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ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी की जलधारा हरियाणा के यमुनानगर जिले के मुगलवाली में फूटने के बाद यह सिद्ध हो चुका है कि सरस्वती आज भी विद्यमान है। सरस्वती को पुनर्जीवित करने के लिए सरस्वती शोध संस्थान की स्थापना करने वाले श्री दर्शनलाल जैन ने अपने अथक प्रयासों से सिंधु सरस्वती सभ्यता के अनुसंधान की परियोजना को शुरू करवाया। सरस्वती की खोज में जीवन समर्पित करने वाले श्री जैन से पाञ्चजन्य के वरिष्ठ संवाददाता आदित्य भारद्वाज ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के
मुख्य अंश :-
ल्ल सरस्वती पर आपने लंबा शोध किया अब जबकि मुगलवाली में खुदाई के दौरान इसकी धारा पृथ्वी से फूट निकली तो आपका क्या कहना है?
देखिए सरस्वती का अस्तित्व सदैव ही था। डॉ. डब्ल्यू. एस. वाकणकर ने सरस्वती के संबंध में जब सर्वे किया था तो वे आदिबद्री से लेकर द्वारका तक गए थे। वर्ष 1999 में हमने सरस्वती शोध संस्थान का पंजीकरण करवाया और सरस्वती के बारे में तमाम जानकारियां लेकर सरकार को इस बारे में बताया। इसके बाद सरकार का ध्यान इस तरफ गया। आज हमारी मेहनत हमें सफल होती हुई प्रतीत हो रही है। लंबे प्रयासों के बाद आखिर सरस्वती की जलधारा फूट निकली। यह अत्यधिक प्रसन्नता की बात है।
ल्ल क्या जो जल मिला है वह वास्तव में सरस्वती का ही है?
जी, प्राथमिक तौर पर जो साक्ष्य मिले हैं उनके अनुसार देखा जाए तो यह जल सरस्वती का ही है। राजस्व विभाग के नक्शे में सरस्वती का वही मार्ग दिखाया गया है जिस मार्ग पर खुदाई के दौरान जल मिला है। नासा द्वारा लिए गए चित्र भी सरस्वती के इस मार्ग से होकर बहने की पुष्टि करते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि यहां जो जल मिला है वह सरस्वती का ही है। इसके अलावा वैज्ञानिक रूप से इस बात को प्रमाणित करने के लिए इस जल को प्रयोगशाला में जांच के लिए भी भेजा गया है। आदिबद्री धाम के जल व ओएनजीसी द्वारा जैसलमेर के नजदीक पृथ्वी में 500 मीटर नीचे मिले जल की जब जांच की गई थी तो दोनों गुणवत्ता में एक जैसे थे। अभी मुगलवाली में जो जल मिला है उसका मिलान भी प्रयोगशाला में किया जाएगा। इसके अलावा और भी कई प्रमाण एकत्रित किए गए हैं जिनसे सिद्ध हो जाएगा कि जो जलधारा फूटी है वह सरस्वती नदी की ही है।
ल्ल आपको क्या लगता है कि सरस्वती एक बार फिर से अविरल जलधारा के रूप में बहती हुई दिखाई देगी?
बिल्कुल ऐसा होगा, ऐसा हो इसलिए हम इतने वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। हमारे प्रयास सार्थक भी सिद्ध हुए, लघु रूप में ही सही लेकिन सरस्वती की जलधारा धरा से फूटी। इस दिशा में और भी निरंतर प्रयास जारी हैं। एक दिन निश्चित आएगा जबकि सरस्वती अविरल जलधारा के रूप में बहती हुई फिर से लोगों को दिखाई देगी।
ल्ल इतना पानी सरस्वती में कैसे आ पाएगा क्या इसके लिए कोई योजना है?
हमारी इस बारे में ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम) से बात हुई है। उन्होंने हमें आश्वासन दिया है कि सरस्वती के मार्ग में जहां-जहां पर खुदाई में जल मिल रहा है। उसके आसपास 'ड्रिलिंग' करवाकर ट्यूबवैल लगाए जाएंगे और उनसे निकले पानी को सरस्वती की जलधारा के साथ बहाया जाएगा। एक बार सरस्वती अपने पुरातन मार्ग पर बहना शुरू हो गई तो फिर प्राकृतिक रूप से इसमें पानी आ जाएगा।
ल्ल सरस्वती को लेकर वर्तमान सरकार से आपकी क्या अपेक्षाएं हैं?
देखिए अभी तक सरकार जो काम इस दिशा में कर रही है उसके सार्थक परिणाम निकले हैं। सरकार का काम बहुत अच्छा है। स्थानीय जिला प्रशासन भी पूरी तन्मयता के साथ काम में लगा हुआ है। सरकार से सिर्फ यही अपेक्षा है कि सरस्वती को अविरल बहाने के लिए जो काम हो रहा है उसमें निरंतरता बनी रहे, क्योंकि यदि निरंतरता टूट जाएगी तो फिर से मामला ठंडे बस्ते में
चला जाएगा। ल्ल
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