|
दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में विगत दिनों 'बैटल फॉर संस्कृत' पुस्तक का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, अल्पसंख्यक मामलों की केन्द्रीय मंत्री डॉ. नजमा हेपतुल्ला थीं तथा अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अशोक वोहरा ने की। डॉ. हेपतुल्ला ने कहा कि साहित्य में केवल भाषाओं का अंतर होता है, विचारों का नहीं। भारत में विविध भाषाएं एवं धर्म हैं जो हमारी धरोहर हैं। संस्कृत हमारी विरासत है। इसे हमें आम लोगों तक पहुंचाना चाहिए। प्रो. राजीव मल्होत्रा ने कहा कि संस्कृत के प्राचीन साहित्य में नाटक, संगीत आदि के विषय में काफी उदात्त विचार हैं तथा वे समाज के सभी वर्गों के लिए है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रो. एस.आर. भट्ट ने कहा कि भारत संस्कृत के कारण अध्यात्म का ही नहीं, अपितु विज्ञान का भी गुरु रहा है। बेल्जियम के भारतीय भाषा तथा प्राच्य विद्या विभाग के प्रो. कोइनराड एलस्ट ने पाश्चात्य विद्वानों के द्वारा संस्कृत भाषा पर किए गए आक्षेपों का उल्लेख किया।
भारतीय आधुनिक भाषा विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. टी.एस. सत्यनाथ ने कहा कि संस्कृत उन शास्त्रीय भाषाओं की तरह नहीं है, जैसा कि विदेशी विद्वान मानते हैं। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. वोहरा ने कहा कि विदेशी विद्वानों के द्वारा संस्कृत भाषा पर किए जा रहे आक्षेपों से हमें चिंतित न होकर उनका विचारपूर्वक समाधान प्रस्तुत करना है। कार्यक्रम के अंत में विभागीय सह आचार्य डॉ. भारतंदु पाण्डेय ने सभी आगंतुक अतिथियों का धन्यवाद किया। – प्रतिनिधि
टिप्पणियाँ