सेकुलर सियासत के पिटे मोहरे
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सेकुलर सियासत के पिटे मोहरे

by
Oct 26, 2015, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 26 Oct 2015 11:18:52

अंक संदर्भ-  4 अक्तूबर, 2015

आवरण कथा 'बिहार में बेचैन सेकुलर सूरमा' से प्रतीत होता है कि लालू-नीतीश समेत कांग्रेस के नेता चुनाव की आड़ में सियासत करके विष घोलने का काम कर रहे हैं। राज्य चुनाव में लालू और नीतीश के बयानों को देखें तो सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप के अलावा कुछ और नहीं दिखाई देता। समाज को कैसे आपस में लड़ाकर वोट की फसल को काटा जाए, इसके लिए सेकुलर नेता कुछ भी करने को तैयार दिखते हैं। लेकिन इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग है। लालू और नीतीश के राज से जनता भली-भंाति परिचित है इसलिए वह अब परिवर्तन चाहती है।
—निशान्त कुमार
 समस्तीपुर (बिहार)
ङ्म सेकुलर सूरमाओं लालू-नीतीश ने सेकुलरवाद के नाम से बिहार की जनता को जिस प्रकार ठगा और छला है, उसके बाद कैसे विश्वास किया जा सकता है कि परस्पर विरोधी दलों के साथ बनाया गया महागठबंधन बिहार को विकास के पथ पर ले जायेगा। लेकिन इस चुनाव में पहली बार सबसे कमजोर हालत कांग्रेस की है। आज कांग्रेस लालू की पिछलग्गू बनी हुई है। शायद  कांग्रेस के लिए इससे ज्यादा दुखदायी स्थिति और कुछ नहीं हो सकती है।
—हरिओम जोशीा
 भिण्ड (म.प्र.)
ङ्म आज नेता भेदभाव की खाईं को और चौड़ा करना चाहते हैं। बिहार चुनाव में इसका नजारा स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए ओछी बयानबाजी करके न केवल व स्वयं का मान-मर्दन कर रहे हैं, बल्कि संपूर्ण देश को भी किसी न किसी प्रकार क्षति पहुंचा रहे हैं।
—रामदास गुप्ता, (जम्मू-कश्मीर)
ङ्म बिहार में ओवैसी फैक्टर काम नहीं करने वाला। बिहार की जनता अब इतनी समझदार हो गई कि वह देश तोड़ने की बात करने वाले के बहकावे में नहीं आने वाली। वह जद-यू के भी जाल से निकलना चाहती है। क्योंकि उसने नीतीश कुमार के भी चाल-चरित्र को देख लिया है। बिहार की जनता अब सावधान है और समय आने पर वह इन सभी नेताओं को करारा जवाब देगी।
—राममोहन चन्द्रवंशी
टिमरनी, हरदा (म.प्र.)
ङ्म बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी नेता के लिए झूठे वादे करके वोट पाना शायद सरल नहीं है। जनता के सामने सभी दल हैं और वह यह भी जानती है कि कौन सा दल कैसा है। इसलिए कोई दल ये समझे कि लोगों को दिग्भ्रमित करके उनके वोट पा लेंगे तो शायद यह उनकी भूल ही होगी।
—बी.जे. अग्रवाल
लक्ष्मी निवास, धर्मपीठ, नागपुर (महाराष्ट्र)
ङ्म राज्य में लगभग आधा चुनाव सपंन्न हो चुका है। जनता की ओर से आते रुझान यही जाहिर करते हैं कि भाजपा गठबंधन की जीत लगभग तय है और महागठबंधन की हार सुनिश्चित हो गई है। जनता भाजपा के 'सबका साथ सबका विकास' के नारे से पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही है।
—सुहासिनी किरनी
गोलीगुडा (तेलंगाना)
ङ्म आजकल देखने में आता है कि जैसे ही चुनाव की बयार बहती है वैसे ही नेताओं द्वारा जनता को अपने पक्ष में करने के लिए बिगड़े बोल सामने आने लगते हैं। सत्ता पाने की चाहत में वह कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। पहले के चुनाव में नेताओं का ध्यान क्षेत्र के विकास पर होता था। बिजली, पानी, सड़क और रोजगार को वे मुख्य मुद्दा बनाते थे। पर शायद अब ऐसा नहीं है। व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप, वाक् युद्ध और लालच की राजनीति अब चुनाव में सिर चढ़कर हावी हो रही है।
—डॉ. टी.एस.पाल
 चन्दौसी,संभल (उ.प्र.)
बचकाना बयान
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का मुसलमानों के पक्ष में खुलकर बयान देना संविधान और पद की गरिमा को ठेस पहंुचाता है। देश के शीर्ष पद पर बैठे हुए अंसारी की यदि यह सोच है तो आम मुसलमान की क्या सोच होगी? हामिद अंसारी सवा सौ करोड़ भारतीय जनसमुदाय के उपराष्ट्रपति हैं। उन्हें सबके विकास की बात करनी चाहिए न कि किसी खास समुदाय की। वह इस प्रकार के बयान देकर समाज को तोड़ने की नींव डाल रहे हैं। विश्व के मुस्लिम देशों में मुसलमानों की क्या दुर्दशा है, इस पर उन्होंने कभी कोई टिप्पणी की? लेकिन भारत जहां कि सरकार मुसलमानों के उत्थान का सतत् प्रयास कर रही है, उस समय ऐसी टिप्पणियां बहुत ही बचकाने बयान की श्रेणी में आती हैं। उपराष्ट्रपति से अनुरोध है कि वे एक सार्थक पहल करें कि देश का हर मुसलमान समाज की मुख्यधारा से जुड़कर आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर अपना एवं राष्ट्र का सर्वांगीण विकास करे।
—उदय कमल मिश्र
 सीधी (म.प्र.)
संबंधों में घोलते मिठास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विदेश दौरों पर विरोधी राजनीति कर रहे हैं, यह बहुत ही गलत है। आज प्रतिस्पर्द्धा के युग में पूरी दुनिया भारत से मित्रता में अपना भविष्य खोज रही है। यह पहल जब दूसरी ओर से हो रही है तो भारत के लिए भी जरूरी हो जाता है कि वह भी दो कदम आगे बढ़कर उनका हाथ थामे। मोदी जिस प्रकार छोटे-बड़े देशों के साथ मिलकर संबंधों में मिठास घोल रहे हैं वह आने वाले दिनों में भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाला है।
—जोगिन्द्र ठाकुर
 भल्याणी,कुल्लू (हि.प्र.)
महान व्यक्तित्व
लेख 'देश का नक्शा बदलने की ताकत के धनी दीनदयाल जी' के व्यक्तित्व से स्पष्ट हो जाता है कि कुछ लोग महान ही पैदा होते हैं। पं. दीनदयाल जी ऐसे ही महापुरुष थे, जिन्होंने अपने कर्मों से महानता अर्जित की। उनका एक-एक क्षण देश और समाज के लिए समर्पित था, ऐसा लगता था कि जन्म से ही उन्होंने राष्ट्र सेवा का व्रत ले रखा हो। यह व्रत जीवन के अंतिम क्षण तक निरंतर चलता रहा। उनका एकात्म मानव दर्शन हम सबके लिए प्रेरणा रूप में है।
—रवीन्द्र महाजन
 वात्सल्यदीप, मुलुंड पूर्व (महाराष्ट्र)

