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आइपीएल में एक बार खिलाड़ी की बोली लगने के बाद उस खिलाड़ी का संबंधित फ्रेंचाइजी टीम से करार हो जाता है। बोली में जो भी रकम लगती है, फ्रेंचाइजी को वह रकम सत्र की समाप्ति तक देनी होती है। एक बार खिलाड़ी का करार हो जाता है और उसके बाद वह चोटिल हो जाता है, फिर भी बोली वाली रकम पाने का वह हकदार होता है। पहले कई बार ऐसा होता था कि खिलाड़ी की नीलामी हो जाने के बाद उसे राष्ट्रीय टीम में बुला लिया जाता था। लेकिन अब आइसीसी ने आइपाीएल को कुछ छूट दे दी है, इसलिए इस दौरान आमतौर पर द्विपक्षीय सीरीज नहीं होती, इसलिए खिलाड़ी की उपलब्धता बड़ा मसला नहीं रहा है। अब तो कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता है तो फ्रेंचाइजी टीम अपने खर्च पर उसका इलाज भी कराती हैं।
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