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जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र एवं बी. एन. के. वी. एस. ग्रुप ऑफ थिएटर सोसायटी, जोधपुर के संयुक्त तत्वावधान में नाटिका 'जन्नत के साए' का मंचन 5 अक्तूबर को सूचना केन्द्र सभागार, जोधपुर में किया गया। इस नाटिका में यह बताने का प्रयास किया गया है कि आम लोग केवल घाटी से आने वालीं खबरों और अलगाववादियों की बातों को ही सच न मानें, बल्कि एक सर्वांगीण दृष्टि से जम्मू-कश्मीर को समझने और उससे जुड़ने की कोशिश करें। नाटिका का लेखन और निर्देशन कमलेश तिवारी ने किया है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर अध्ययन केन्द्र से जुड़ने के बाद यह महसूस हुआ कि हम लोग जम्मू-कश्मीर संबंधी तथ्यों से कितने अंजान हैं। मीडिया द्वारा दी गई जानकारी अधूरी है और एक पूर्ण दृष्टि विकसित करने में असमर्थ भी। जम्मू-कश्मीर हमारे देश की राष्ट्रीय संस्कृति और सभ्यता की विरासत को अपने में समेटे हुए है। अन्य कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं के साथ उनका ध्यान जम्मू-कश्मीर में देश की आजादी से लेकर अब तक विस्थापितों के रूप में रहने वाले लगभग 15 लाख लोगों की ओर गया। नाटिका में इन विस्थापितों के दर्द को उजागर करने की भी कोशिश की गई है। – प्रतिनिधि
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