ङ्म पं. दीनदयाल उपाध्याय आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन आज भी उनके आदर्श हमारे पथ-प्रदर्शक हैं। उनका प्रेरणादायी व्यक्तित्व सदा हमें राष्ट्रहित के लिए सर्वस्व समर्पण की प्रेरणा देता रहेगा। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनके निधन पर ठीक ही कहा था कि काल ने हमसे हमारा प्रकाशस्तम्भ छीन लिया। अब तो तारों के प्रकाश में ही हमें रास्ता खोजना होगा। वर्तमान में नेताओं को दीनदयाल जी के विचारों से प्रेरणा लेकर आगे   बढ़ना चाहिए।
—कृष्ण वोहरा
 सिरसा (हरियाणा)
ङ्म इस अंक में दीनदयाल जी के बारे में दी गई जानकारी संपूर्ण समाज का मार्गदर्शन करती है। उनके विचार राष्ट्रहित से ओतप्रोत थे। लेकिन कुछ समय से उनके विचारों पर पर्दा डालने की कोशिश की गई है। पर अब समय है कि उन विचारों को पुन: जन-जन तक पहुंचाया जाये। क्योंकि उनके विचार मार्गदर्शन देते हैं। इन्हीं विचारों पर चलकर देश सोने की चिडि़या बन सकता है।
—लक्ष्मी चन्द, सोलन (हि.प्र.)
उभरता भारत
देश में जब से राजग सरकार बनी है तब से भारत नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। 2014 के पूरे वर्ष में भारत को 24 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला था, जबकि इस वर्ष के पहले ही 6 महीने में 31 अरब डालर आ गए। चीन व अमरीका को छोड़कर भारत निवेशकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। दुनिया भारत की ओर आकर्षित हो रही है। यहां के बड़े बाजार में भारी संभावनाओं को देखते हुए विदेशी कंपनियां व्यापार करने के लिए लालायित हैं। भारत के विभिन्न देशों के साथ मधुर होते संबंध  के चलते ही यह सम्भव हो पा रहा है। देश आज फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। वह दिन दूर नहीं जब हम फिर से इस पद पर आसीन होकर संपूर्ण विश्व को  मार्ग दिखाएंगे।
—अजय मित्तल
 खंदक, मेरठ (उ.प्र.)
उपेक्षा न हो !
वर्तमान में परंपरागत खेलों की उपेक्षा की जा रही है। सबसे अहम पहलू यह है कि नई पीढ़ी को इन खेलों के महत्व को बताना जरूरी है।  आज के युवा कम्प्यूटर के खेलों में सिमटकर अपना स्वास्थ्य तो खो ही रहे हैं इसके साथ ही प्रतिभावान खिलाडि़यों का अकाल पड़ता जा रहा है। ग्रामीण अंचलों में आज भी कुछ परम्परागत खेल यदा-कदा दिखाई देते हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव में इनका दायरा सिमटकर रह गया है। वहीं दूसरी ओर परम्पराएं सिमट रही हैं। इन पर कोई गौर भी नहीं कर रहा है। ऐसे में आने वाली पीढ़ी को अपनी परम्परा और परम्परा से जुड़ी सभी बातों को बताना अत्यधिक आवश्यक नजर आता है।
—महेन्द्र
 शुभम कॉलोनी, करेली(म.प्र.)
अशोभनीय कृत्य
देश के सभी राज्यों में आजकल घटित होने वाली प्रत्येक आपराधिक घटना का ठीकरा प्रधानमंत्री के सिर मढ़ने की प्रतियोगिता ऐसी चल पड़ी है। लेकिन शायद यह कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन पर पता नहीं कितने प्रकार के मिथ्या आरोप लगाए गए और वे सभी झूठे साबित हुए। विरोधियों द्वारा सदैव से इस प्रकार से आरोप लगाकर भाजपा सरकार को बदनाम किया जाता रहा है। लेकिन क्या उन्हें इस प्रकार का कृत्य शोभा        देता है?
—आशुतोष श्रीवास्तव
राजाजीपुरम्, लखनऊ (उ.प्र.) 

