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उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद प्रदेश में गणतंत्र दिवस पर दो मदरसों में राष्ट्रध्वज फहराए जाने पर देश-विरोधी तत्वों ने तिरंगे का अपमान करने की पूरी कोशिश की। हालांकि बाद में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद तिरंगा फहराया गया। वहीं पुलिस ने तिरंगे के अपमान के खिलाफ कानून होने के बाद भी किसी भी आरोपी पर कार्रवाई नहीं की है।
पहला मामला दनकौर, जिला गौतम बुद्ध नगर का है। यहां सैयद भूरेशाह मुस्लिम गर्ल्स स्कूल नाम से लड़कियों का एक मदरसा है। इसमें कक्षा 5 तक की शिक्षा दी जाती है। यह मदरसा उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में पंजीकृत एवं सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। मदरसे को प्रदेश शासन से अनुदान मिलता है। मदरसे की संचालन समिति हजरत सैयद भूरेशाह कमेटी के सचिव आदिर खान ने 25 जनवरी को कुछ मजदूरों को मदरसे के प्रांगण में एक पोल लगाने के लिए भेजा था ताकि गणतंत्र दिवस पर ध्वाजारोहण किया जा सके। जब यह समाचार कस्बे के कुछ कट्टरवादी मुसलमानों को मिला जोकि पहले से ही मदरसे में हिंदी, अंग्रेजी तथा विज्ञान जैसे विषय पढ़ाये जाने का विरोध करते रहे हैं, उन्होंने तिरंगा फहराने का विरोध करना शुरू कर दिया।
उन्होंने 25 जनवरी की शाम सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना फैलाकर मदरसा प्रांगण में भीड़ इक्ट्ठी कर ली। मदरसे में तिरंगे को फहराने के लिए पोल लगा रहे मजदूरों को बुरी तरह मार कर वहां भगा दिया और पोल को उखाड़ दिया। इस बीच उन्होंने देश विरोध नारे भी लगाए।
मदरसा कमेटी सचिव आदिर खान ने पुलिस को मामले की जानकारी दी। सूचना मिलने पर भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच गया। थानाध्यक्ष चक्रपाणी शर्मा तिरंगा फहराने का विरोध कर रही भीड़ की अगुआई कर रहे प्रमुख लोगों को थाने ले गए। कस्बे के कुछ गणमान्य लोग भी वहां पहुंच गए। पुलिस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी भी सूरत में ध्वजारोहरण को नहीं रोका जाएगा। यदि किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद भी गणतंत्र दिवस के दिन तिरंगा फहराने का विरोध कर रहे लोग भीड़ को लेकर मदरसे पर पहुंच गए। उत्पात की आशंका को देखते हुए पहले से वहां पर भारी पुलिस बल तैनात था। मदरसे पर पुलिस की मौजूदगी में तिरंगा फहराया गया। आदिर खान बताते हैं कि जब से उन्होंने केंद्र सरकार की मदरसा-आधुनिकीकरण योजना में भाग लेकर पाठ्यक्रम में अरबी-उर्दू के अलावा हिंदी-अंग्रेजी और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाना शुरू किया है तभी से कुछ कट्टरपंथी उनका विरोध करने में जुटे हैं। उन्हें लगातार धमकियां दी जा रही हैं।
दूसरी घटना जिला गोरखपुर की है। यहां के एक कस्बे गोला में भी कट्टरपंथी भीड़ ने 'गणतंत्र दिवस' पर ध्वजारोहण को रोकने का प्रयास किया। जानकारी के अनुसार गोला के रिजविया अहले सुन्नत मदरसे के प्रबंधक मुर्तजा अली जब ध्वजारोहण करने पहुंचे तो उनकी कार पर पथराव कर कार के शीशे तोड़ दिए गए। कुछ लोगों ने उनसे हाथापाई करने का भी प्रयास किया। मौके पर पुलिस के पहुंचने के बाद यहां तिरंगा फहराया जा सका। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 45 साल पहले राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान तथा संविधान का अपमान रोकने के उद्देश्य से ढ१ी५ील्ल३्रङ्मल्ल ङ्मा कल्ल२४'३२ ३ङ्म ठं३्रङ्मल्लं' ऌङ्मल्लङ्म४१ अू३ 1971 पारित किया था। इसमें इन तीनों राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान पर सजा का प्रावधान है। इसके बाद 1976 में इन राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान नागरिकों के मूलभूत कर्तव्यों में सम्मिलित किया गया। इसके अलावा वर्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अगस्त 2015 में एक लोकहित याचिका का निबटारा करते हुए प्रदेश सरकार को यह आदेश दिया था कि वह सुनिश्चित करे कि स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस के अवसर पर प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रध्वज सम्मान सहित फहराया जाए। इसके बाद अखिलेश सरकार ने न्यायालय में एक शपथपत्र दाखिल किया था जिसमेंे कहा था कि न्यायालय के आदेशों का अनुपालन किया जाएगा। उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बाद भी उत्तर प्रदेश के मदरसों में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने का विरोध किया जा रहा है और प्रदेश पुलिस दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए रफा-दफा करने में जुटी है। -अजय मित्तल
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