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कनाडा के संसदीय चुनाव में यहां की लिबरल पार्टी को भारी बहुमत हासिल हुआ है। लिबरल पार्टी ने सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी को जबरदस्त शिकस्त दी। चुनावों में मिली हार के बाद कंजरवेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने त्यागपत्र दे दिया है। लिबरल पार्टी के नेता के तौर पर जस्टिन ट्रूडियू कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनेंगे। वह कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडियू के बेटे हैं। इस चुनाव में 19 भारतीयों ने भी कनाडा की संसद में पहुंचने में कामयाबी पाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीत पर जस्टिन को बधाई दी है। अपने बधाई संदेश में उन्होंने कहा कि हम कनाडा के साथ नजदीक संबंधों को उच्च प्राथमिकता देते हैं। हम लोकतंत्र और प्रवासी भारतीयों द्वारा समृद्ध सामंजस्य से गहरे रूप से जुड़े हैं।
गत 20 अक्तूबर को चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद 338 सीटों वाली संसद के लिए चुनाव में लिबरल पार्टी को 184 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिला। जबकि सत्तारूढ़ रही कंजरवेटिव पार्टी को 100 ही सीटें मिली। इसके अलावा न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी 44 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही। उल्लेखनीय है कि चार वर्ष पहले लिबरल पार्टी के पास महज 34 सीटें थी। ट्रूडियू ने पार्टी में नई जान डाली और सत्ता पाने में कामयाब रहे। 43 वर्षीय जस्टिन ट्रूडियू कनाडा के दूसरे सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री होंगे। पेशे से शिक्षक रहे ट्रूडियू 2008 में पहली बार सांसद बने थे। इसके बाद वर्ष 2011 में भी वह चुनाव जीते थे। कनाडा की संसद में इस बार भारतीयों की संख्या भी दोगुनी हो गई है। भारतीय मूल के कुल 19 प्रत्याशियों ने चुनाव में जीत हासिल की है। इससे पहले संसद में भारतीयों की संख्या कुल आठ थी। भारतीय मूल के प्रत्याशियों में लिबरल पार्टी के 16 उम्मीदवार विजयी रहे हैं। चुनाव में लिबरल पार्टी के टिकट पर चुने गए संसद सदस्यों में जालंधर के रेशम सिंह संघा, लुधियाना के राजसिंह ग्रेवाल, रूबी सहोता, सोनी सिद्धू, गगन सिकंद, जालंधर के राज सैनी, श्रीगंगानगर, राजस्थान के नवदीप सिंह बैंस, दिल्ली की कमल खैहरा शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि कनाडा में हुए चुनावों में इस बार छह पार्टियों के टिकट पर 62 प्रवासी भारतीयों ने चुनाव लड़ा था। –
विश्व धर्म संसद में गूंजा जल संरक्षण का मुद्दा
अमरीका में पिछले दिनों हुई विश्व धर्म संसद में जल संरक्षण का मुद्दा जोरशोर से उठाया गया। सम्मेलन में आए दुनियाभर के संतों व आध्यात्मिक गुरुओं ने सूखते जल स्रोतों पर गंभीर चिंता जताई और जल की स्वच्छता पर भी जोर दिया। ग्लोबल इंटरफेथ वॉश अलायंस के सह-संस्थापक एवं परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि मानव जाति वर्षों से न केवल जल का दोहन कर रही है, बल्कि उसे प्रदूषित भी कर रही है। इस वजह से कई जल स्रोत विलुप्त होने के कगार पर हैं और कई का अस्तित्व तो मिट भी गया है।
स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि जहां शौचालय नहीं होते, वहां बीमारियां अधिक होती हैं। अब हालात इस हद तक खराब हो चुके हैं कि धर्मगुरु हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे रह सकते। इस मौके पर ग्लोबल इमाम काउंसिल के क्षेत्रीय अध्यक्ष मौलाना लुकमान तारापुरी ने स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने की बात कही।
ग्लोबल इंटरफेथ की महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा, स्वच्छता के अभाव में भारत में रोज पांच वर्ष से कम आयु वाले तकरीबन 16 सौ बच्चों की अकाल मृत्यु हो रही है। अन्य अपराधों की तुलना में स्वच्छ पानी और स्वच्छता के अभाव में होने वाली मौतें कहीं ज्यादा हैं। यूनिसेफ के 'वाटर सैनिटेशन एंड हाइजीन' विभाग के प्रमुख संजय विज शेखरा ने इस मौके पर धर्मगुरुओं से अभियान चलाने का आह्वान किया। * प्रस्तुति : आदित्य भारद्वाज
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