हम भारतीय भ्रमित हो गए हैं। जीवन के हर क्षेत्र में अंग्रेजी शासन की व्यवस्था ने अपने प्रभावों से हमें उद्वेलित किया है। देश को 1947 में स्वतंत्रता तो अवश्य मिली पर यह स्वतंत्रता सिर्फ बंधन की स्वतंत्रता थी। मानसिक और वैचारिक रूप से हम आज भी उनके पदचिह्न पर ही चल रहे हैं और गुलाम हैं। संविधान से लेकर भाषा तक  के हम उनके गुलाम हैं। लेकिन फिर भी हम प्रसन्न होकर कहते हैं कि हम अब स्वतंत्र हैं।  स्वतंत्रता के पहले अंग्रेजी शासन की फूट डालो की नीति ने हमारे राष्ट्र और जनजीवन पर अत्यधिक प्रभाव छोड़ा है। आज अंग्रेजी शासन तो नहीं है, लेकिन उनके दत्तक पुत्र अब भी हैं, जो पूरी तन्मयता से उनकी बताई गई रणनीति पर चलकर भारत और समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं। अंग्रेजी शासन ने कुछ किया या नहीं पर स्वतंत्र भारत के अस्तित्व को फूट की आग में अवश्य झोंक दिया। उन्होंने एक ऐसी दिशा दिखा दी जो ऊपर से तो मानव हितों की ओर जाती है या जाती थी पर अन्दर ही अन्दर संपूर्ण भारतीय समाज को वैमनस्य की आग में झोकती रही। यही थी भेदभाव रोकने के नाम पर भेदभाव पैदा करने की कला। जिसे समय रहते कोई नहीं समझ सका और इसके चंगुल में फंसते गए। आज यही आग सभी स्थानों पर धधक रही है। आरक्षण शब्द मन में अनायास हलचल पैदा कर देता है। ऐसा लगता है कि आरक्षण के नाम पर प्रतिभा का गला घोटा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि आरक्षण नहीं देना चाहिए, लेकिन आरक्षण की कोई तय व्यवस्था तो अवश्य ही होनी चाहिए। इस बात पर भी चिंतन करना चाहिए कि आरक्षण के चलते प्रतिभा का गला तो कहीं नहीं घोटा जा रहा है? ये सभी विषय आज बड़े महत्वपूर्ण हैं। सरकार इन विषयों पर बड़ी ही संजीदगी के साथ मनन और चिंतन करे क्योंकि ये विषय किसी एक व्यक्ति से जुड़ा नहीं है लाखों लोग इसका शिकार हो रहे हैं।
—विवेक ध्यानी
श्रीगोकुल धाम, पहाड़ी बाजार
पुजारी गली, कनखल (हरिद्वार)
प्रतिभाओं का घुटता गला
गोमाता की हाय
मुद्दा बना बिहार में, केवल अब तो गाय
जाने किस पर जा लगे, गोमाता की हाय।
गोमाता की हाय, नाम रघुवंश रखाया
मांस गाय का ऋषियों का भोजन बतलाया।
कह 'प्रशांत' लालू से भी आगे निकलेंगे
कुंभीपाक नरक में जा करके उबलेंगे॥
 -प्रशांत 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies