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भारत की चिंताओं को दरकिनार करतेे हुए चीन ने तिब्बत क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए गए सबसे बड़े बांध से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है। यह बांध तिब्बत की राजधानी ल्हासा से 140 और भारतीय सीमा से 550 किमी. की दूरी पर स्थित है। हालांकि परियोजना शुरू होने के बाद चीन ने कूटनीति के तहत यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह भारत की चिंताओं का ध्यान रखकर नई दिल्ली के साथ लगातार संपर्क में रहेगा। लेकिन चीन का यह बयान आसानी से नहीं पचता है, क्योंकि अर्से से भारत इस परियोजना का विरोध करता रहा है लेकिन फिर भी चीन ने इस परियोजना को पूरा किया। हाल-फिलहाल की गतिविधियों से इतर चीन के साथ भारत के रिश्ते खटास भरे रहे हैं। ऐसे में अगर कभी चीन इस बांध का प्रयोग युद्ध जैसे हालात में अधिक पानी छोड़कर करता है तो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। इससे भारत को अत्यधिक जन-धन की हानि होगी। इसलिए इस विषय पर भारत की चिंता स्वाभाविक है। गौरतलब है कि इस बांध के निर्माण पर 9,762 करोड़ रुपये की लागत आई है। साथ ही यह बांध दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर बना है।
नए रास्ते से पैठ बनाने की कोशिश में चीननेपाल में मधेशी
अन्दोलन की आड़ में चीन एक बार फिर से अपनी पैठ बनाने में लगातार कामयाब होता जा रहा है। मधेशी आन्दोलन के कारण नेपाल में कुछ दिनों से जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति नहीं हो रही थी। इसी का फायदा उठाकर चीन ने नेपाल से लगी सीमा को फिर से खोल दिया है। इसी रास्ते चीन-नेपाल में वस्तुओं की आपूर्ति करेगा। इस वर्ष 25 अप्रैल को नेपाल में आए भीषण भूंकप में यह रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि 2006 से नेपाल व्यापार में चीन का सबसे बढ़ा साझीदार रहा है और भूकंप के बाद नेपाल से यह व्यापार काफी कम हो गया था।
अब ओली ने संभाली कुर्सी
नेपाल में राजनीति उठापटक के बाद वामपंथी सीपीएन-यूएमएल के प्रमुख केपी शर्मा ओली को नया प्रधानमंत्री चुना गया। नेपाली संसद में हुए मतदान में ओली को 338 मत मिले जबकि नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील कोइराला को 249 मत ही प्राप्त हुए।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओली से बात करके उन्हें प्रधानमंत्री बनने पर शुभकामनाएं दीं और जल्द ही भारत आने का निमंत्रण भी दिया है।
गौरतलब है कि नेपाल के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इससे पहले गिरिजाप्रसाद कोइराला सरकार में विदेशमंत्री व उपप्रधानमंत्री रह चुके हैं।
अमरीका कर सकता है
पाक के साथ परमाणु करार
अमरीका भारत की तर्ज पर पाकिस्तान के साथ असैन्य परमाणु समझौता कर सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की 22 अक्तूबर की अमरीका यात्रा के दौरान दोनों देशों के मध्य इस बारे में चर्चा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
गौरतलब है पाकिस्तान लगातार अपना परमाणु जखीरा बढ़ाने में लगा हुआ है जो अमरीका सहित अन्य पश्चिमी देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। कई देशों ने पाक के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता भी जाहिर की है। इसलिए अमरीका पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों को सीमित करने में जुटा हुआ है। अगर यह सैन्य समझौता होता है तो इसके बदले में पाकिस्तान को परमाणु हथियारों में भारी कटौती करनी होगी। अमरीका पहले से ही पाकिस्तान को इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कह चुका है। ल्ल
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