एक सूती कोट पहने देखा तो मैंने उनसे गरम कपड़े बनवाने के लिए कहा। उनका उत्तर था- ''साहब (मेरा पार्टी नाम साहब ही था), मेरे साथ यूपी के दल में इस समय चौतीस सदस्य हैं और सभी सूती कपड़े पहनते हैं। जब तक मैं उनको गरम कपड़े नहीं बनवा सकता, मैं गरम कपड़े नहीं पहन सकता।''

यह थी क्रांतिकारियों की लगन, यह था उनका ध्येय की पूर्ति का साधन। क्या आज के युवक उन क्रांतिकारियों की तकलीफों को, उनके त्याग को उनके बलिदान को जानते हैं या जानने की इच्छा रखते हैं? और यदि कुछ युवक ऐसे हों भी तो क्या वे इन क्रांतिकारियों का अनुसरण करने के लिए प्रस्तुत हैं? एन.के. निगम

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

किशनगंज में घुसपैठियों की बड़ी संख्या- डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

गंभीरा पुल बीच में से टूटा

45 साल पुराना गंभीरा ब्रिज टूटने पर 9 की मौत, 6 को बचाया गया

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राजस्थान में भारतीय वायुसेना का Jaguar फाइटर प्लेन क्रैश

डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

किशनगंज में घुसपैठियों की बड़ी संख्या- डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी

गंभीरा पुल बीच में से टूटा

45 साल पुराना गंभीरा ब्रिज टूटने पर 9 की मौत, 6 को बचाया गया

पुलवामा हमले के लिए Amazon से खरीदे गए थे विस्फोटक

गोरखनाथ मंदिर और पुलवामा हमले में Amazon से ऑनलाइन मंगाया गया विस्फोटक, आतंकियों ने यूज किया VPN और विदेशी भुगतान

25 साल पहले किया था सरकार के साथ फ्रॉड , अमेरिका में हुई अरेस्ट; अब CBI लायेगी भारत

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

एबीवीपी का 77वां स्थापना दिवस: पूर्वोत्तर भारत में ABVP

प्रतीकात्मक तस्वीर

रामनगर में दोबारा सर्वे में 17 अवैध मदरसे मिले, धामी सरकार के आदेश पर सभी सील

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड में भारी बारिश का आसार, 124 सड़कें बंद, येलो अलर्ट जारी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies